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कोविड फंड में 25 हजार जमा करने की शर्त पर गैंगस्टर को हाईकोर्ट से मिली जमानत

हाईकोर्ट ने जेल में बंद गैंगस्टर के आरोपी को 25 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आरोपी से कहा है कि कोविड-19 के लिए बने सीएम राहत कोष में 25 हजार रुपये जमा कर अधीनस्थ न्यायालय में इसकी रसीद प्रस्तुत करे. रसीद पेश करने के बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाए.

कोविड फंड में 25 हजार जमा करने की शर्त पर मिली हाईकोर्ट से जमानत
कोविड फंड में 25 हजार जमा करने की शर्त पर मिली हाईकोर्ट से जमानत
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Published : Nov 21, 2020, 9:40 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल में बंद गैंगस्टर को 25 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आरोपी से कहा है कि कोविड-19 के लिए बने मुख्यमंत्री राहत कोष में 25 हजार रुपये जमा कर अधीनस्थ न्यायालय में इसकी रसीद प्रस्तुत करे और रसीद पेश करने के बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा है कि यदि याची रकम नहीं जमा करता है तो उसकी जमानत निरस्त मानी जायेगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने सीतापुर के राम दयाल की अर्जी पर दिया है. याची के खिलाफ सीतापुर के अटरिया थाने में अवैध देशी शराब के साथ पकड़े जाने के चार मुकदमे दर्ज हैं. इन्हीं चारों मुकदमों के आधार पर उस पर गैंगस्टर के तहत भी कार्रवाई की गई है.

याची का कहना है कि चारों मुकदमों में उसे जमानत मिल चुकी है. कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए इस शर्त पर जमानत का आदेश दिया है कि याची कोरोना राहत कोष में 25 हजार रुपये का योगदान देगा. इसके अलावा अन्य शर्तें भी लगाई गई हैं. कोर्ट ने कहा कि शर्तों का उल्ल्घंन करने पर उसकी जमानत निरस्त की जा सकेगी.

हाईकोर्ट ने तारिक हत्याकांड के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज की

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के तारिक हत्याकांड के आरोपी विनय वार्ष्णेय की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. मृतक के बयान और अन्य साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आधार नहीं है. अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि इस मुकदमे का विचारण एक वर्ष के भीतर पूरा कर लिया जाए. वार्ष्णेय की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने सुनवाई की.

घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद
याची का कहना था कि मृतक तारिक घटना के समय सड़क पर हो रहे प्रदर्शन को देख रहा था. भीड़ में से किसी ने गोली चला दी जो उसे लगी और बाद में अस्पताल में मौत हो गई. इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है उसे झूठा फंसाया गया है. जबकि सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि हत्या की घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है. जिसमें गोली चलाने वाले व्यक्ति की पहचान विनय वार्ष्णेय के रूप में हुई है. इसके अलावा तारिक की गोली लगने के 13 दिन बाद अस्पताल में मौत हुई है. उसने अपने बयान में विनय वार्ष्णेय का नाम लिया है. उसके बयान को मृत्यु कालिक कथन माना जाए.

यह था मामला
घटना 23 फरवरी 2020 की कोतवाली नगर थाना क्षेत्र की है. शिकायतकर्ता सारिक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उस दिन शाम को करीब साढ़े पांच बजे वह अपनी बालकनी पर अपने भाई तारिक और आमिर खड़े होकर सड़क पर चल रहे एक प्रदर्शन को देख रहे थे. उसी समय ‌विनय वार्ष्णेय सह अभियुक्त सुरेंद्र और त्रिलोकी के साथ मौजूद था. उन लोगों को वीडियो बनाता देखकर उसने गालियां देनी शुरू कर दी और फायर झोंक दिया. गोली तारिक के सीने में लगी. बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल में बंद गैंगस्टर को 25 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आरोपी से कहा है कि कोविड-19 के लिए बने मुख्यमंत्री राहत कोष में 25 हजार रुपये जमा कर अधीनस्थ न्यायालय में इसकी रसीद प्रस्तुत करे और रसीद पेश करने के बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा है कि यदि याची रकम नहीं जमा करता है तो उसकी जमानत निरस्त मानी जायेगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने सीतापुर के राम दयाल की अर्जी पर दिया है. याची के खिलाफ सीतापुर के अटरिया थाने में अवैध देशी शराब के साथ पकड़े जाने के चार मुकदमे दर्ज हैं. इन्हीं चारों मुकदमों के आधार पर उस पर गैंगस्टर के तहत भी कार्रवाई की गई है.

याची का कहना है कि चारों मुकदमों में उसे जमानत मिल चुकी है. कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए इस शर्त पर जमानत का आदेश दिया है कि याची कोरोना राहत कोष में 25 हजार रुपये का योगदान देगा. इसके अलावा अन्य शर्तें भी लगाई गई हैं. कोर्ट ने कहा कि शर्तों का उल्ल्घंन करने पर उसकी जमानत निरस्त की जा सकेगी.

हाईकोर्ट ने तारिक हत्याकांड के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज की

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के तारिक हत्याकांड के आरोपी विनय वार्ष्णेय की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. मृतक के बयान और अन्य साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आधार नहीं है. अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि इस मुकदमे का विचारण एक वर्ष के भीतर पूरा कर लिया जाए. वार्ष्णेय की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने सुनवाई की.

घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद
याची का कहना था कि मृतक तारिक घटना के समय सड़क पर हो रहे प्रदर्शन को देख रहा था. भीड़ में से किसी ने गोली चला दी जो उसे लगी और बाद में अस्पताल में मौत हो गई. इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है उसे झूठा फंसाया गया है. जबकि सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि हत्या की घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है. जिसमें गोली चलाने वाले व्यक्ति की पहचान विनय वार्ष्णेय के रूप में हुई है. इसके अलावा तारिक की गोली लगने के 13 दिन बाद अस्पताल में मौत हुई है. उसने अपने बयान में विनय वार्ष्णेय का नाम लिया है. उसके बयान को मृत्यु कालिक कथन माना जाए.

यह था मामला
घटना 23 फरवरी 2020 की कोतवाली नगर थाना क्षेत्र की है. शिकायतकर्ता सारिक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उस दिन शाम को करीब साढ़े पांच बजे वह अपनी बालकनी पर अपने भाई तारिक और आमिर खड़े होकर सड़क पर चल रहे एक प्रदर्शन को देख रहे थे. उसी समय ‌विनय वार्ष्णेय सह अभियुक्त सुरेंद्र और त्रिलोकी के साथ मौजूद था. उन लोगों को वीडियो बनाता देखकर उसने गालियां देनी शुरू कर दी और फायर झोंक दिया. गोली तारिक के सीने में लगी. बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

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