प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 13 दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने गंदी मानसिकता से याची का जीवन बर्बाद करने की कार्रवाई करने वाली कटौली थाना पुलिस के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए दोनों अफसरों को हाजिर होने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि ये केवल जमानत का मसला नहीं है. बल्कि अनुशासित पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उठे सवालों के जवाब का है.
कोर्ट ने कहा कि हर आदमी के जीवन की कीमत समान है. बीता दिन लौट कर वापस नहीं आता. जीवन पर लगे दाग मुआवजे से धुल नहीं सकते. कोर्ट ने कहा कि पिछले 23 सालों में पुलिस ने याची पर 49 आपराधिक केस दर्ज किये. अधिकांश में वह बरी हो गया. कुछ में पुलिस ने गलती से शामिल होना मानते हुए वापस ले लिया. मानवाधिकार आयोग ने भी पुलिस पर याची के पक्ष में दस हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया. केस में फंसाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. इसलिए दोनों शीर्ष अधिकारी अदालत में हाजिर हों.
ये आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने गौरव उर्फ गौरा की नारकोटिक्स ड्रग्स एक्ट के तहत दर्ज मामले में दाखिल जमानत अर्जी पर दिया है. कोर्ट के निर्देश पर याची का आपराधिक केस चार्ट पेश किया गया. जिससे एक ही थाने कटौली में 49 केस दर्ज होने का खुलासा हुआ है.
याची 45 मामलो में से 11 में बरी हो चुका है. 9 केस पुलिस ने वापस ले लिया. 2 में गलती से शामिल किया गया है. एक केस में एनएसए लगाया गया है, जो रद्द हो चुका है. 21 केस में जमानत पर हैं. एक में अग्रिम जमानत मिली है.
याची और उसकी पत्नी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को फर्जी केस में फंसाने की शिकायत की है. जिसकी जांच के बाद पुलिस पर हर्जाना लगाया गया है. नाराज पुलिस सुधरने के बजाय और परेशान करने पर आमादा है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस का रवैया समझ से परे है. बार-बार केस दर्ज कर रही है. अनुशासित पुलिस बल से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस सुरक्षा, शांति और समाज में सौहार्द कायम रखने के लिए है.
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इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आरोपों की टोकरी जीवन में अंधकार लाती है. उस शख्स का जीवन बर्बाद हो जाता है. इस प्रवृति पर रोक लगनी चाहिए. इस मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.