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सचिवालय में अपर निजी सचिवों का चयन रद्द करने का आदेश हाईकोर्ट ने किया निरस्त

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) के 24 अगस्त 2021 के उस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court)ने निरस्त कर दिया है. जिसमें उत्तर प्रदेश सचिवालय (Uttar Pradesh Secretariat) में अपर निजी सचिव (Additional Private Secretary) पद पर चयनित अभ्यर्थियों की चयन सूची और विज्ञापन रद्द कर दिया था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 10:41 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत चयनित 1047 अभ्यर्थियों की चयन सूची और नियुक्ति विज्ञापन रद्द करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह तैयार की गई चयन सूची के आधार पर ही नियुक्तियों के लिए आवश्यक संस्तुति करें.

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने रद्द कर दिया था विज्ञापन
चयनित अभ्यर्थियों की ओर से लोक सेवा आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचियों का कहना था कि लोक सेवा आयोग ने 13 दिसंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे. इस विज्ञापन के तहत आवेदन किया और चयन प्रक्रिया में भाग लिया. लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट में सफल हो गए. इसके बाद आयोग ने 24 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर उपरोक्त चयन को रद्द कर दिया. याचियों का यह कहना था कि चयन प्रक्रिया में 7 से 8 साल का समय लगा. इसके बाद आयोग ने यह कहते हुए विज्ञापन रद्द कर दिया कि यह विज्ञापन उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुरूप नहीं है.

इस प्रावधान का हवाला देकर किया चयन रद्द
विज्ञापन के अनुसार अभ्यर्थियों को टाइप टेस्ट में 25 शब्द प्रति मिनट टाइप करने थे. इसमें पांच प्रतिशत तक गलतियों की छूट थी. लेकिन इस विज्ञापन में 5 प्रतिशत के अलावा तीन प्रतिशत और गलतियां माफ करने का प्रावधान था. इस प्रकार से कुल आठ प्रतिशत तक गलतियों से छूट दी गई थी. इस पर राज्य सरकार ने 10 जून 19 को एक आदेश जारी कर आयोग को नियमावली के अनुसार चयन प्रक्रिया करने का निर्देश दिया था. लोक सेवा आयोग का कहना था कि सेवा नियमावली में टाइप टेस्ट में किसी भी प्रकार की गलती से छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए चयन को रद्द किया गया. जबकि याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि ऐसा कोई टाइप टेस्ट नहीं हो सकता है, जिसमें अभ्यर्थी कोई गलती ना करें. सभी प्रकार के टाइप टेस्ट में कुछ हद तक गलतियों से छूट रहती है. लोक सेवा आयोग के पास इसकी गणना करने का अपना फार्मूला है. टाइप टेस्ट की परीक्षा आयोग अपने तयशुदा सुधार फार्मूले के तहत करवाता है.

चयनित हो चुके अभ्यर्थियों की सूची में से ही नियुक्तियां करने का निर्देश
कोर्ट का कहना था कि इस स्तर पर चयन प्रक्रिया रद्द कर देने से चयनित अभ्यर्थियों को नुकसान होगा तथा उन्हें नए सिरे से नए अभ्यर्थियों के साथ प्रतियोगिता में शामिल होना पड़ेगा. कोर्ट ने आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को रद्द करते हुए 1047 अभ्यर्थियों की अंतिम चयन सूची के तहत सभी चयनित अभ्यार्थियों को नियुक्त हेतु संस्तुतियां जारी करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है.

इसे भी पढ़ें-2009 में बहाल हुए 22 हजार सिपाहियों को सेवा संबंधी सभी लाभ देने पर सरकार ले निर्णयः हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत चयनित 1047 अभ्यर्थियों की चयन सूची और नियुक्ति विज्ञापन रद्द करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह तैयार की गई चयन सूची के आधार पर ही नियुक्तियों के लिए आवश्यक संस्तुति करें.

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने रद्द कर दिया था विज्ञापन
चयनित अभ्यर्थियों की ओर से लोक सेवा आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचियों का कहना था कि लोक सेवा आयोग ने 13 दिसंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे. इस विज्ञापन के तहत आवेदन किया और चयन प्रक्रिया में भाग लिया. लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट में सफल हो गए. इसके बाद आयोग ने 24 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर उपरोक्त चयन को रद्द कर दिया. याचियों का यह कहना था कि चयन प्रक्रिया में 7 से 8 साल का समय लगा. इसके बाद आयोग ने यह कहते हुए विज्ञापन रद्द कर दिया कि यह विज्ञापन उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुरूप नहीं है.

इस प्रावधान का हवाला देकर किया चयन रद्द
विज्ञापन के अनुसार अभ्यर्थियों को टाइप टेस्ट में 25 शब्द प्रति मिनट टाइप करने थे. इसमें पांच प्रतिशत तक गलतियों की छूट थी. लेकिन इस विज्ञापन में 5 प्रतिशत के अलावा तीन प्रतिशत और गलतियां माफ करने का प्रावधान था. इस प्रकार से कुल आठ प्रतिशत तक गलतियों से छूट दी गई थी. इस पर राज्य सरकार ने 10 जून 19 को एक आदेश जारी कर आयोग को नियमावली के अनुसार चयन प्रक्रिया करने का निर्देश दिया था. लोक सेवा आयोग का कहना था कि सेवा नियमावली में टाइप टेस्ट में किसी भी प्रकार की गलती से छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए चयन को रद्द किया गया. जबकि याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि ऐसा कोई टाइप टेस्ट नहीं हो सकता है, जिसमें अभ्यर्थी कोई गलती ना करें. सभी प्रकार के टाइप टेस्ट में कुछ हद तक गलतियों से छूट रहती है. लोक सेवा आयोग के पास इसकी गणना करने का अपना फार्मूला है. टाइप टेस्ट की परीक्षा आयोग अपने तयशुदा सुधार फार्मूले के तहत करवाता है.

चयनित हो चुके अभ्यर्थियों की सूची में से ही नियुक्तियां करने का निर्देश
कोर्ट का कहना था कि इस स्तर पर चयन प्रक्रिया रद्द कर देने से चयनित अभ्यर्थियों को नुकसान होगा तथा उन्हें नए सिरे से नए अभ्यर्थियों के साथ प्रतियोगिता में शामिल होना पड़ेगा. कोर्ट ने आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को रद्द करते हुए 1047 अभ्यर्थियों की अंतिम चयन सूची के तहत सभी चयनित अभ्यार्थियों को नियुक्त हेतु संस्तुतियां जारी करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है.

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