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हाईकोर्ट का आदेशः बीमा कंपनी को मानना होगा जिला रिव्यू कमेटी का आदेश

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि जिला कमेटी का आदेश बीमा कंपनी के लिए बाध्यकारी है. कोर्ट ने मामले में बीमा कंपनी को पीड़ित परिवार को बीमा लाभ देने के साथ हर्जाने के आदेश दिए हैं .

हाईकोर्ट का आदेशः
हाईकोर्ट का आदेशः
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Published : Jan 27, 2021, 2:34 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसान बीमा योजना के विवाद के एक मामले में बीमा कंपनी की चायिका खारिज कर दी. कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसान बीमा योजना के तहत जिला रिव्यू कमेटी का आदेश बीमा कंपनी पर बाध्यकारी है. सरकारी कंपनी होने के नाते ओरिएंटल बीमा कंपनी पर राष्ट्रीय वाद नीति का पालन करते हुए भुगतान न कर व्यर्थ की मुकद्दमेबाजी नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया है कि वह जिला कमेटी के आदेश का पेनाल्टी सहित तत्काल भुगतान करे. कोर्ट ने 5 हजार हर्जाना लगाते हुए बीमा कंपनी की याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने ओरिएंटल बीमा कंपनी झांसी की याचिका पर दिया है.

ये था विवाद
याचिका के तथ्यों के अनुसार 20 जून 2019 को 25 वर्षीय किसान की वाहन दुर्घटना में मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी विधवा उमा देवी व दो अन्य ने तहसीलदार से 30 हजार वार्षिक आय प्रमाणपत्र के साथ 29 अगस्त को बीमा दावा दाखिल किया. इसे कंपनी ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि दावा के साथ आय प्रमाणपत्र 45 दिन की सीमा अवधि के बाद दाखिल किया गया है. इसे जिलाधिकारी झांसी की अध्यक्षता वाली जिला रिव्यू कमेटी ने अस्वीकार करते हुए विधवा को 5 लाख बीमा राशि का एक माह में भुगतान करने का निर्देश दिया और कहा कि भुगतान न करने पर हर सप्ताह के हिसाब से पेनाल्टी भी देनी होगी. कोर्ट ने कहा कि किसान बीमा योजना के तहत किसान को आय प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता नहीं है. श्रमिक के लिए 75 हजार वार्षिक आय प्रमाणपत्र का उपबंध है. किसान के लिए असीमित आय दी गई है. जिला कमेटी का आदेश बीमा कंपनी पर बाध्यकारी है, उसे चुनौती नहीं देनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी ने राष्ट्रीय मुकद्दमा नीति का पालन नहीं किया और व्यर्थ की मुकद्दमेबाजी कर पीड़ित परिवार को परेशान किया है. इसलिए बीमा कंपनी पर हर्जाना लगाया है.

क्या है मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना
किसान बीमा योजना के दो हिस्से हैं पहला-व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना और दूसरा-दुर्घटना उपरान्त चिकित्सा सुविधा व कृत्रिम अंग. योजना के अनुसार यदि किसान परिवार का मुखिया रेल, रोड, वायुयान दुर्घटना, टकराव या गिरने से चोट, गैस रिसाव, सर्प, बिच्छू, नवेला, छिपकली, जंगली जानवरों के काटने, जलने, डूबने, बाढ में बह जाने, हाथ-पैर कटने, विषाक्तता आदि पर बीमा लाभ मिलेगा. मुखिया की मृत्यु पर 5 लाख व सदस्य की प्राथमिक चिकित्सा पर 25 हजार व वृहद चिकित्सा के लिए सवा दो लाख मिलेगा. किसान की असीमित आय व कृषि श्रमिक की 75 हजार वार्षिक आय हो. आयु 18 से 70 होनी चाहिए.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसान बीमा योजना के विवाद के एक मामले में बीमा कंपनी की चायिका खारिज कर दी. कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसान बीमा योजना के तहत जिला रिव्यू कमेटी का आदेश बीमा कंपनी पर बाध्यकारी है. सरकारी कंपनी होने के नाते ओरिएंटल बीमा कंपनी पर राष्ट्रीय वाद नीति का पालन करते हुए भुगतान न कर व्यर्थ की मुकद्दमेबाजी नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया है कि वह जिला कमेटी के आदेश का पेनाल्टी सहित तत्काल भुगतान करे. कोर्ट ने 5 हजार हर्जाना लगाते हुए बीमा कंपनी की याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने ओरिएंटल बीमा कंपनी झांसी की याचिका पर दिया है.

ये था विवाद
याचिका के तथ्यों के अनुसार 20 जून 2019 को 25 वर्षीय किसान की वाहन दुर्घटना में मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी विधवा उमा देवी व दो अन्य ने तहसीलदार से 30 हजार वार्षिक आय प्रमाणपत्र के साथ 29 अगस्त को बीमा दावा दाखिल किया. इसे कंपनी ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि दावा के साथ आय प्रमाणपत्र 45 दिन की सीमा अवधि के बाद दाखिल किया गया है. इसे जिलाधिकारी झांसी की अध्यक्षता वाली जिला रिव्यू कमेटी ने अस्वीकार करते हुए विधवा को 5 लाख बीमा राशि का एक माह में भुगतान करने का निर्देश दिया और कहा कि भुगतान न करने पर हर सप्ताह के हिसाब से पेनाल्टी भी देनी होगी. कोर्ट ने कहा कि किसान बीमा योजना के तहत किसान को आय प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता नहीं है. श्रमिक के लिए 75 हजार वार्षिक आय प्रमाणपत्र का उपबंध है. किसान के लिए असीमित आय दी गई है. जिला कमेटी का आदेश बीमा कंपनी पर बाध्यकारी है, उसे चुनौती नहीं देनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी ने राष्ट्रीय मुकद्दमा नीति का पालन नहीं किया और व्यर्थ की मुकद्दमेबाजी कर पीड़ित परिवार को परेशान किया है. इसलिए बीमा कंपनी पर हर्जाना लगाया है.

क्या है मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना
किसान बीमा योजना के दो हिस्से हैं पहला-व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना और दूसरा-दुर्घटना उपरान्त चिकित्सा सुविधा व कृत्रिम अंग. योजना के अनुसार यदि किसान परिवार का मुखिया रेल, रोड, वायुयान दुर्घटना, टकराव या गिरने से चोट, गैस रिसाव, सर्प, बिच्छू, नवेला, छिपकली, जंगली जानवरों के काटने, जलने, डूबने, बाढ में बह जाने, हाथ-पैर कटने, विषाक्तता आदि पर बीमा लाभ मिलेगा. मुखिया की मृत्यु पर 5 लाख व सदस्य की प्राथमिक चिकित्सा पर 25 हजार व वृहद चिकित्सा के लिए सवा दो लाख मिलेगा. किसान की असीमित आय व कृषि श्रमिक की 75 हजार वार्षिक आय हो. आयु 18 से 70 होनी चाहिए.

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