प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि बीएसए की ओर से जारी गलत आदेश के कारण सहायक अध्यापिका को कार्य न करने दिया गया हो तो वह संपूर्ण वेतन की हकदार होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने झांसी में तैनात सहायक अध्यापिका नेहा पटेल की याचिका पर अधिवक्ता रजत ऐरन, राजकुमार सिंह एवं ऋषि श्रीवास्तव को सुनकर दिया है.
अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि याची ने चित्रकूट से झांसी अंतर्जनपदीय ट्रांसफर का आवेदन किया था. शिक्षिका ने पति की असाध्य बीमारी से पीड़ित होने के साथ उनके सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक होने के वेटेज का लाभ भी लिया था. झांसी में ज्वाइनिंग के बाद एक माह से अधिक कार्य लेने के बावजूद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने टीचर के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को निरस्त करते हुए वापस चित्रकूट ज्वाइन करने के लिए कार्यमुक्त कर दिया.
बीएसए झांसी ने याची के पति के सरकारी सेवा में होने के वेटेज को नीतिनुसार न पाते हुए यह आदेश किया था. याची के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि 2 और 29 जून 2023 के शासनादेशों एवं बेसिक शिक्षा परिषद के विभिन्न सर्कुलरों के प्रावधान के अनुसार किसी एक वेटेज के योग्य न पाए जाने पर भी याची के स्थानांतरण को निरस्त नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में बीएसए झांसी ने अपने आदेश को वापस लेते हुए विद्यालय आवंटन भी कर दिया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए बीएसए झांसी को याची का संपूर्ण वेतन एवं अन्य लाभ के भुगतान सहित प्रारंभिक ज्वाइनिंग तिथि से ही याची की सेवा झांसी में मानने का आदेश दिया है.