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कंसल्टेंसी पंजीकरण के लिए बिजली बिल मांगना मनमानी: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कंसल्टेंसी फर्म के पंजीकरण के लिए बिजली बिल मांगने पर जीएसटी विभाग को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज देने के बावजूद बिजली बिल की मांग को अवैध करार दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 12, 2022, 10:34 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने रोजगार मुहैया कराने की कंसल्टेंसी फर्म के पंजीकरण के लिए अनावश्यक परेशान करने वाले जीएसटी विभाग पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया है. हाईकोर्ट ने जुर्माना 20 दिन में विधिक सेवा समिति में जमाकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही हर्जाना राशि अधिकारियों से वसूल करने की भी छूट दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने रंजना सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों द्वारा व्यवसायी को परेशान करने को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा अधिकारियों के मनमाने रवैए की अनदेखी नहीं की जा सकती. इन्हें कानून सम्मत निष्पक्ष कार्य करना चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज देने के बावजूद बिजली बिल की मांग को अवैध करार दिया और पंजीकरण अर्जी निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने जीएसटी विभाग को एक हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

इसे भी पढ़ें-बाहुबली मुख्तार अंसारी की बीवी व साले की गिरफ्तारी पर रोक, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

याची रंजना सिंह के अधिवक्ता आलोक कुमार ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि याची ने कंसल्टेंसी के जरिए रोजगार मुहैया कराने के व्यवसाय के लिए पंजीकरण अर्जी दी, जिसपर अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण भी किया. इसके बाद याची को कारण बताओ नोटिस जारी कर बिजली बिल या गृह कर रसीद देने को कहा. याची ने बताया वह व्यवसाय स्थल का मालिक है. पैन कार्ड, आधार कार्ड,नगर निगम प्रयागराज की संपत्ति कर रसीद दी, जो कि कानून के तहत व्यवसाय के मुख्य स्थान के साक्ष्य है. अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि इसके बावजूद कब्जा साबित करने के लिए अद्यतन बिजली बिल की मांग की गई और अर्जी मनमाने तरीके से रद्द कर दी गई. आदेश के खिलाफ अपील भी खारिज हो गई तो याचिका में चुनौती दी गई थी.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने रोजगार मुहैया कराने की कंसल्टेंसी फर्म के पंजीकरण के लिए अनावश्यक परेशान करने वाले जीएसटी विभाग पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया है. हाईकोर्ट ने जुर्माना 20 दिन में विधिक सेवा समिति में जमाकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही हर्जाना राशि अधिकारियों से वसूल करने की भी छूट दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने रंजना सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों द्वारा व्यवसायी को परेशान करने को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा अधिकारियों के मनमाने रवैए की अनदेखी नहीं की जा सकती. इन्हें कानून सम्मत निष्पक्ष कार्य करना चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज देने के बावजूद बिजली बिल की मांग को अवैध करार दिया और पंजीकरण अर्जी निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने जीएसटी विभाग को एक हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

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याची रंजना सिंह के अधिवक्ता आलोक कुमार ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि याची ने कंसल्टेंसी के जरिए रोजगार मुहैया कराने के व्यवसाय के लिए पंजीकरण अर्जी दी, जिसपर अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण भी किया. इसके बाद याची को कारण बताओ नोटिस जारी कर बिजली बिल या गृह कर रसीद देने को कहा. याची ने बताया वह व्यवसाय स्थल का मालिक है. पैन कार्ड, आधार कार्ड,नगर निगम प्रयागराज की संपत्ति कर रसीद दी, जो कि कानून के तहत व्यवसाय के मुख्य स्थान के साक्ष्य है. अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि इसके बावजूद कब्जा साबित करने के लिए अद्यतन बिजली बिल की मांग की गई और अर्जी मनमाने तरीके से रद्द कर दी गई. आदेश के खिलाफ अपील भी खारिज हो गई तो याचिका में चुनौती दी गई थी.

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