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मातृत्व अवकाश पाने में दो वर्ष का अंतर जरूरी नहींः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि दो वर्ष के भीतर दूसरा मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) देने से इंकार करना मनमाना एवं विधि विरूद्ध है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : May 6, 2022, 10:45 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि दो वर्ष के भीतर दूसरा मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) देने से इंकार करना मनमाना एवं विधि विरूद्ध है. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत ऐसी समय सीमा तय नहीं है. इसके तहत सरकारी विभाग में नौकरी करने वाली गर्भवती महिला को 26 हफ्ते का अवकाश व मातृत्व लाभ पाने का अधिकार है. इसके लिए उसे लिखित मांग करनी होगी. नियोजक अवकाश पर जाने व लाभ का भुगतान करने के लिए बाध्य है.

कोर्ट ने कहा कि फाइनेंशियल हैंड बुक के नियम 153(1)के अंतर्गत दो बच्चों में दो साल का अंतर होने पर मातृत्व लाभ पाने का हक दूसरे कानून में उपबंध न होने की दशा में लागू होगा. कोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी डोभी जौनपुर के याची को दो वर्ष के भीतर दोबारा मातृत्व लाभ देने से इंकार के आदेश को रद्द कर दिया है और वेतन भुगतान सहित अवकाश स्वीकृत करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने वंदना गौतम की याचिका पर दिया है.

इसे भी पढ़ें-16 मई तक महाधिवक्ता की नियुक्ति का हाईकोर्ट ने दिया समय

विभाग का कहना था कि याची को 2 जुलाई 2020 से 28 दिसंबर 2020 तक मातृत्व लाभ दिया गया था. उसने दो साल के भीतर 17 जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2022 तक मातृत्व लाभ की मांग की. जिसे देने से इंकार कर दिया गया, जिसे चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि मातृत्व लाभ कानून में मातृत्व लाभ आदि पाने का अधिकार दिया गया है तो फाइनेंशियल हैंड बुक के नियम इसपर लागू नहीं होंगे. यदि नौकरी करने वाली गर्भवती महिला लिखित आवेदन देकर मातृत्व लाभ की मांग करती है तो नियोजक उसे 26 हफ्ते का अवकाश स्वीकृत करेगा और लाभ का भुगतान करेगा.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि दो वर्ष के भीतर दूसरा मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) देने से इंकार करना मनमाना एवं विधि विरूद्ध है. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत ऐसी समय सीमा तय नहीं है. इसके तहत सरकारी विभाग में नौकरी करने वाली गर्भवती महिला को 26 हफ्ते का अवकाश व मातृत्व लाभ पाने का अधिकार है. इसके लिए उसे लिखित मांग करनी होगी. नियोजक अवकाश पर जाने व लाभ का भुगतान करने के लिए बाध्य है.

कोर्ट ने कहा कि फाइनेंशियल हैंड बुक के नियम 153(1)के अंतर्गत दो बच्चों में दो साल का अंतर होने पर मातृत्व लाभ पाने का हक दूसरे कानून में उपबंध न होने की दशा में लागू होगा. कोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी डोभी जौनपुर के याची को दो वर्ष के भीतर दोबारा मातृत्व लाभ देने से इंकार के आदेश को रद्द कर दिया है और वेतन भुगतान सहित अवकाश स्वीकृत करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने वंदना गौतम की याचिका पर दिया है.

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विभाग का कहना था कि याची को 2 जुलाई 2020 से 28 दिसंबर 2020 तक मातृत्व लाभ दिया गया था. उसने दो साल के भीतर 17 जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2022 तक मातृत्व लाभ की मांग की. जिसे देने से इंकार कर दिया गया, जिसे चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि मातृत्व लाभ कानून में मातृत्व लाभ आदि पाने का अधिकार दिया गया है तो फाइनेंशियल हैंड बुक के नियम इसपर लागू नहीं होंगे. यदि नौकरी करने वाली गर्भवती महिला लिखित आवेदन देकर मातृत्व लाभ की मांग करती है तो नियोजक उसे 26 हफ्ते का अवकाश स्वीकृत करेगा और लाभ का भुगतान करेगा.

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