प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ा रही अध्यापिका की संविदा (Contracts) नवीनीकरण न करने का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अध्यापिका का पक्ष सुनकर नए सिरे से निर्णय लिया जाए. बीए के अंक पत्र में लिपिकीय त्रुटि के कारण सेवा अवधि के नवीनीकरण से इंकार करने पर अर्चना त्यागी ने याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने यह आदेश पारित किया है.
हाईकोर्ट में याची के अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई कि याची सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित कस्तूरबा विद्यालय में वार्डन व हिंदी की शिक्षिका है. उसकी नियुक्ति वर्ष 2004 में हुई थी, तब से वह लगातार पढ़ा रही है. समय समय पर उसके संविदा का नवीनीकरण भी होता आया है. 23 दिसंबर 20 को नोटिस देकर कहा गया कि याची की नियुक्ति बीए की फर्जी मार्कशीट के आधार पर हुई है. याची की मार्कशीट में कुल प्राप्तांक 621 ही हैं, जबकि 631 प्रिंट है.
इसे भी पढ़ें-दारोगा भर्ती में आयु सीमा बढ़ाने की मांग, इलाहाबाद HC में सुनवाई आज
इस प्रकार से 10 अंकों की गड़बड़ी विश्वविद्यालय से हुई थी. याची का कहना था कि उसके प्राप्त अंकों का योग लिखने में गलती की गई है. इसकी ओर से उसका ध्यान नहीं गया था. जब पता चला तो उसने विश्विद्यालय को इस बारे में अवगत कराया. विश्वविद्यालय ने अपनी गलती स्वीकार की है और नई संशोधित मार्कशीट भी जारी की है. इसमें उसकी ओर से कोई गलती नहीं की गई है. कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय द्वारा गलती स्वीकार कर लेने से स्पष्ट है कि गलती याची की ओर से नहीं हुई.