प्रयागराज : हाईकोर्ट ने गौ तस्करी के एक मामले में आरोपी के पिता की ओर से ई-मेल से की गई शिकायत को ही याचिका मान लिया. इस मामले में कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज व नवाबगंज इंस्पेक्टर से पूछा कि आरोपी 17 से 19 मई तक पुलिस की हिरासत में था, तो वह उसी समय गौ तस्करी कैसे कर सकता है? यह कार्यवाही न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने की है.
अधिवक्ता मोहम्मद हारिश के अनुसार, पुलिस ने 19 मई को आरोपी मोहम्मद अशरफ के खिलाफ गौ तस्करी का केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया था. अशरफ के पिता मोहम्मद यूसुफ ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ई-मेल करके पुलिस पर बेटे मोहम्मद अशरफ को गौ तस्करी के झूठे मुकदमे में फंसाने का अरोप लगाया था. आरोपी के पिता ने मेल भेजकर बताया था कि उसके बेटे को नवाबगंज पुलिस ने 17 मई 2022 को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दो दिन आरोपी को पुलिस थाने में रखा और 19 मई को उसके खिलाफ गौ तस्करी का केस दर्ज कर जेल भेज दिया.
आरोपी के पिता ने सवाल किया था कि जब उनका बेटा 2 दिन से थाने में पुलिस की हिरासत में था, तो वह गौ तस्करी कैसे कर सकता है? चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने मेल को ही जनहित याचिका मानते हुए मामले को खंडपीठ के समक्ष भेज दिया. खंडपीठ ने 30 मई को मोहम्मद अशरफ को हाजिर करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज व नवाबगंज इंस्पेक्टर को भी तलब किया था.
कोर्ट ने प्रयागराज पुलिस के इस कृत्य पर नाराजगी जताई और नवाबगंज इंस्पेक्टर व एसएसपी को फटकार लगाई. साथ ही नवाबगंज इंस्पेक्टर और एसएसपी को 3 सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा देने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने गौ-तस्करी के आरोप में गिरफ्तार मोहम्मद अशरफ को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया.
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