प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज जिले में सक्रिय एक ऐसे गैंग की सीबीआई जांच करने का आदेश दिया है. जो निर्दोष लोगों को फर्जी दुष्कर्म और एससी- एसटी जैसे गंभीर मुकदमों में फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूलता है. मामला तब खुला जब ऐसे ही एक मुकदमे में हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता के खिलाफ दर्ज मुकदमे का शीघ्र निस्तारण का आदेश देने के लिए शिकायतकर्ता की ओर से अर्जी दाखिल की गई. मांग की गई कि उक्त अर्जी के शीघ्र निस्तारण का आदेश दिया जाए.
मुकदमे में अभियुक्त बनाए गए अधिवक्ता ने जब हाईकोर्ट के समक्ष सच्चाई रखी तो कोर्ट ने शिकायतकर्ता को भी अदालत में तलब किया गया. कोर्ट को बताया गया कि जिले में एक ऐसा गैंग काम कर रहा है, जिसमें कुछ अधिवक्ता और हाईप्रोफाइल लोग भी शामिल है. ये लोग महिलाओं के माध्यम से निर्दोष लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराते हैं और फिर मुकदमा वापस लेने के नाम पर उनसे मोटी रकम की मांग करता है. उसके वकील को भी इस बात के लिए धमकाया जाता है कि वह मुकदमे में पैरवी न करें. यदि वकील ऐसा करने से मना कर देते हैं तो उनके खिलाफ भी दुष्कर्म और एससी एसटी जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है.
अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार पांडे द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष 50 ऐसे मुकदमों की सूची प्रस्तुत की गई, जो इस गैंग द्वारा निर्दोष लोगों के खिलाफ दर्ज कराए गए हैं. इनमें से अकेले 36 मामले मऊआइमा थाने के हैं और शेष मामले शहर और देहात क्षेत्र के विभिन्न थानों में दर्ज कराए गए हैं. इनमें ग्राम प्रधान से लेकर अधिवक्ताओं तक को आरोपी बनाया गया है.
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चार्जशीट दाखिल होने पर सरकार से मिलती है मोटी रकम
कोर्ट को बताया गया कि रेप और एससी एसटी के तहत दर्ज मुकदमे में चार्जशीट दाखिल होने पर पीड़ित को सरकार की ओर से मोटी रकम दिए जाने का प्रावधान है. फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर सरकार से रकम प्राप्त की जाती है और फिर गैंग के सदस्य से आपस में बांट लेते हैं. इसके अलावा अभियुक्त बनाए गए व्यक्ति पर भी रकम देने के लिए दबाव डाला जाता है.
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने सीबीआई के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश को निर्देश दिया है कि सीबीआई इस मामले में 20 अक्टूबर तक प्रारंभिक जांच कर अपनी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करें. कोर्ट ने इस दौरान इन मामलों से सम्बंधित किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं करने का निर्देश दिया है.
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