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बीच सत्र में शिक्षकों के तबादले पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटाया

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Published : Dec 4, 2020, 7:02 PM IST

बेसिक शिक्षकों के अंतर्जनपदीय तबादलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. शिक्षा सत्र के मध्य में तबादलों पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी, लेकिन अब इस रोक को हाईकोर्ट ने हटा लिया है. कोर्ट ने सरकार को तबादलों की इजाजत दे दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षकों की बीच सत्र में तबादलों को हरी झंडी दे दी है. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से तबादले करने मांग में दाखिल अर्जी को स्वीकार करते हुए यह राहत दी है. कोर्ट ने दिव्या गोस्वामी केस में दिए अपने ही आदेश को संशोधित करते हुए सिर्फ मौजूदा सत्र के लिए यह मंजूरी दी है.

इसके साथ ही चिकित्सकीय आधार पर कभी भी स्थानांतरण करने की मांग की छूट भी दी है. इसे राज्य सरकार नीति के अनुसार मंजूरी दे सकेगी. यह आदेश न्यायाधीश अजीत कुमार ने दिया है. इससे पूर्व हाईकोर्ट ने तीन नंवबर के आदेश से अंत‌र्जनपदीय तबादलों को लेकर जारी सरकार की गाइडलाइन को मंजूरी दे दी थी. मगर कोर्ट ने बीच सत्र में किसी भी शिक्षक का तबादला करने पर रोक लगा दी थी.

अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि सरकार ने स्थानांतरण सूची तैयार कर ली है. कोर्ट के आदेश के कारण इसे लागू नहीं किया जा रहा है. वर्तमान सत्र में जब कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं तो बीच सत्र में स्थानांतरण से शिक्षण कार्य में बाधा नहीं आएगी. इसके विपरीत इसका लाभ उन स्कूलों को मिलेगा, जहां पद रिक्त हैं और अध्यापक नहीं हैं. ऐसे स्कूलों में शिक्षक न होने से प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य हासिल करने में दिक्कत आ रही है. कोरोना काल में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम उन स्कूलों में बेहतर मिले हैं, जहां शिक्षकों की पर्याप्त संख्या है. कोर्ट ने इस दलील पर सिर्फ मौजूदा सत्र के लिए बीच सत्र में स्थानांतरण करने की मंजूरी दी है.

इसी प्रकार से चिकित्सकीय आधार पर स्थानांतरण के संबंध में भी अपर महाधिवक्ता ने आदेश में ढील देने की मांग की. याची के अधिवक्ता नवीन शर्मा ने भी इसका विरोध नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि सरकार चिकित्सकीय आधार पर स्थानांतरण को मंजूरी देते समय अपनी गाइडलाइन का सख्ती से पालन करे.

24 नवंबर के आदेश में संशोधन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को तलब ‌किया था. उनसे बताने को कहा था कि सरकार शहरी क्षेत्र के सुविधा संपंन्न ‌स्कूलों के बच्चों और ग्रामीण परिवेश में रह रहे बच्चों की बीच की खाई पाटने के लिए क्या प्रयास कर रही है. कोर्ट के आदेश पर हाजिर हुए महानिदेशक विजय किरन आनंद और सचिव प्रताप सिंह बघेल ने कोर्ट को कोरोना काल में प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में ई-पाठशाला, वाट्सएप ग्रुप मैसेजिंग और दीक्षा ऐप जैसे साधनों से बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का प्रयास सरकार कर रही है. इसके नतीजे काफी उत्साह जनक हैं. यद्यपि अभी सफलता सीमित है, लेकिन पूरी उम्मीद है कि 100 फीसदी लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा. कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा पेश दस्तावेजों और जानकारियों को देखने के बाद कहा कि इससे लगता है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है. हालांकि अ‌भी भी डिजिटल खाई को पाटने में लंबा वक्त लगेगा.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षकों की बीच सत्र में तबादलों को हरी झंडी दे दी है. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से तबादले करने मांग में दाखिल अर्जी को स्वीकार करते हुए यह राहत दी है. कोर्ट ने दिव्या गोस्वामी केस में दिए अपने ही आदेश को संशोधित करते हुए सिर्फ मौजूदा सत्र के लिए यह मंजूरी दी है.

इसके साथ ही चिकित्सकीय आधार पर कभी भी स्थानांतरण करने की मांग की छूट भी दी है. इसे राज्य सरकार नीति के अनुसार मंजूरी दे सकेगी. यह आदेश न्यायाधीश अजीत कुमार ने दिया है. इससे पूर्व हाईकोर्ट ने तीन नंवबर के आदेश से अंत‌र्जनपदीय तबादलों को लेकर जारी सरकार की गाइडलाइन को मंजूरी दे दी थी. मगर कोर्ट ने बीच सत्र में किसी भी शिक्षक का तबादला करने पर रोक लगा दी थी.

अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि सरकार ने स्थानांतरण सूची तैयार कर ली है. कोर्ट के आदेश के कारण इसे लागू नहीं किया जा रहा है. वर्तमान सत्र में जब कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं तो बीच सत्र में स्थानांतरण से शिक्षण कार्य में बाधा नहीं आएगी. इसके विपरीत इसका लाभ उन स्कूलों को मिलेगा, जहां पद रिक्त हैं और अध्यापक नहीं हैं. ऐसे स्कूलों में शिक्षक न होने से प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य हासिल करने में दिक्कत आ रही है. कोरोना काल में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम उन स्कूलों में बेहतर मिले हैं, जहां शिक्षकों की पर्याप्त संख्या है. कोर्ट ने इस दलील पर सिर्फ मौजूदा सत्र के लिए बीच सत्र में स्थानांतरण करने की मंजूरी दी है.

इसी प्रकार से चिकित्सकीय आधार पर स्थानांतरण के संबंध में भी अपर महाधिवक्ता ने आदेश में ढील देने की मांग की. याची के अधिवक्ता नवीन शर्मा ने भी इसका विरोध नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि सरकार चिकित्सकीय आधार पर स्थानांतरण को मंजूरी देते समय अपनी गाइडलाइन का सख्ती से पालन करे.

24 नवंबर के आदेश में संशोधन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को तलब ‌किया था. उनसे बताने को कहा था कि सरकार शहरी क्षेत्र के सुविधा संपंन्न ‌स्कूलों के बच्चों और ग्रामीण परिवेश में रह रहे बच्चों की बीच की खाई पाटने के लिए क्या प्रयास कर रही है. कोर्ट के आदेश पर हाजिर हुए महानिदेशक विजय किरन आनंद और सचिव प्रताप सिंह बघेल ने कोर्ट को कोरोना काल में प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में ई-पाठशाला, वाट्सएप ग्रुप मैसेजिंग और दीक्षा ऐप जैसे साधनों से बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का प्रयास सरकार कर रही है. इसके नतीजे काफी उत्साह जनक हैं. यद्यपि अभी सफलता सीमित है, लेकिन पूरी उम्मीद है कि 100 फीसदी लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा. कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा पेश दस्तावेजों और जानकारियों को देखने के बाद कहा कि इससे लगता है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है. हालांकि अ‌भी भी डिजिटल खाई को पाटने में लंबा वक्त लगेगा.

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