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सहायक अध्यापक भर्ती: ऑनलाइन आवेदन में संशोधन की अनुमति देने से इनकार

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Published : Dec 15, 2020, 3:54 PM IST

69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑनलाइन आवेदन में संशोधन की अनुमति देने से इनकार कर दिया. साथ ही कोर्ट ने 4 दिसंबर 2020 के शासनादेश की वैधता की चुनौती याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में ऑनलाइन आवेदन की त्रुटि सुधारने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने 4 दिसंबर 2020 के शासनादेश की वैधता की चुनौती याचिकाएं खारिज कर दी हैं. कोर्ट ने शासनादेश को विभेदकारी मानने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह नियम 14 के विपरीत नहीं है.

यह आदेश न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने पवन कुमार व 26 अन्य सहित कई याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर. के ओझा, एच. एन सिंह, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एम. सी चतुर्वेदी व मुख्य स्थायी अधिवक्ता विपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा.

कोर्ट ने साफ कर दिया कि विज्ञापन में ही ऑनलाइन आवेदन की प्रविष्टि अंतिम होगी. संशोधन की अनुमति नहीं दी जायेगी. अभ्यर्थी ने भी इस आशय की घोषणा भी की है. शासनादेश नियम 14 के खिलाफ नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यदि भर्ती के बीच में आवेदन में दर्ज प्रविष्टि को दुरुस्त करने की अनुमति दी गई तो पूरी प्रक्रिया पटरी से उतर जाएगी. कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को शासनादेश के अनुसार मूल्यांकन कर कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि कुल 4 लाख 31 हजार 466 आवेदन आए, जिसमें से 4 लाख 9 हजार 530 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे. क्वालिटी प्वाइंट मार्क से 1 लाख 46 हजार 60 अभ्यर्थी योग्य घोषित किये गये हैं. यदि निर्देशों का पालन करने में गलती करने वालों को सुधारने की छूट दी गई तो चयनित अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी होगी. प्रत्येक चयनित अभ्यर्थियों ने जितने अंक हैं, उसी आधार पर नियुक्ति को स्वीकार किया है. चयन व नियुक्ति जिला वरीयता की मेरिट के आधार पर की गई है. कोर्ट के फैसले से चयन प्रक्रिया की अडचन खत्म हो गई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में ऑनलाइन आवेदन की त्रुटि सुधारने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने 4 दिसंबर 2020 के शासनादेश की वैधता की चुनौती याचिकाएं खारिज कर दी हैं. कोर्ट ने शासनादेश को विभेदकारी मानने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह नियम 14 के विपरीत नहीं है.

यह आदेश न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने पवन कुमार व 26 अन्य सहित कई याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर. के ओझा, एच. एन सिंह, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एम. सी चतुर्वेदी व मुख्य स्थायी अधिवक्ता विपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा.

कोर्ट ने साफ कर दिया कि विज्ञापन में ही ऑनलाइन आवेदन की प्रविष्टि अंतिम होगी. संशोधन की अनुमति नहीं दी जायेगी. अभ्यर्थी ने भी इस आशय की घोषणा भी की है. शासनादेश नियम 14 के खिलाफ नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यदि भर्ती के बीच में आवेदन में दर्ज प्रविष्टि को दुरुस्त करने की अनुमति दी गई तो पूरी प्रक्रिया पटरी से उतर जाएगी. कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को शासनादेश के अनुसार मूल्यांकन कर कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि कुल 4 लाख 31 हजार 466 आवेदन आए, जिसमें से 4 लाख 9 हजार 530 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे. क्वालिटी प्वाइंट मार्क से 1 लाख 46 हजार 60 अभ्यर्थी योग्य घोषित किये गये हैं. यदि निर्देशों का पालन करने में गलती करने वालों को सुधारने की छूट दी गई तो चयनित अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी होगी. प्रत्येक चयनित अभ्यर्थियों ने जितने अंक हैं, उसी आधार पर नियुक्ति को स्वीकार किया है. चयन व नियुक्ति जिला वरीयता की मेरिट के आधार पर की गई है. कोर्ट के फैसले से चयन प्रक्रिया की अडचन खत्म हो गई है.

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