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हाईकोर्ट ने कैदियों के लिए तय की गई मजदूरी पर जताई नाराजगी - उप पुलिस महानिरीक्षक अरविंद कुमार सिंह

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कैदियों की तय की गई मजदूरी पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. इसके साथ दो वकीलों की दो वकीलों को एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) नियुक्त कर सुझाव मांगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 26, 2023, 4:22 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जेलों में बंद कैदियों के हाल ही में तय किए गए दैनिक पारिश्रमिक पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा इस पारिश्रमिक नाकाफी मानते हुए दो वकीलों को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है और उनसे कैदियों की दैनिक मजदूरी तय करने के मामले में सुझाव मांगा है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने बच्चे लाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कैदियों की तय की गई मजदूरी पर्याप्त नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश शासन के वित्त सचिव एसएमए रिजवी, अपर पुलिस महानिरीक्षक चित्रलेखा सिंह और उप पुलिस महानिरीक्षक अरविंद कुमार सिंह उपस्थित थे. महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने अधिकारियों की ओर से पूर्व के आदेश के क्रम में हलफनामा दाखिल किया. बताया कि वित्त कमेटी की ओर से जेल में निरुद्ध कैदियों की दैनिक मजदूरी तय कर दी गई है. अकुशल कैदियों की 50, कुशल की 60 और स्किल कैदियों की 80 रुपये दैनिक मजदूरी तय की गई है. पहले यह क्रमशः 25 रुपये, 30 रुपये व 40 रुपये थी. कोर्ट के आदेश के बाद इसे संशोधित किया गया है.

इसे भी पढ़ें-High Court News : 301 फार्मेसी कॉलेजों की एनओसी निरस्त करने का आदेश खारिज

किस आधार पर तय की गई मजदूरी
कोर्ट ने इस नई मजदूरी को पर्याप्त नहीं माना और नाराजगी जताते हुए पूछा कि क्या तय की गई मजदूरी सही है. कोर्ट अचंभित है कि इतनी कम मजदूरी से क्या कोई भी कैदी अपने परिवार वालों के साथ जुड़ाव बनाए रख सकता है. इस दर को तय करते समय किसी कैदी के घरवालों से कोई बातचीत की गई है या नहीं. कुछ पूछा गया है या नहीं. वित्त कमेटी की बैठक में और अधिक मजदूरी का प्रस्ताव रखा गया था या नहीं. इस दर को तय करने का क्या आधार था, किसी ने आपत्ति नहीं की, सबने सहमति जता दी.

दो वकीलों को एमिकस क्यूरी नियुक्त कर मांगा सुझाव
महाधिवक्ता ने कहा कि यह नीतिगत मामला है, कमेटी के निर्णयों पर तय किया गया है. वह अपनी ओर से कुछ नहीं कर सकते और न ही कोर्ट में उपस्थित अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं. कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया और अधिवक्ता औसिम लूथरा व अर्थव दीक्षित को एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए उनसे सुझाव मांगा. कहा कि दोनों अधिवक्ता कैदियों की कितनी मजदूरी तय की जा सकती है, जो सम्मानजनक हो, उस पर अपनी राय दें. कोर्ट इस मामले में अब नौ अक्तूबर को सुनवाई करेगी.

इसे भी पढ़ें-Allahabad High Court : लिंग परिवर्तन सर्जरी के नियम बनाने की कार्यवाही नहीं करने पर हाईकोर्ट नाराज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जेलों में बंद कैदियों के हाल ही में तय किए गए दैनिक पारिश्रमिक पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा इस पारिश्रमिक नाकाफी मानते हुए दो वकीलों को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है और उनसे कैदियों की दैनिक मजदूरी तय करने के मामले में सुझाव मांगा है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने बच्चे लाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कैदियों की तय की गई मजदूरी पर्याप्त नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश शासन के वित्त सचिव एसएमए रिजवी, अपर पुलिस महानिरीक्षक चित्रलेखा सिंह और उप पुलिस महानिरीक्षक अरविंद कुमार सिंह उपस्थित थे. महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने अधिकारियों की ओर से पूर्व के आदेश के क्रम में हलफनामा दाखिल किया. बताया कि वित्त कमेटी की ओर से जेल में निरुद्ध कैदियों की दैनिक मजदूरी तय कर दी गई है. अकुशल कैदियों की 50, कुशल की 60 और स्किल कैदियों की 80 रुपये दैनिक मजदूरी तय की गई है. पहले यह क्रमशः 25 रुपये, 30 रुपये व 40 रुपये थी. कोर्ट के आदेश के बाद इसे संशोधित किया गया है.

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किस आधार पर तय की गई मजदूरी
कोर्ट ने इस नई मजदूरी को पर्याप्त नहीं माना और नाराजगी जताते हुए पूछा कि क्या तय की गई मजदूरी सही है. कोर्ट अचंभित है कि इतनी कम मजदूरी से क्या कोई भी कैदी अपने परिवार वालों के साथ जुड़ाव बनाए रख सकता है. इस दर को तय करते समय किसी कैदी के घरवालों से कोई बातचीत की गई है या नहीं. कुछ पूछा गया है या नहीं. वित्त कमेटी की बैठक में और अधिक मजदूरी का प्रस्ताव रखा गया था या नहीं. इस दर को तय करने का क्या आधार था, किसी ने आपत्ति नहीं की, सबने सहमति जता दी.

दो वकीलों को एमिकस क्यूरी नियुक्त कर मांगा सुझाव
महाधिवक्ता ने कहा कि यह नीतिगत मामला है, कमेटी के निर्णयों पर तय किया गया है. वह अपनी ओर से कुछ नहीं कर सकते और न ही कोर्ट में उपस्थित अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं. कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया और अधिवक्ता औसिम लूथरा व अर्थव दीक्षित को एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए उनसे सुझाव मांगा. कहा कि दोनों अधिवक्ता कैदियों की कितनी मजदूरी तय की जा सकती है, जो सम्मानजनक हो, उस पर अपनी राय दें. कोर्ट इस मामले में अब नौ अक्तूबर को सुनवाई करेगी.

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