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आजाद पार्क से सभी अवैध निर्माण हटाने के लिए हाईकोर्ट का निर्देश, हलफनामा दे सरकार - azad park

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज स्थित चंद्रशेखर आजाद पार्क में अवैध निर्माण हटाने की सरकार की रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं माना है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से हलफनामा मांगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Oct 8, 2021, 10:07 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad highcourt) ने प्रयागराज स्थित चंद्रशेखर आजाद पार्क में 1975 के बाद के अवैध निर्माण हटाने की सरकार की रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं माना. याची ने भी कहा अभी भी बहुत से अवैध निर्माण पार्क के अंदर हैं. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से इलाहाबाद लेडीज क्लब बनाम जितेंद्र नाथ सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन पर हलफनामा मांगा है. और पूछा है कि क्या 1975 के बाद के पार्क के भीतर के सभी अवैध निर्माण हटाये जा चुके हैं. कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट की प्रति याची को आपत्ति देने के लिए सौंपने का भी निर्देश दिया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र सिंह बिसेन की जनहित याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के अरुण कुमार केस में पार्क से अतिक्रमण हटाने के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. जिसपर कोर्ट ने पार्क अधीक्षक, जिला प्रशासन, पीडीएवी नगर निगम प्रयागराज से जानकारी मांगी थी कि पार्क कानून बनने की तिथि से पहले पार्क में कितने निर्माण थे, और उसके बाद कितने निर्माण कार्य किए गए हैं.

ये भी पढ़ेंः मनीष हत्याकांड : हत्यारोपी छह पुलिसकर्मियों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित

रिकार्ड के अभाव में कोई विभाग इसकी जानकारी नहीं दे सका तो कोर्ट ने कमिश्नर सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को तलब किया. जिसके बाद कुछ निर्माण हटाए गए और कहा गया कि सारे अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं. याची ने इस पर आपत्ति की और कहा कि सभी अवैध निर्माण नहीं हटाए गए हैं.

अब कोर्ट ने हलफनामा मांगा है कि क्या वास्तव में सभी अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं. कोर्ट के इस आदेश ने सरकार को उलझा कर रख दिया है, जो सरकार के गले की फांस बन सकता है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad highcourt) ने प्रयागराज स्थित चंद्रशेखर आजाद पार्क में 1975 के बाद के अवैध निर्माण हटाने की सरकार की रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं माना. याची ने भी कहा अभी भी बहुत से अवैध निर्माण पार्क के अंदर हैं. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से इलाहाबाद लेडीज क्लब बनाम जितेंद्र नाथ सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन पर हलफनामा मांगा है. और पूछा है कि क्या 1975 के बाद के पार्क के भीतर के सभी अवैध निर्माण हटाये जा चुके हैं. कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट की प्रति याची को आपत्ति देने के लिए सौंपने का भी निर्देश दिया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र सिंह बिसेन की जनहित याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के अरुण कुमार केस में पार्क से अतिक्रमण हटाने के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. जिसपर कोर्ट ने पार्क अधीक्षक, जिला प्रशासन, पीडीएवी नगर निगम प्रयागराज से जानकारी मांगी थी कि पार्क कानून बनने की तिथि से पहले पार्क में कितने निर्माण थे, और उसके बाद कितने निर्माण कार्य किए गए हैं.

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रिकार्ड के अभाव में कोई विभाग इसकी जानकारी नहीं दे सका तो कोर्ट ने कमिश्नर सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को तलब किया. जिसके बाद कुछ निर्माण हटाए गए और कहा गया कि सारे अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं. याची ने इस पर आपत्ति की और कहा कि सभी अवैध निर्माण नहीं हटाए गए हैं.

अब कोर्ट ने हलफनामा मांगा है कि क्या वास्तव में सभी अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं. कोर्ट के इस आदेश ने सरकार को उलझा कर रख दिया है, जो सरकार के गले की फांस बन सकता है.

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