प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में चार्जशीट दाखिल होने और उस पर मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के बाद भी ट्रायल खत्म होने तक अग्रिम जमानत दी जा सकती है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सुशीला अग्रवाल केस के फैसले का हवाला देते हुए याची को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने उसे ट्रायल तक भारत न छोड़ने, पासपोर्ट कोर्ट में जमा करने, गवाहों को धमकी या प्रलोभन न देने, विचारण में सहयोग करने जैसी शर्तें लगाई हैं, जिनका पालन करना होगा.
यह आदेश न्यायाधीश सिद्धार्थ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि छात्र आदिल की अग्रिम जमानत अर्जी पर दिया है. याची पर सह अभियुक्त को शिकायतकर्ता पर गोली चलाने के उकसाने का आरोप है. कोर्ट ने कहा कि याची का आपराधिक इतिहास नहीं है. याची संभ्रान्त घर का है. पिता उसी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं. विवेचना के दौरान उसे अग्रिम जमानत मिली थी.
सरकार की तरफ से कहा गया कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. कोर्ट ने समन जारी कर दिया है. याची को नियमित जमानत अर्जी दाखिल करनी चाहिए. अग्रिम जमानत अर्जी पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों पर विचार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रायल खत्म होने तक अग्रिम जमानत दी जा सकती है.