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दीमक की तरह देश को खोखला कर रही साइबर ठगी, इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिएः हाईकोर्ट - Cyber ​​fraud hollowing the country like a termite

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि साइबर ठग दीमक की तरह पूरे देश को खोखला कर रहे हैं. देश की आर्थिक स्थिति कमजोर कर रहे हैं. साइबर ठगी का पैसा न डूबे इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 24, 2021, 10:05 PM IST

प्रयागराजः ईमानदार गरीब नागरिकों की गाढ़ी कमाई साइबर ठगी से कैसे सुरक्षित हो, इस मामले में केंद्र व राज्य सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि बैंक व पुलिस की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि साइबर ठग दीमक की तरह पूरे देश को खोखला कर रहे हैं. देश की आर्थिक स्थिति कमजोर कर रहे हैं. साइबर ठगी का पैसा न डूबे इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. अब इस मामले की अगली 14 सितंबर को होगी.

कोर्ट ने कहा कि एसपी क्राइम उप्र, एसपी क्राइम प्रयागराज व निरीक्षक साइबर क्राइम से प्रदेश व प्रयागराज में एक लाख से अधिक व 1 लाख से कम की साइबर ठगी के दर्ज अपराधों व उनकी स्थिति की जानकारी मांगी थी. किन्तु अधिकारियों के हलफनामे संतोषजनक नहीं है. इससे लगता है बैंक व पुलिस दोनों गंभीर नहीं है. सही प्रयास नहीं किए गए. लोगों की जीवन की पूंजी लुट गई. उनसे कह दिया जाता है कि ठगी दूर दराज इलाके से हुई. नक्सल एरिया में पुलिस भी जाने से डरती है, धन वापसी मुश्किल है. लोग भाग्य को दोष देकर बैठ जाते हैं. बैंक व पुलिस की सुस्ती का लाभ साइबर अपराधी उठाते हैं.

कोर्ट ने कहा जब जज भी सुरक्षित नहीं तो आम आदमी के बारे में क्या कहा जाए. राज्य सरकार को ठगी रोकने और बैंक व पुलिस की जवाबदेही तय करनी चाहिए. पूर्व जज से 1 लाख की ठगी हुई. गिरफ्तार अभियुक्त ने कहा कि गिरोह काम करता है. ये गाढ़े समय या शादी आदि के लिए जमा पैसे निकाल कर ले जाते हैं. उनके अरमानों पर पानी फेर देते हैं. बिचौलिए लोगों का पैसा न खा जाय प्रधानमंत्री ने जन-धन खाते खुलवाए. सरकारी योजनाओं का पैसा खाते में जमा किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें-दस्तावेज की टाइप कॉपी का दाखिला वकील के सत्यापन बगैर नहीं: हाईकोर्ट

अदालत काला धन रखने वाले सफेद पोश की बात नहीं कर रही. वह ईमानदार गरीब नागरिकों की बात कर रही, जिनका पैसा बैंक में जमा होता है और देश के विकास में खर्च होता है. ठगों की वजह से गरीब का पैसा बैंक में भी सुरक्षित नहीं है, जमा पैसे की गारंटी लेनी होगी. जिम्मेदारी तय हो कि गरीब का पैसा कैसे वापस आये. इसकी जिम्मेदारी किस पर तय हो. ग्राहकों के पैसे कैसे सुरक्षित हो, जिम्मेदारी तय किया जाना जरूरी है. केन्द्र, राज्य व रिजर्व बैंक से जवाब मांगा गया कि किस प्रकार ग्राहक का पैसा सुरक्षित हो.

प्रयागराजः ईमानदार गरीब नागरिकों की गाढ़ी कमाई साइबर ठगी से कैसे सुरक्षित हो, इस मामले में केंद्र व राज्य सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि बैंक व पुलिस की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि साइबर ठग दीमक की तरह पूरे देश को खोखला कर रहे हैं. देश की आर्थिक स्थिति कमजोर कर रहे हैं. साइबर ठगी का पैसा न डूबे इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. अब इस मामले की अगली 14 सितंबर को होगी.

कोर्ट ने कहा कि एसपी क्राइम उप्र, एसपी क्राइम प्रयागराज व निरीक्षक साइबर क्राइम से प्रदेश व प्रयागराज में एक लाख से अधिक व 1 लाख से कम की साइबर ठगी के दर्ज अपराधों व उनकी स्थिति की जानकारी मांगी थी. किन्तु अधिकारियों के हलफनामे संतोषजनक नहीं है. इससे लगता है बैंक व पुलिस दोनों गंभीर नहीं है. सही प्रयास नहीं किए गए. लोगों की जीवन की पूंजी लुट गई. उनसे कह दिया जाता है कि ठगी दूर दराज इलाके से हुई. नक्सल एरिया में पुलिस भी जाने से डरती है, धन वापसी मुश्किल है. लोग भाग्य को दोष देकर बैठ जाते हैं. बैंक व पुलिस की सुस्ती का लाभ साइबर अपराधी उठाते हैं.

कोर्ट ने कहा जब जज भी सुरक्षित नहीं तो आम आदमी के बारे में क्या कहा जाए. राज्य सरकार को ठगी रोकने और बैंक व पुलिस की जवाबदेही तय करनी चाहिए. पूर्व जज से 1 लाख की ठगी हुई. गिरफ्तार अभियुक्त ने कहा कि गिरोह काम करता है. ये गाढ़े समय या शादी आदि के लिए जमा पैसे निकाल कर ले जाते हैं. उनके अरमानों पर पानी फेर देते हैं. बिचौलिए लोगों का पैसा न खा जाय प्रधानमंत्री ने जन-धन खाते खुलवाए. सरकारी योजनाओं का पैसा खाते में जमा किया जा रहा है.

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अदालत काला धन रखने वाले सफेद पोश की बात नहीं कर रही. वह ईमानदार गरीब नागरिकों की बात कर रही, जिनका पैसा बैंक में जमा होता है और देश के विकास में खर्च होता है. ठगों की वजह से गरीब का पैसा बैंक में भी सुरक्षित नहीं है, जमा पैसे की गारंटी लेनी होगी. जिम्मेदारी तय हो कि गरीब का पैसा कैसे वापस आये. इसकी जिम्मेदारी किस पर तय हो. ग्राहकों के पैसे कैसे सुरक्षित हो, जिम्मेदारी तय किया जाना जरूरी है. केन्द्र, राज्य व रिजर्व बैंक से जवाब मांगा गया कि किस प्रकार ग्राहक का पैसा सुरक्षित हो.

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