प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से पूछा है कि एक वैधानिक संस्था होते हुए भी वह किस अधिकार से हड़ताल का आह्वान करती है. प्रदेश के तमाम जिला न्यायालयों में आए दिन हो रही हड़तालों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को इस मामले में बृहस्पतिवार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
प्रदेश की जिला अदालतों में आए दिन होने वाली हड़ताल के चलन को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इससे पूर्व हाईकोर्ट ने प्रदेश की तमाम जिला अदालतों के बारे में जानकारी मांगी थी कि किस अदालत के अधिवक्ता संगठनों ने कितने दिन हड़ताल की है और कितने दिन वकीलों की हड़ताल के कारण कामकाज प्रभावित रहा है. बुधवार को सुनवाई के दौरान यह मामला भी उठा कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने भी अधिवक्ता हित से जुड़े मुद्दों पर कई बार हड़ताल का आह्वान किया है. इस माह भी काउंसिल ने प्रदेश भर के अधिवक्ता संगठनों से हड़ताल का आह्वान किया है. इस पर कोर्ट का कहना था कि बार काउंसिल एक वैधानिक संस्था है तो फिर वह हड़ताल का आह्वान कैसे कर सकती है. कोर्ट ने बार काउंसिल को इस पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के तमाम जिला अदालतों व अन्य न्यायालयों में अधिवक्ता संगठनों द्वारा आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर हड़ताल करा दी जाती है. जिसकी वजह से न्यायिक कार्य प्रभावित होता है यह भी आरोप लगाया गया है कि तमाम बार यह भी देखा गया है कि किसी विशेष मुकदमे की सुनवाई टालने के लिए भी जानबूझकर हड़ताल करा दी जाती है. कोर्ट इस मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगी.