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आपराधिक मामलों में याची के परिजन और रिश्तेदार ही दाखिल कर सकते हैं हलफ़नामा: हाईकोर्ट - prayagraj latest news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि किसी मामले में दाखिल हलफनामा याची के नजदीकी रिश्तेदार का होना चाहिए या फिर परिवार के सदस्य अथवा उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति का होना चाहिए.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 9, 2020, 11:47 PM IST

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने महानिबंधक से कहा है कि वह आपराधिक मामलों में दाखिल याचिकाओं में याची के रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों और उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के अलावा किसी अन्य का हलफनामा स्वीकार न करें. मुजफ्फरनगर के नदीम की अर्जी की सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दिया है.


पुलिस ने नदीम की अर्जी पर दाखिल हलफनामे में रवींद्र नाम के व्यक्ति का शपथ पत्र लगाया था. रवींद्र ने हलफनामे में कहा कि वह नदीम का निकट मित्र है, जबकि उसमें लगे फोटो से मालूम पड़ रहा था कि रवींद्र की आयु वरिष्ठ नागरिक जितनी है.


जिस पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले बहुत देखने में आ रहे हैं. जब अभियुक्तों की ओर से दाखिल होने वाली जमानत अर्जी में दाखिल हलफनामे में कहा जाता है कि शपथकर्ता अभियुक्त का मित्र है. अभियुक्त के परिवार के लोग या रिश्तेदार आगे नहीं आ रहे हैं. इस स्थिति में किसी भी ऐसे व्यक्ति का हलफनामा स्वीकार न किया जाए, जो अभियुक्त का रिश्तेदार या परिवार का सदस्य न हो. यदि ऐसा करना पड़े तो शपथ पत्र दाखिल करने वाले को रिश्तेदार अथवा परिवार के सदस्यों द्वारा इस कार्य हेतु अधिकृत किया जाना चाहिए. अन्यथा बाहरी व्यक्ति के हलफनामे को स्वीकार न किया जाए.

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने महानिबंधक से कहा है कि वह आपराधिक मामलों में दाखिल याचिकाओं में याची के रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों और उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के अलावा किसी अन्य का हलफनामा स्वीकार न करें. मुजफ्फरनगर के नदीम की अर्जी की सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दिया है.


पुलिस ने नदीम की अर्जी पर दाखिल हलफनामे में रवींद्र नाम के व्यक्ति का शपथ पत्र लगाया था. रवींद्र ने हलफनामे में कहा कि वह नदीम का निकट मित्र है, जबकि उसमें लगे फोटो से मालूम पड़ रहा था कि रवींद्र की आयु वरिष्ठ नागरिक जितनी है.


जिस पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले बहुत देखने में आ रहे हैं. जब अभियुक्तों की ओर से दाखिल होने वाली जमानत अर्जी में दाखिल हलफनामे में कहा जाता है कि शपथकर्ता अभियुक्त का मित्र है. अभियुक्त के परिवार के लोग या रिश्तेदार आगे नहीं आ रहे हैं. इस स्थिति में किसी भी ऐसे व्यक्ति का हलफनामा स्वीकार न किया जाए, जो अभियुक्त का रिश्तेदार या परिवार का सदस्य न हो. यदि ऐसा करना पड़े तो शपथ पत्र दाखिल करने वाले को रिश्तेदार अथवा परिवार के सदस्यों द्वारा इस कार्य हेतु अधिकृत किया जाना चाहिए. अन्यथा बाहरी व्यक्ति के हलफनामे को स्वीकार न किया जाए.

[09/01, 18:07] Krishna Ji Shukla: परिवार, रिश्तेदार या इनके अधिकृत ही कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं हलफ़नामा  -हाईकोर्ट 

प्रयागराज 9जनवरी 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महा निबंधक से  कहा है कि वह आपराधिक मामलों में दाखिल याचिकाओं,अर्जिओ  में याची के  नजदीकी रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति  के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दाखिल हलफनामा स्वीकार न करें । कोर्ट ने कहा है कि या तो हलफनामा याची के नजदीकी रिश्तेदार का हो या फिर परिवार के सदस्य अथवा उनके  अधिकृत व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जाए। 
मुजफ्फरनगर के नदीम की अर्जी  की सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दिया है। 
पुलिस स्टाफ नदीम की अर्जी पर दाखिल हलफनामे में रवींद्र नाम के व्यक्ति का शपथ पत्र लगा था। रवींद्र ने हलफनामे में कहा कि  वह नदीम का निकट मित्र है ।मगर उस पर चस्पा फोटो से ऐसा लग रहा था कि रवींद्र की आयु वरिष्ठ नागरिक जितनी है ।
 कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले बहुत देखने में आ रहे हैं। जब अभियुक्तों की ओर से दाखिल होने वाली जमानत अर्जी में दाखिल हलफनामे में कहा जाता है की शपथ कर्ता अभियुक्त का मित्र है । अभियुक्त के परिवार के लोग या रिश्तेदार आगे नहीं आ रहे हैं ।इस स्थिति में किसी भी ऐसे व्यक्ति का हलफनामा स्वीकार न किया जाए ,जो अभियुक्त का रिश्तेदार या परिवार का सदस्य न हो ।यदि ऐसा करना पड़े तो शपथ पत्र दाखिल करने वाले  को रिश्तेदार अथवा परिवार के सदस्यों द्वारा इस कार्य हेतु अधिकृत किया जाना चाहिए।
अन्यथा बाहरी व्यक्ति के हलफनामे को स्वीकार न किया जाय।
[09/01, 18:14] Krishna Ji Shukla: प्रयागराज 9जनवरी 
 इलाहाबाद हाईकोर्ट में टीजीटी शारीरिक परीक्षा में पूछे गए एक प्रश्न के सही उत्तर को लेकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से जवाब मांगा है। 
कोर्ट ने चयन बोर्ड से पूछा है कि हाकी का मैच कैसे शुरू होता है, इसका सही उत्तर क्या है ?
 इस प्रश्न को लेकर उठे विवाद के कारण याचिका दाखिल की गई है।
 प्रमोद कुमार पाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने दिया है। 
याचिका पर अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।
 याची के अधिवक्ता सीमान्त सिंह का कहना था कि याची ने 8 मार्च 2019 को आयोजित परीक्षा दी थी। 26 मार्च 19 को इसकी पहली उत्तर कुंजी जारी की गई। जिसमें याची द्वारा दिए गए जवाब सही थे ।
5 अक्टूबर 19 को जारी संशोधित उत्तर कुंजी में याची का एक प्रश्न गलत हो गया। इस प्रश्न में पूछा गया था कि हॉकी का मैच कैसे प्रारंभ होता है। याची ने अपने विकल्प में "पीछे पास देकर "जवाब लिखा। जबकि पुनरीक्षित उत्तर कुंजी  में चयन बोर्ड ने इसका जवाब "हिट लगा कर दिया"। याची का कहना था कि पहली उत्तर कुंजी  में उसके जवाब को ही सही माना गया था। इस पर कोर्ट ने  इस एक प्रश्न पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।याचिका की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।
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