प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इंटीग्रल यूनिवर्सिटी (Integral University) के 72 मेडिकल स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा 72 स्टूडेंट्स को अयोग्य बताते हुए उनकी पढ़ाई रोकने का आदेश रद कर दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने दिया है. छात्रों की ओर से कहा गया कि याचियों सहित 72 छात्रों को प्रवेश परीक्षा के आधार पर शैक्षणिक सत्र 2013-14 के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया था. उन्होंने अध्ययन करना भी शुरू कर दिया लेकिन बाद में उन्हें एमबीबीएस पाठ्यक्रम से इस आधार पर डिस्चार्ज दे दिया गया कि उन्होंने प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त किए हैं, जो प्रवेश के लिए न्यूनतम आवश्यकता है.
याचियों ने डिस्चार्ज आदेश को चुनौती दी तो हाईकोर्ट ने 26 फरवरी 2015 के अंतरिम आदेश से उन्हें राहत दे दी. उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के दौरान सभी याचियों को निगेटिव अंक भी दिए गए, जो नियमों के विपरीत था. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि विश्वविद्यालय ने 26 फरवरी के अंतरिम आदेश के अनुपालन में याचियों सहित 72 छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन बिना निगेटिव मार्किंग के किया है और सभी याचियों सहित छात्रों ने 50 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं.
विश्वविद्यालय ने इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए 23 मार्च 2015 और छह मई 2016 को संक्षिप्त जवाबी हलफनामा भी दाखिल किया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि इस बिंदु पर कोई विवाद नहीं है कि 26 फरवरी 2015 के अंतरिम आदेश के अनुपालन में याचियों सहित सभी 72 छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया गया है और उन्होंने न्यूनतम मानदंडों को पूरा किया है. विनियम 1997 के प्रावधानों के तहत प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक इस तथ्य के साथ जोड़े गए हैं कि उन्होंने एमबीबीएस कोर्स की डिग्री पूरी कर ली है और लखनऊ में यूपी मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत भी हैं. ऐसे में डिग्री वापस नहीं ली जा सकती है,
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