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श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवादः शाही ईदगाह हिंदुओं को सौंपने के मामले में एक बार फिर सुनवाई टली

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में एक याचिका दाखिल कर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित शाही ईदगाह के विवादित परिसर को हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है.

Chief Justice Pritinkar Diwakar
Chief Justice Pritinkar Diwakar
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Published : Aug 7, 2023, 10:37 PM IST

प्रयागराज: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित शाही ईदगाह का विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अब 23 अगस्त की तारीख नियत की है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई में बेहतर कनेक्टिविटी नहीं होने पर दिया. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर याची को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महक महेश्वरी की ओर से दाखिल जनहित याचिका सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस कोर्ट में सोमवार को मेंशन की गई थी. जनहित याचिका में शाही ईदगाह परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है. साथ ही मुकदमे का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की भी मांग की गई है. दावा किया गया है कि विवादित परिसर पहले मंदिर था. मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई है. जिस जगह मस्जिद है, द्वापर युग में वहां कंस ने भगवान श्रीकृष्ण के माता पिता को कैद करके रखा था.

बता दें कि 2020 में भी यह जनहित याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन 19 जनवरी 2021 को सुनवाई के दौरान वकील के उपस्थित न होने कारण खारिज कर दी गई थी. तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ के समक्ष याची अधिवक्ता व्यक्तिगत रूप से हाजिर हुए थे और उन्होंने जनहित याचिका को रिस्टोर करने का आग्रह किया था।.कोर्ट ने मार्च 2022 में इस जनहित याचिका को रेस्टोर कर लिया था. साथ ही इसे सुनवाई के लिए दोबारा पेश किए जाने का निर्देश दिया था.

प्रयागराज: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित शाही ईदगाह का विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अब 23 अगस्त की तारीख नियत की है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई में बेहतर कनेक्टिविटी नहीं होने पर दिया. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर याची को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महक महेश्वरी की ओर से दाखिल जनहित याचिका सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस कोर्ट में सोमवार को मेंशन की गई थी. जनहित याचिका में शाही ईदगाह परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है. साथ ही मुकदमे का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की भी मांग की गई है. दावा किया गया है कि विवादित परिसर पहले मंदिर था. मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई है. जिस जगह मस्जिद है, द्वापर युग में वहां कंस ने भगवान श्रीकृष्ण के माता पिता को कैद करके रखा था.

बता दें कि 2020 में भी यह जनहित याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन 19 जनवरी 2021 को सुनवाई के दौरान वकील के उपस्थित न होने कारण खारिज कर दी गई थी. तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ के समक्ष याची अधिवक्ता व्यक्तिगत रूप से हाजिर हुए थे और उन्होंने जनहित याचिका को रिस्टोर करने का आग्रह किया था।.कोर्ट ने मार्च 2022 में इस जनहित याचिका को रेस्टोर कर लिया था. साथ ही इसे सुनवाई के लिए दोबारा पेश किए जाने का निर्देश दिया था.

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