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हाईकोर्ट ने दिए गांजा तस्करी में फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश

हाईकोर्ट ने गांजा तस्करी के एक मामले में फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

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Published : Dec 2, 2021, 10:10 PM IST

हाईकोर्ट ने दिए गांजा तस्करी में फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश.
हाईकोर्ट ने दिए गांजा तस्करी में फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के थाना फेज -2 के पुलिस अधिकारियों पर एसएसपी गौतम बुद्ध नगर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. आरोप है कि सांसी थाना क्षेत्र, हाथरस के निवासी ललित गुप्ता को 4-5 लोग रात में सादे वेश में घर से पकड़कर ले गए. उसे गांजा तस्करी के फर्जी केस में पुलिस ने फंसा दिया.

कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वाले तत्कालीन एसएसपी के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि घर से रात में पकड़ कर केस में फंसाया. संदेहों से भरी गांजा जब्ती की अभियोजन कहानी तैयार की और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से अवैध गिरफ्तारी की. अपर महाधिवक्ता ने भी पुलिस कार्यवाही ड्राबैक व लूपहोल स्वीकार किए हैं. याची जमानत पर रिहा होने का हकदार है.

कोर्ट ने याची ललित गुप्ता को व्यक्तिगत बंधपत्र लेकर बिना प्रतिभूति के तत्काल सशर्त जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने ललित गुप्ता के अधिवक्ता श्रीकृष्ण शुक्ल को सुनकर दिया है.

कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को तलब किया था. सभी के हाजिर होने के बाद एफआईआर दर्ज करने वाले दारोगा राम चंद्र सिंह सहित सहकर्मी पुलिस अधिकारियों पर विभागीय जांच कर दोषी करार होने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

मालूम हो कि नोएडा फेज दो थाना पुलिस सादे वेश में हाथरस गई और याची को पकड़ लायी. 14 जून 2021 को 29.600 किग्रा अवैध गांजा तस्करी के आरोप में उसे गिरफ्तार दर्शाया गया.

याची का कहना था कि उसके खिलाफ 2001 से 2017 तक हाथरस, सांसी थाने में 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं. 2017 के बाद कोई केस दर्ज नहीं है. अब पुलिस ने फर्जी केस में फंसाया है.

कोर्ट ने कहा याची अपना आचरण सुधारने में लगा है और पुलिस ने झूठी कहानी गढ़ कर अपराध में घसीटने की कोशिश की है जिसके लिए उनके खिलाफ ऐक्शन होना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः कानपुर सिख दंगाः SIT की जांच में 67 दंगाई चिह्नित, पीड़ित बोले- पिता-भाई को मारकर सब लूट लिया था...

चोरी के वाहन की बरामदगी की मालिक व विवेचक को सूचना देने का तंत्र बनाने का निर्देश


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के गृह विभाग व ट्रांसपोर्ट विभाग को ऐसा तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है जिससे देश में कहीं भी वाहन चोरी की एफआईआर दर्ज हो तो बरामदगी के बाद बिना विवेचक व वाहन मालिक की जानकारी के वाहन नीलाम न किया जा सकें.

कोर्ट ने दोनों विभागों से 6 हफ्ते में हलफनामा मांगा है और पूछा है कि याची की मोटरसाइकिल चोरी की शाहगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज थी तो दारागंज थाना पुलिस ने लावारिस वस्तु दिखाकर नीलामी कैसे कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनील कुमार उर्फ सुनील चौधरी की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि उसकी मोटरसाइकिल चोरी की 2015 में शाहगंज थाने में एफआईआर दर्ज है. दारागंज पुलिस ने लावारिस हालत में बाइक को बरामद दिखाकर सुरेश पांडेय को नीलामी में बेच दिया. न तो विवेचना अधिकारी या याची को सूचित किया गया. ऐसे में आखिर इसे कैसे बेच दिया गया.

कोर्ट ने कहा कि ऐसा सिस्टम बनाया जाय जिससे चोरी की संपत्ति अधिसूचित हो और मालिक व विवेचना अधिकारी को बरामदगी की जानकारी दी जा सके.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के थाना फेज -2 के पुलिस अधिकारियों पर एसएसपी गौतम बुद्ध नगर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. आरोप है कि सांसी थाना क्षेत्र, हाथरस के निवासी ललित गुप्ता को 4-5 लोग रात में सादे वेश में घर से पकड़कर ले गए. उसे गांजा तस्करी के फर्जी केस में पुलिस ने फंसा दिया.

कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वाले तत्कालीन एसएसपी के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि घर से रात में पकड़ कर केस में फंसाया. संदेहों से भरी गांजा जब्ती की अभियोजन कहानी तैयार की और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से अवैध गिरफ्तारी की. अपर महाधिवक्ता ने भी पुलिस कार्यवाही ड्राबैक व लूपहोल स्वीकार किए हैं. याची जमानत पर रिहा होने का हकदार है.

कोर्ट ने याची ललित गुप्ता को व्यक्तिगत बंधपत्र लेकर बिना प्रतिभूति के तत्काल सशर्त जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने ललित गुप्ता के अधिवक्ता श्रीकृष्ण शुक्ल को सुनकर दिया है.

कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को तलब किया था. सभी के हाजिर होने के बाद एफआईआर दर्ज करने वाले दारोगा राम चंद्र सिंह सहित सहकर्मी पुलिस अधिकारियों पर विभागीय जांच कर दोषी करार होने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

मालूम हो कि नोएडा फेज दो थाना पुलिस सादे वेश में हाथरस गई और याची को पकड़ लायी. 14 जून 2021 को 29.600 किग्रा अवैध गांजा तस्करी के आरोप में उसे गिरफ्तार दर्शाया गया.

याची का कहना था कि उसके खिलाफ 2001 से 2017 तक हाथरस, सांसी थाने में 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं. 2017 के बाद कोई केस दर्ज नहीं है. अब पुलिस ने फर्जी केस में फंसाया है.

कोर्ट ने कहा याची अपना आचरण सुधारने में लगा है और पुलिस ने झूठी कहानी गढ़ कर अपराध में घसीटने की कोशिश की है जिसके लिए उनके खिलाफ ऐक्शन होना चाहिए.

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चोरी के वाहन की बरामदगी की मालिक व विवेचक को सूचना देने का तंत्र बनाने का निर्देश


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के गृह विभाग व ट्रांसपोर्ट विभाग को ऐसा तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है जिससे देश में कहीं भी वाहन चोरी की एफआईआर दर्ज हो तो बरामदगी के बाद बिना विवेचक व वाहन मालिक की जानकारी के वाहन नीलाम न किया जा सकें.

कोर्ट ने दोनों विभागों से 6 हफ्ते में हलफनामा मांगा है और पूछा है कि याची की मोटरसाइकिल चोरी की शाहगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज थी तो दारागंज थाना पुलिस ने लावारिस वस्तु दिखाकर नीलामी कैसे कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनील कुमार उर्फ सुनील चौधरी की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि उसकी मोटरसाइकिल चोरी की 2015 में शाहगंज थाने में एफआईआर दर्ज है. दारागंज पुलिस ने लावारिस हालत में बाइक को बरामद दिखाकर सुरेश पांडेय को नीलामी में बेच दिया. न तो विवेचना अधिकारी या याची को सूचित किया गया. ऐसे में आखिर इसे कैसे बेच दिया गया.

कोर्ट ने कहा कि ऐसा सिस्टम बनाया जाय जिससे चोरी की संपत्ति अधिसूचित हो और मालिक व विवेचना अधिकारी को बरामदगी की जानकारी दी जा सके.

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