इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने महानिबंधक से कहा है कि वह आपराधिक मामलों में दाखिल याचिकाओं में याची के रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों और उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के अलावा किसी अन्य का हलफनामा स्वीकार न करें. मुजफ्फरनगर के नदीम की अर्जी की सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दिया है.
पुलिस ने नदीम की अर्जी पर दाखिल हलफनामे में रवींद्र नाम के व्यक्ति का शपथ पत्र लगाया था. रवींद्र ने हलफनामे में कहा कि वह नदीम का निकट मित्र है, जबकि उसमें लगे फोटो से मालूम पड़ रहा था कि रवींद्र की आयु वरिष्ठ नागरिक जितनी है.
जिस पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले बहुत देखने में आ रहे हैं. जब अभियुक्तों की ओर से दाखिल होने वाली जमानत अर्जी में दाखिल हलफनामे में कहा जाता है कि शपथकर्ता अभियुक्त का मित्र है. अभियुक्त के परिवार के लोग या रिश्तेदार आगे नहीं आ रहे हैं. इस स्थिति में किसी भी ऐसे व्यक्ति का हलफनामा स्वीकार न किया जाए, जो अभियुक्त का रिश्तेदार या परिवार का सदस्य न हो. यदि ऐसा करना पड़े तो शपथ पत्र दाखिल करने वाले को रिश्तेदार अथवा परिवार के सदस्यों द्वारा इस कार्य हेतु अधिकृत किया जाना चाहिए. अन्यथा बाहरी व्यक्ति के हलफनामे को स्वीकार न किया जाए.