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High court news: चोरी या गुम हुआ चेक धारा 138 एनआई एक्ट के दायरे में नहीं आता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चोरी हुआ या गुमशुदा चेक बाउंस हो जाने की स्थिति में धारा 138 एन आई एक्ट के दायरे में नहीं आएगा.

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Published : May 18, 2023, 9:17 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चोरी हुआ या गुमशुदा चेक बाउंस हो जाने की स्थिति में धारा 138 एन आई एक्ट के दायरे में नहीं आएगा. कोर्ट ने इस मामले में पहले से दर्ज आपराधिक केस के बावजूद तथ्य छिपाकर चेक बाउंस का परिवाद दाखिल करने को न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए दुरुपयोग करार देते हुए मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रही परिवाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद ने मुंबई के बॉबी आनंद उर्फ योगेश आनंद की याचिका पर दिया है.

मामले के अनुसार याची ने 31 अक्टूबर 2022 को मुंबई में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके कार्यालय से दो चेक चोरी हो गए हैं. इसकी सूचना उसने संबंधित बैंक को को भी दी थी. बैंक द्वारा याची को फोन करके बताया गया कि गुम हुए चेक में से एक चेक भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया गया था. इस पर याची ने विपक्षी के खिलाफ चोरी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया. इसके जवाब में विपक्षी ने उसके खिलाफ मथुरा की मजिस्ट्रेट कोर्ट में चेक बाउंस का परिवाद दर्ज करा दिया जिस पर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए याची को समन जारी कर दिया.

इस दौरान मुंबई में जांच अधिकारी ने जांच पूरी कर विपक्षियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसमें विपक्षीगण को इस शर्त पर जमानत मिली कि वह गुम हुआ दूसरा चेक जांच अधिकारी को लौटा देंगे मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया. मजिस्ट्रेट कोर्ट में दर्ज कराए गए परिवार में मुंबई में चल रही आपराधिक कार्रवाई की जानकारी भी छुपाई गई. कोर्ट ने तमाम न्यायिक निर्णय के हवाले से कहा कि चोरी हुआ या गुम हुआ चेक धारा 138 एन आई एक्ट के दायरे में नहीं आएगा. साथ ही कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि एक जांच प्रक्रिया लंबित रहने के दौरान प्रतिवादी ने तथ्य छुपाकर मजिस्ट्रेट कोर्ट में परिवाद दाखिल किया जो कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट मथुरा में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

ये भी पढ़ेंः छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी अधिवक्ता की जमानत हाईकोर्ट ने की नामंजूर

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चोरी हुआ या गुमशुदा चेक बाउंस हो जाने की स्थिति में धारा 138 एन आई एक्ट के दायरे में नहीं आएगा. कोर्ट ने इस मामले में पहले से दर्ज आपराधिक केस के बावजूद तथ्य छिपाकर चेक बाउंस का परिवाद दाखिल करने को न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए दुरुपयोग करार देते हुए मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रही परिवाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद ने मुंबई के बॉबी आनंद उर्फ योगेश आनंद की याचिका पर दिया है.

मामले के अनुसार याची ने 31 अक्टूबर 2022 को मुंबई में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके कार्यालय से दो चेक चोरी हो गए हैं. इसकी सूचना उसने संबंधित बैंक को को भी दी थी. बैंक द्वारा याची को फोन करके बताया गया कि गुम हुए चेक में से एक चेक भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया गया था. इस पर याची ने विपक्षी के खिलाफ चोरी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया. इसके जवाब में विपक्षी ने उसके खिलाफ मथुरा की मजिस्ट्रेट कोर्ट में चेक बाउंस का परिवाद दर्ज करा दिया जिस पर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए याची को समन जारी कर दिया.

इस दौरान मुंबई में जांच अधिकारी ने जांच पूरी कर विपक्षियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसमें विपक्षीगण को इस शर्त पर जमानत मिली कि वह गुम हुआ दूसरा चेक जांच अधिकारी को लौटा देंगे मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया. मजिस्ट्रेट कोर्ट में दर्ज कराए गए परिवार में मुंबई में चल रही आपराधिक कार्रवाई की जानकारी भी छुपाई गई. कोर्ट ने तमाम न्यायिक निर्णय के हवाले से कहा कि चोरी हुआ या गुम हुआ चेक धारा 138 एन आई एक्ट के दायरे में नहीं आएगा. साथ ही कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि एक जांच प्रक्रिया लंबित रहने के दौरान प्रतिवादी ने तथ्य छुपाकर मजिस्ट्रेट कोर्ट में परिवाद दाखिल किया जो कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट मथुरा में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

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