प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ता कल्याण कोष से लॉकडाउन के कारण जरूरतमंद वकीलों की सहायता की कार्य योजना पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को दिया है. साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से भी सहायता कार्य योजना दाखिल करने को कहा है.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल एवं अवध बार एसोसिएशन के अधिवक्ता एच. जी. एस. परिहार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बहस की. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 20 अप्रैल रखी है. इस सुनवाई में बार काउन्सिल ऑफ इंडिया एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस के लिए मौजूद रहने का आदेश दिया है.
मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि दोनों बार काउंसिल के पास पर्याप्त फंड उपलब्ध है. उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण कोष अधिनियम 1974 के अंतर्गत राज्य सरकार ने टिकट से इकट्ठा की गई राशि ट्रेजडी से फंड में भेज दी है, जिसे संबंधित खातों में भेजा जा सकता है. परिहार ने कहा कि उन्होंने अस्थायी फंड बनाया है, किन्तु बार काउन्सिल को अपने दायित्व निभाने के लिए कहा जाए.
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यूपी बार काउंसिल के अधिवक्ता अनादि नारायण ने ई-मेल से जानकारी दी है कि सहायता कार्य योजना लागू की जा रही है. बार एसोसिएशन की तरफ से भी ई-मेल के जरिेए कहा गया कि वह भी सहायता कार्य योजना तैयार कर अमल में लाने जा रहे हैं.
मालूम हो कि बार काउन्सिल की राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर अधिवक्ता कल्याण समितियां गठित की गई है. जो वकीलों की आर्थिक सहायता देती हैं. राष्ट्रीय स्तर पर 5 सदस्यों तथा राज्य स्तर पर तीन सदस्यीय समिति गठित है. यूपी बार काउन्सिल समिति का अध्यक्ष बार काउन्सिल ऑफ इंडिया में प्रदेश का सदस्य होता है. इसके साथ ही दो अन्य सदस्य भी होते हैं, जिन्हें प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राहत देने का अधिकार मिला है.
कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कई वकीलों और मुंशियों ने आर्थिक सहायता देने की हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी, जिसकी गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जनहित याचिका कायम कर राज्य सरकार, बार काउन्सिलों और बार एसोसिएशन से अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.