प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश सरकार से कहा कि वह क्यों नहीं अपने बनाये कानूनों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर रही है. कोर्ट ने कहा कि सरकार के बनाये कानून और उन कानूनों में हुए संशोधन का प्राइवेट प्रकाशकों द्वारा सही प्रकाशन न करने से न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को परेशानी होती है. गलत प्रकाशित कानूनों के चलते कोर्ट को भी केसों की सुनवाई के दौरान सही जानकारी नहीं मिल पाती है.
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि वह अपने बनाये किसी भी कानून सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करें. ताकि आम जनता और कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों को कानून की सही जानकारी मिल सके.
सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल कर कहा गया कि सरकार ने अपने आफिशियल वेबसाइट पर कानून अपलोड करने का प्रावधान पहले से ही बना रखा है. इस पर चीफ जस्टिस ने कोर्ट में उपस्थित अपने स्टाफ से कहा कि वह देखे कि सरकार के किस वेबसाइट पर कानून सम्बन्धी जानकारी, एक्ट व रूल्स अपलोड है. कोर्ट के कहने पर कोर्ट स्टाफ ने जब चेक किया तो उसे वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध नहीं मिली.
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इस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को वस्तुस्थिति की सही जानकारी के साथ कोर्ट को पुनः इसके बारे में बताने का अनुरोध किया गया और कुछ और समय की मांग की गई. अदालत ने इस पर 16 दिसम्बर को पुनः सुनवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि उस दिन सरकार इस मामले सही कार्यवाही कर कोर्ट को अवगत करायें.