प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली की चोरी में दोहरा मापदंड अपनाने को लेकर मंगलवार को कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने विभाग के अधिकारियों द्वारा बिजली का अवैध इस्तेमाल करने पर कहा कि स्वयं गलती करने वाले अधिकारियों को दूसरे की गलती पर एक्शन लेने का अधिकार नहीं है. जो स्वयं बकायेदार हैं, उन्हें दूसरों पर दोष मढ़ने का अधिकार नहीं है. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर बिना मीटर अपने घरों में बिजली के मनमानी इस्तेमाल से बिजली चोरी के आरोप पर की है.
आरोप है कि बिजली उपभोक्ताओं का निरीक्षण करने वाली टीम अधिकारियों का निरीक्षण नहीं करती. जबकि उपयोग की गई बिजली का भुगतान नहीं करने वाले ये अधिकारी सरकार और विद्युत निगम को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. कहा गया है कि अधिकारियों को कानूनी छूट नहीं हैऔर वे परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से बिजली चोरी में शामिल हैं. बिल का भुगतान नहीं करने पर इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती. बिजली वितरण एजेंसी दोहरा मापदंड नहीं अपना सकती.
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए चेकिंग कर कार्रवाई की कोई एडवाइजरी संस्था नहीं बनाई है. कोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अध्यक्ष की ओर से अधिकृत अधिकारी को इस संदर्भ में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, साथ ही याची के खिलाफ केस कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
याची के खिलाफ विद्युत चोरी का केस दर्ज किया गया है. जबकि उसका कहना है कि उसके नाम कोई कनेक्शन नहीं है और न ही उस पर कोई बिल का बकाया है. पुलिस ने उसके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी है. जिस पर मजिस्ट्रेट ने समन भी जारी किया है. कहा गया है कि यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है.कोर्ट ने याचिका पर जेई बृजेश कुमार और विवेचना अधिकारी सहित बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता स्तर के अधिकारी का जवाबी हलफनामा मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.
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मामले के तथ्यों के अनुसार उमाशंकर वर्मा के खिलाफ जेई बृजेश कुमार ने ऐंटी पावर थेफ्ट थाना बलिया में 18 सितंबर 2020 को एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोप लगाया कि 15 सितंबर 2020 को निरीक्षण टीम ने बिजली चोरी पकड़ी. कहा गया कि याची का कनेक्शन बकाया भुगतान न होने पर काट दिया गया था. इसके बावजूद वह बिना बिल भुगतान किए बिजली का उपयोग करते पाया गया. पुलिस ने याची के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की और मजिस्ट्रेट ने उस पर संज्ञान लेकर समन जारी किया है, जिसे याचिका में चुनौती दी गई है.
याची का कहना है कि उसने कभी बिजली कनेक्शन लिया ही नहीं.नया घर बनवाया है. शारदा देवी की अर्जी पर बिजली कनेक्शन दिया गया है. मीटर भी लगा है.कोई बिल नहीं आया है, न ही कनेक्शन काटा गया है. 15 सितंबर 2020 को टीम ने कोई निरीक्षण नहीं किया. फिर भी याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई. उसके नाम कनेक्शन नहीं है और वह उपभोक्ता भी नहीं है. निरीक्षण का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है. विवेचना अधिकारी ने बिना उसका बयान लिए अवैध रूप से चार्जशीट दाखिल की है. याची बकायेदार भी नहीं है और किसी भी बिल के भुगतान का जिम्मेदार नहीं हैं.
याची ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर बिना मीटर लगाए मनमानी बिजली चोरी का आरोप लगाया. कहा कि उनपर कार्रवाई नहीं की जाती और याची, जिसके नाम कनेक्शन ही नहीं है, उसके खिलाफ बिजली चोरी का आरोप लगा है. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और तीनों विद्युत वितरण निगम से जवाब मांगा है.
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