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तब्लीगी जमात के सदस्य पर हत्या के प्रयास की धारा लगाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग: हाईकोर्ट - हाईकोर्ट खबर

तब्लीगी जमात में शामिल व्यक्ति के वापस अपने घर मऊ आने पर कोरोना फैलाने और हत्या के प्रयास की धारा में मुकदमा दर्ज किए जाने को हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है. कोर्ट ने इस मामले में एसएसपी व क्षेत्राधिकारी मऊ से व्यक्तिगत जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी.

तब्लीगी जमात के सदस्य पर हत्या के प्रयास की धारा लगाना कानून का दुरुपयोग
तब्लीगी जमात के सदस्य पर हत्या के प्रयास की धारा लगाना कानून का दुरुपयोग
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Published : Dec 7, 2020, 9:22 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात में शामिल व्यक्ति के वापस अपने घर मऊ आने पर उस पर हत्या के प्रयास की धारा में मुकदमा दर्ज किए जाने को हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है. हाईकोर्ट ने याची मोहम्मद साद के खिलाफ मऊ की जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में धारा 307 व 270 आईपीसी के तहत दाखिल आरोप पत्र के तहत मुकदमे पर फिलहाल रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में एसएसपी व क्षेत्राधिकारी मऊ से व्यक्तिगत जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी. यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने मोहम्मद साद की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि पुलिस ने पहले इस मामले में आईपीसी की धारा 269, 270 के अन्तर्गत आरोप पत्र दाखिल किया था. बाद में क्षेत्राधिकारी के कहने पर धारा 307 व 270 आईपीसी के तहत संशोधित आरोप पत्र दाखिल किया गया था. कहा गया है कि प्राथमिकी के आरोप को यदि सही भी मान लिया जाए तो याची के खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप नहीं लगाया जा सकता. कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी, एसएसपी मऊ, व क्षेत्राधिकारी को भी याचिका में पक्षकार बनाने को कहा है.

याची पर आरोप है कि वह दिल्ली मरकज की मीटिंग में शामिल होकर लौटा था. उसने यह जानते हुए भी कि तब्लीगी जमात में शामिल लोग कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित पाए गए हैं, उसने दिल्ली से लौटने के बाद स्वयं को छिपाए रखा. मेडिकल परीक्षण नहीं कराया. बाद में सूचना मिली कि दिल्ली से लौटे कुछ लोग क्वारंटाइन है. मेडिकल परीक्षण में याची की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई थी. फिर भी कोरोना फैलाने के हत्या के प्रयास करने का आरोप पत्र दाखिल किया गया है. कोर्ट ने मुकदमें की सुनवाई पर रोक लगा दी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात में शामिल व्यक्ति के वापस अपने घर मऊ आने पर उस पर हत्या के प्रयास की धारा में मुकदमा दर्ज किए जाने को हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है. हाईकोर्ट ने याची मोहम्मद साद के खिलाफ मऊ की जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में धारा 307 व 270 आईपीसी के तहत दाखिल आरोप पत्र के तहत मुकदमे पर फिलहाल रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में एसएसपी व क्षेत्राधिकारी मऊ से व्यक्तिगत जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी. यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने मोहम्मद साद की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि पुलिस ने पहले इस मामले में आईपीसी की धारा 269, 270 के अन्तर्गत आरोप पत्र दाखिल किया था. बाद में क्षेत्राधिकारी के कहने पर धारा 307 व 270 आईपीसी के तहत संशोधित आरोप पत्र दाखिल किया गया था. कहा गया है कि प्राथमिकी के आरोप को यदि सही भी मान लिया जाए तो याची के खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप नहीं लगाया जा सकता. कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी, एसएसपी मऊ, व क्षेत्राधिकारी को भी याचिका में पक्षकार बनाने को कहा है.

याची पर आरोप है कि वह दिल्ली मरकज की मीटिंग में शामिल होकर लौटा था. उसने यह जानते हुए भी कि तब्लीगी जमात में शामिल लोग कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित पाए गए हैं, उसने दिल्ली से लौटने के बाद स्वयं को छिपाए रखा. मेडिकल परीक्षण नहीं कराया. बाद में सूचना मिली कि दिल्ली से लौटे कुछ लोग क्वारंटाइन है. मेडिकल परीक्षण में याची की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई थी. फिर भी कोरोना फैलाने के हत्या के प्रयास करने का आरोप पत्र दाखिल किया गया है. कोर्ट ने मुकदमें की सुनवाई पर रोक लगा दी है.

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