प्रयागराज: हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) ने साफ कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में पैराशूट (सुप्रीम कोर्ट या अन्य राज्यों के वकील) जज किसी कीमत स्वीकार्य नहीं करेगा. यहां के वकीलों की इस बात पर गौर नहीं किया गया और आगे भी ऐसा किया गया तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन करेंगे. सभी राज्यों के हाईकोर्ट बार एसोसिएशनों को साथ लेकर इस मुद्दे पर आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी.
यह बात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा और महासचिव एसडी सिंह जादौन ने शनिवार को लाइब्रेरी हॉल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं. उन्होंने बताया कि हाल ही में कॉलेजियम की ओर से जजों के लिए 16 वकीलों की सूची में चार नाम सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के होने से नाराज हाईकोर्ट के वकील शुक्रवार को लंच बाद से न्यायिक कार्य से विरत हो गए थे. शनिवार को भी हाईकोर्ट न्यायिक कार्य के लिए खुला था. लेकिन, वकीलों ने काम नहीं किया.
दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया है. उन्होंने कहा कि यहां हाईकोर्ट में लगभग 17000 वकील और लखनऊ बेंच में भी करीब पांच हजार अधिवक्ता वकालत करते हैं. इनमें कई ऐसे अधिवक्ता हैं जो जज बनने की योग्यता रखते हैं. ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट या कहीं और वकालत कर रहे वकीलों का नाम इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज बनाने के भेजा जाना कतई उचित नहीं है.
ओझा ने कहा कि ऐसे बाहरी जजों को उत्तर प्रदेश के स्थानीय कानूनों की जानकारी नहीं होती है और न ही वे यहां की भौगोलिक परिस्थिति से परिचित होते हैं. साथ ही संवैधानिक व्यवस्था यह है कि जिस वकील को जज बनाने की सिफारिश की जानी है, वह उसी उच्च न्यायालय में वकालत कर रहा हो और उसे स्थानीय कानून के बारे में समुचित जानकारी हो.
राधाकांत ओझा ने कहा कि इससे पूर्व भी हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की जज के तौर पर नियुक्ति की गई है. हाईकोर्ट बार मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इसका भी विरोध जता चुका है. इसके बावजूद बाहर के वकीलों को जज बनाने की प्रक्रिया बंद नहीं की गई. यदि देश के प्रधान न्यायाधीश हाईकोर्ट बार के पत्र पर संज्ञान नहीं लेते तो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इस मुद्दे पर देशभर के उच्च न्यायालयों के बार एसोसिएशन से संपर्क करके एक बड़े राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार करेगा और उस आंदोलन का नेतृत्व भी करेगा. क्योंकि यह समस्या अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों में भी है और वहां की बार एसोसिएशन भी इसका विरोध कर रहे हैं.
प्रयागराज से महत्वपूर्ण संस्थाएं हटाने का भी होगा विरोध
प्रेस कॉन्फ्रेंस में हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष व महासचिव ने कहा कि पिछले कई वर्षों से यह देखा जा रहा है कि सरकार प्रयागराज स्थित कई महत्वपूर्ण कार्यालयों व संस्थाओं को यहां से हटाकर लखनऊ ले जा रही है. पुलिस मुख्यालय, राजस्व परिषद, शिक्षा निदेशालय, महालेखाकार कार्यालय, माध्यमिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, हायर एजुकेशन सर्विसेज कमीशन आदि को यहां से हटाने का प्रयास हो रहा है. हाईकोर्ट बार प्रयागराज के नागरिकों व जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसका विरोध करेगी.
बार एसोसिएशन ने यह भी मांग मजबूती से उठाने जा रहा है कि विभिन्न न्यायाधिकरणों में भी वकीलों की नियुक्ति की जाए और सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति समाप्त की जाए. यह भी मांग है कि उत्तर प्रदेश रेवन्यू सर्विसेस की स्थापना की जाए, जिसमें लॉ ग्रेजुएट और वकीलों की नियुक्ति हो. प्रेस कॉन्फ्रेंस को वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी सिंह, हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष आईके चतुर्वेदी पूर्व महासचिव प्राणेश दत्त त्रिपाठी व अशोक कुमार सिंह आदि ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र, उपाध्यक्ष सुरेंद्र नाथ मिश्र, संयुक्त सचिव आशुतोष त्रिपाठी उपस्थित रहे.
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