प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने झांसी स्थित थाना एरच के अमर सिंह उर्फ पप्पू यादव की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा है कि शर्तों का उल्लघंन करने पर जमानत निरस्त की जा सकती है.
यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने अमर सिंह की अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है. अर्जी पर अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा ने बहस की. अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा ने कोर्ट में दलील दी कि नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ करने, धमकाने व आत्महत्या के लिए मजबूर करने का याची पर आरोप निराधार है. याची ने आत्महत्या के लिए उकसाया नहीं है.
उल्लेखनीय है कि पीड़िता के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई कि आकाश स्कूल जाते समय उसकी लड़की को छेड़ता था. 6 नवंबर 2020 को शाम 4 बजे जब वह स्कूल जा रही थी तो आकाश ने छेड़छाड़ की. शोर मचाने पर वह भाग गया और फिर अपने दोस्त कमल और पिता अमर सिंह उर्फ पप्पू यादव के साथ घर आया और कहा कि शादी करो या आत्महत्या कर लो. वे गाली गलौज करने लगे और धमकाते हुए चले गए.
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मृतका को उल्टी हो रही थी तो बताया जहर खा लिया है. लड़की को अस्पताल में ले गये जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई. याची का कहना था कि वह मुख्य आरोपी आकाश का पिता है. सह अभियुक्त कमल को जमानत मिल चुकी है. याची 8 नवंबर 2020 से जेल में बंद है, उसे भी जमानत पर रिहा किया जाए. कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर कर ली है.
नशे का कारोबार करने के आरोपी की सशर्त जमानत मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मादक द्रव्य पदार्थ निरोधक कानून के तहत जेल में बंद शाहजहांपुर के मनोज डोग्गी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है और व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 21के अधिकार को लेकर दाताराम केस व जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों व कोविड 19 के संक्रमण को देखते हुए दिया हैय अर्जी पर वरिष्ठ अधिवक्ता दया शंकर मिश्र व चंद्र केश मिश्र ने बहस की.
अधिवक्ता का कहना था कि याची की गिरफ्तारी व फर्द बरामदगी में कानूनी उपबंधों का पालन नहीं किया गया है. याची 19 मई 2020 से जेल में बंद हैं. कोर्ट ने कहा जेलें कैदियों से भरी है. कोरोना संक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की है. कोर्ट ने उपलब्ध साक्ष्य व अपराध में मिलने वाले दंड की संभावना को देखते हुए जमानत मंजूर किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि याची विचारण में सहयोग करेगा और साक्ष्यों गवाहों से छेड़छाड़ नहीं करेगा. इसके साथ ही अपराध में लिप्त नहीं होगा. यदि इन शर्तों का उल्लघंन किया गया तो जमानत को निरस्त करने का आधार होगा.