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हाईकोर्ट ने फर्जी लॉ वेबसाइट बंद कराने का बार काउंसिल को दिया निर्देश - फर्जी कानून वेबसाइट बंद करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को फर्जी लॉ वेबसाइट को बंद कराने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Mar 27, 2023, 9:50 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा है कि ऐसी लॉ वेबसाइट जो बार काउंसिल द्वारा गैर अनुमोदित पाठ्यक्रम चला रही हैं, उनकी जांच कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उचित कदम उठाया जाए. इस मामले को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिया.

याचिकाकर्ता का कहना था कि कई ऐसी वेबसाइटों पर लॉ कोर्स चलाए जा रहे हैं जो कि तय पाठ्यक्रम के अनुसार नहीं है. इन कोर्सों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अनुमोदित नहीं किया है. इन पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिकृत पाठ्यक्रम नहीं है. याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन मोड से चलाए जा रहे हैं ऐसे कुछ पाठ्यक्रमों का उदाहरण भी अदालत में प्रस्तुत किया. कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है तो इस पर कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है. मगर इस स्तर पर यह याचिका परिपक्व को नहीं है क्योंकि अभी तक इस मामले की कोई जांच नहीं हुई है. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि यदि याची बार काउंसिल को सभी जानकारियों के साथ प्रार्थना पत्र दे देकर ऐसी शिकायत करता है तो बार काउंसिल उस की बारीकी से जांच करें तथा ऐसी फर्जी वेबसाइटों को बंद कराने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करें. कोर्ट ने बार काउंसिल को यह कार्रवाई प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के 3 माह के भीतर करने का निर्देश दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा है कि ऐसी लॉ वेबसाइट जो बार काउंसिल द्वारा गैर अनुमोदित पाठ्यक्रम चला रही हैं, उनकी जांच कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उचित कदम उठाया जाए. इस मामले को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिया.

याचिकाकर्ता का कहना था कि कई ऐसी वेबसाइटों पर लॉ कोर्स चलाए जा रहे हैं जो कि तय पाठ्यक्रम के अनुसार नहीं है. इन कोर्सों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अनुमोदित नहीं किया है. इन पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिकृत पाठ्यक्रम नहीं है. याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन मोड से चलाए जा रहे हैं ऐसे कुछ पाठ्यक्रमों का उदाहरण भी अदालत में प्रस्तुत किया. कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है तो इस पर कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है. मगर इस स्तर पर यह याचिका परिपक्व को नहीं है क्योंकि अभी तक इस मामले की कोई जांच नहीं हुई है. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि यदि याची बार काउंसिल को सभी जानकारियों के साथ प्रार्थना पत्र दे देकर ऐसी शिकायत करता है तो बार काउंसिल उस की बारीकी से जांच करें तथा ऐसी फर्जी वेबसाइटों को बंद कराने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करें. कोर्ट ने बार काउंसिल को यह कार्रवाई प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के 3 माह के भीतर करने का निर्देश दिया है.

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