प्रयागराज: लगभग 3 साल पहले मैनपुरी में स्कूल छात्रा से दुष्कर्म और उसकी हत्या किए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत सीलबंद रिपोर्ट शिकार करने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह रिपोर्ट दाखिल करने का सही तरीका नहीं है. सही तरीका यह है कि रिपोर्ट हलफनामे के साथ दाखिल की जाए. इस रिपोर्ट में कोई ऐसी संवेदनशील सूचना है, जिसे गोपनीय रखने की आवश्यकता है तो कोर्ट के सामने अर्जी देकर सीलबंद रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति ली जाए. अनुमित मिलने के बाद ही ऐसी रिपोर्ट दाखिल की जाए.
महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने सुनवाई की. अभियोजन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने कोर्ट के समक्ष सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे कोर्ट ने लेने से इंकार कर दिया. क्योंकि रिपोर्ट हलफनामे के साथ नहीं दी गई थी.
कोर्ट ने इस मामले में विवेचना की प्रगति रिपोर्ट अगली तारीख को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है तो चार्ज शीट की प्रति हलफनामे के साथ दाखिल की जाए. कोर्ट ने कहा कि यदि मुकदमे का ट्रायल शुरू हो चुका है तो अगली तारीख पर उसकी प्रगति के बारे में अदालत को अवगत कराया जाए. यह भी बताने के लिए कहा है कि क्या जांच के दौरान शिकायतकर्ता की ओर से केस ट्रांसफर करने की मांग को लेकर के कोई अर्जी दी गई थी. यदि ऐसी कोई अर्जी दी गई थी तो उस पर क्या निर्णय लिया गया. अदालत ने अभियोजन को 2 सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
उल्लेखनीय मैनपुरी में स्कूल छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या का मामला हाई कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद चर्चा में आया. इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई. मगर याचिकाकर्ता की ओर से एसआईटी की जांच के तरीके पर भी सवाल उठाए गए. आरोप है कि प्रमुख आरोपियों को बचाया जा रहा है. हालांकि जांच एजेंसी का कहना है कि इस मामले में साढे चार सो लोगों के डीएनए सैंपल लेकर के जांच की जा चुकी है मगर आरोपी का पता नहीं चला.
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