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झूठे मुकदमें में फंसाने वाले गैंग की जांच के लिए हाईकोर्ट ने सीबीआई को दी और मोहलत

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने झूठे मुकदमों में फंसा कर ब्लैकमेल करने वाले गिरोह की जांच कर रही सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए और समय दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 2, 2023, 10:34 PM IST

प्रयागराजः आम लोगों तथा अधिवक्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसा कर उनको ब्लैकमेल करने वाले गिरोह की जांच कर रही सीबीआई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच पूरी करने के लिए और समय दिया है. साथ ही हाईकोर्ट ने महिला अधिवक्ता रोशन जहां सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआई जांच कराए जाने को लेकर दाखिल आवेदन को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की आरंभिक जांच सीबीआई कर चुकी है और बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश भी इस पर संज्ञान ले चुका है. लिहाजा आवेदक ट्रायल कोर्ट के समक्ष उचित उपचार के लिए आवेदन प्रस्तुत करें. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से भी कहा है कि वह मुकदमा दर्ज करने वाली रोशन जहां सिद्दीकी की गतिविधियों, क्रियाकलापों और बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश द्वारा उसके संबंध में पारित आदेश के मद्दे नजर निर्णय लें. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डॉक्टर गौतम चौधरी कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने एक महिला निक्की देवी द्वारा दाख़िल धारा 482 के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पाया कि प्रयागराज में एक ऐसा गैंग सक्रिय है जो लोगों को झूठे मुकदमों में फंसा करके उनको ब्लैकमेल करता है और रकम ऐठता है. इस गैंग में कई अधिवक्ता भी शामिल है. इस गैंग का शिकार होने वाले कई अधिवक्ता भी है, जिन्होंने कोर्ट के सामने उपस्थित होकर आपबीती बताई. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था. सीबीआई प्रकरण की जांच कर रही है.

इस बीच हाई कोर्ट के दो अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी और मुशीर अहमद सिद्दीकी ने इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की. जिसमें कहा गया कि महिला अधिवक्ता रोशन जहां सिद्दीकी ने उनको फर्जी मुकदमे में फंसाया है, क्योंकि उन्होंने कोरोना में उसकी आर्थिक मदद की थी. बाद में वह रकम वापस मांगने पर उसने धमकी दी. तब अधिवक्ताओं ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया, जिसके जवाब में रोशन जहां ने अधिवक्ताओं के खिलाफ भी फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए. उन्होंने इसकी शिकायत बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से की थी.

बार काउंसिल ने सभी तथ्यों और सबूतों को देखने के बाद अधिवक्ता रोशन जहां को 10 साल के लिए वकालत से प्रतिबंधित कर दिया है. प्रार्थना पत्र में मांग की गई थी कि इस मामले की प्रारंभिक जांच सीबीआई से कराई जाए. कोर्ट ने प्रार्थना पत्र यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि याची के पास ट्रायल कोर्ट के समक्ष उचित उपचार पाने का विकल्प मौजूद है साथ ही ट्रायल कोर्ट को भी कहा है कि वह समस्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित आदेश पारित करें इसी मामले में सीबीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि सीबीआई मामले की जांच कर रही है. मगर उसे विवेचना पूरी करने के लिए कुछ और समय चाहिए जिस पर कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी 2024 नियत करते हुए अगली सुनवाई पर सीबीआई के इंस्पेक्टर को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है एक अन्य प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने आवेदक को अपने मामले में सीबीआई को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी है.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने छतनाग रोड चौड़ीकरण में बिना अधिग्रहण भूमि न लेने का दिया निर्देश

प्रयागराजः आम लोगों तथा अधिवक्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसा कर उनको ब्लैकमेल करने वाले गिरोह की जांच कर रही सीबीआई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच पूरी करने के लिए और समय दिया है. साथ ही हाईकोर्ट ने महिला अधिवक्ता रोशन जहां सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआई जांच कराए जाने को लेकर दाखिल आवेदन को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की आरंभिक जांच सीबीआई कर चुकी है और बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश भी इस पर संज्ञान ले चुका है. लिहाजा आवेदक ट्रायल कोर्ट के समक्ष उचित उपचार के लिए आवेदन प्रस्तुत करें. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से भी कहा है कि वह मुकदमा दर्ज करने वाली रोशन जहां सिद्दीकी की गतिविधियों, क्रियाकलापों और बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश द्वारा उसके संबंध में पारित आदेश के मद्दे नजर निर्णय लें. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डॉक्टर गौतम चौधरी कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने एक महिला निक्की देवी द्वारा दाख़िल धारा 482 के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पाया कि प्रयागराज में एक ऐसा गैंग सक्रिय है जो लोगों को झूठे मुकदमों में फंसा करके उनको ब्लैकमेल करता है और रकम ऐठता है. इस गैंग में कई अधिवक्ता भी शामिल है. इस गैंग का शिकार होने वाले कई अधिवक्ता भी है, जिन्होंने कोर्ट के सामने उपस्थित होकर आपबीती बताई. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था. सीबीआई प्रकरण की जांच कर रही है.

इस बीच हाई कोर्ट के दो अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी और मुशीर अहमद सिद्दीकी ने इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की. जिसमें कहा गया कि महिला अधिवक्ता रोशन जहां सिद्दीकी ने उनको फर्जी मुकदमे में फंसाया है, क्योंकि उन्होंने कोरोना में उसकी आर्थिक मदद की थी. बाद में वह रकम वापस मांगने पर उसने धमकी दी. तब अधिवक्ताओं ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया, जिसके जवाब में रोशन जहां ने अधिवक्ताओं के खिलाफ भी फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए. उन्होंने इसकी शिकायत बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से की थी.

बार काउंसिल ने सभी तथ्यों और सबूतों को देखने के बाद अधिवक्ता रोशन जहां को 10 साल के लिए वकालत से प्रतिबंधित कर दिया है. प्रार्थना पत्र में मांग की गई थी कि इस मामले की प्रारंभिक जांच सीबीआई से कराई जाए. कोर्ट ने प्रार्थना पत्र यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि याची के पास ट्रायल कोर्ट के समक्ष उचित उपचार पाने का विकल्प मौजूद है साथ ही ट्रायल कोर्ट को भी कहा है कि वह समस्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित आदेश पारित करें इसी मामले में सीबीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि सीबीआई मामले की जांच कर रही है. मगर उसे विवेचना पूरी करने के लिए कुछ और समय चाहिए जिस पर कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी 2024 नियत करते हुए अगली सुनवाई पर सीबीआई के इंस्पेक्टर को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है एक अन्य प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने आवेदक को अपने मामले में सीबीआई को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी है.

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