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हाईकोर्ट ने वाराणसी के पुलिस कमिश्नर से पूछा लापता व्यक्ति को क्यों नहीं कर पा रहे तलाश - prayagraj news

वाराणसी से घरेलू हिंसा के एक मामले में हाईकोर्ट द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश का पालन नहीं होने को अदालत ने सख्त रुख दिया है. बताया जा रहा कि कोर्ट ने कोर्ट के आदेश के बाद महिला का पति लापता है. जिसे लेकर कोर्ट ने पुलिस से भी नाराजगी दिखाई है.

लाहाबाद हाईकोर्ट
लाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 14, 2021, 11:10 PM IST

प्रयागराज : पांच साल पहले वाराणसी की अदालत ने घरेलू हिंसा केस में पति याची अरविंद उपाध्याय को अपनी पत्नी व बेटी को अलग कमरे में रहने देने व एक हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के आदेश का पालन नहीं हो सका. इस मामले में पति ने हाईकोर्ट की शरण ली. अंतरिम आदेश के बाद 9 अप्रैल 2017 से लापता हो गया.

हाईकोर्ट ने पुलिस को याची की तलाश कर पेश करने का कई बार आदेश दिया. डीआईजी ने पुलिस सर्च टीम भी गठित की, फिर भी याची का पता नहीं चल सका. उधर, याची के पिता ने अर्जी दाखिल कर कहा घरेलू विवाद के चलते उनके पिता का मानसिक संतुलन बिगड़ गया इसके बाद वह कहां गया पता नहीं. वहीं पत्नी ने बताया कि कई बार पुलिस को पति की सूचना दी, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले वह वहां से गायब हो गए. इसपर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर वाराणसी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि एफआईआर दर्ज है तो पुलिस लापता याची का पता क्यों नहीं लगा पा रही.

साथ ही पुलिस कमिश्नर को याची व उसके पिता की संपत्ति का पता लगाने और विपक्षी याची की पत्नी के वहां रहने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने जिला न्यायाधीश वाराणसी व पुलिस कमिश्नर से पूछा है कि ऐसे कितने मामले है जिनमें गुजारा भत्ते का भुगतान नहीं हो रहा और सम्मन तामील नहीं हो पाया है. कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले वकीलों अल्का सिंह व विपिन कुमार सिंह को अगली सुनवाई की तिथि 29 सितंबर को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. साथ ही बार एसोसिएशन के सचिव से वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अरविंद उपाध्याय की याचिका पर दिया है. मालूम हो कि प्रियंका उपाध्याय ने घरेलू हिंसा कानून के तहत वाराणसी की अदालत में केस कायम किया. कोर्ट ने गुजारा भत्ते के आदेश का एसएचओ सारनाथ को पालन कराने का निर्देश दिया. अधीनस्थ अदालत के आदेश को पति याची ने चुनौती दी. स्थगनादेश पारित किया गया.

पत्नी की अर्जी पर हाईकोर्ट ने याची अधिवक्ता से याची को हाजिर करने का आदेश दिया तो बताया कि वह 9 अप्रैल 2017 से लापता है. 16 मई 2018 को एफआईआर दर्ज कराई गई है. तब से पुलिस तलाश कर रही है लेकिन अब तक उसका पता नहीं लगा सकी है. कोर्ट ने डीआईजी वरुणा जोन के सर्च टीम गठन को प्रथम दृष्टया ड्रामा करार दिया. कहा माडर्न सुविधाएं होने के बावजूद पुलिस लापता की तलाश नहीं कर पा रही है. कोर्ट ने कहा कि पति लापता है तो सास ससुर की अपनी बहू व पोती की जिम्मेदारी निभानी चाहिए. उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता. याचिका की सुनवाई 29 सितंबर को होगी.

प्रयागराज : पांच साल पहले वाराणसी की अदालत ने घरेलू हिंसा केस में पति याची अरविंद उपाध्याय को अपनी पत्नी व बेटी को अलग कमरे में रहने देने व एक हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के आदेश का पालन नहीं हो सका. इस मामले में पति ने हाईकोर्ट की शरण ली. अंतरिम आदेश के बाद 9 अप्रैल 2017 से लापता हो गया.

हाईकोर्ट ने पुलिस को याची की तलाश कर पेश करने का कई बार आदेश दिया. डीआईजी ने पुलिस सर्च टीम भी गठित की, फिर भी याची का पता नहीं चल सका. उधर, याची के पिता ने अर्जी दाखिल कर कहा घरेलू विवाद के चलते उनके पिता का मानसिक संतुलन बिगड़ गया इसके बाद वह कहां गया पता नहीं. वहीं पत्नी ने बताया कि कई बार पुलिस को पति की सूचना दी, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले वह वहां से गायब हो गए. इसपर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर वाराणसी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि एफआईआर दर्ज है तो पुलिस लापता याची का पता क्यों नहीं लगा पा रही.

साथ ही पुलिस कमिश्नर को याची व उसके पिता की संपत्ति का पता लगाने और विपक्षी याची की पत्नी के वहां रहने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने जिला न्यायाधीश वाराणसी व पुलिस कमिश्नर से पूछा है कि ऐसे कितने मामले है जिनमें गुजारा भत्ते का भुगतान नहीं हो रहा और सम्मन तामील नहीं हो पाया है. कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले वकीलों अल्का सिंह व विपिन कुमार सिंह को अगली सुनवाई की तिथि 29 सितंबर को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. साथ ही बार एसोसिएशन के सचिव से वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अरविंद उपाध्याय की याचिका पर दिया है. मालूम हो कि प्रियंका उपाध्याय ने घरेलू हिंसा कानून के तहत वाराणसी की अदालत में केस कायम किया. कोर्ट ने गुजारा भत्ते के आदेश का एसएचओ सारनाथ को पालन कराने का निर्देश दिया. अधीनस्थ अदालत के आदेश को पति याची ने चुनौती दी. स्थगनादेश पारित किया गया.

पत्नी की अर्जी पर हाईकोर्ट ने याची अधिवक्ता से याची को हाजिर करने का आदेश दिया तो बताया कि वह 9 अप्रैल 2017 से लापता है. 16 मई 2018 को एफआईआर दर्ज कराई गई है. तब से पुलिस तलाश कर रही है लेकिन अब तक उसका पता नहीं लगा सकी है. कोर्ट ने डीआईजी वरुणा जोन के सर्च टीम गठन को प्रथम दृष्टया ड्रामा करार दिया. कहा माडर्न सुविधाएं होने के बावजूद पुलिस लापता की तलाश नहीं कर पा रही है. कोर्ट ने कहा कि पति लापता है तो सास ससुर की अपनी बहू व पोती की जिम्मेदारी निभानी चाहिए. उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता. याचिका की सुनवाई 29 सितंबर को होगी.

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