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पुलिस भर्ती 2018 में सामान्य महिला अभ्यर्थी से ज्यादा अंक पाने वाली अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर हो विचारः HC

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2018 की पुलिस पीएसी भर्ती प्रक्रिया में पुलिस भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सामान्य महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक पाने वाली आरक्षित वर्ग की महिलाओं की नियुक्ति का खाली पदों पर नियुक्ति पर विचार करें.

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Published : Jan 24, 2022, 10:05 PM IST

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 पुलिस पीएसी भर्ती में चयनित अंतिम सामान्य महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक पाने वाली आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के सौरव यादव केस के तय विधि सिद्धांत के आधार पर दिया है. कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड को याचियों की नियुक्ति पर तीन महीने में विचार करने का निर्देश दिया है.

ये आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने शालू सहित 10 ओबीसी महिला अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बहस की. याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी थी. जिस पर अपर सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड ने बताया कि याचियों का अंक 2 मार्च को जारी अंतिम परिणाम में ओबीसी क्षैतिज आरक्षण कट ऑफ अंक से कम है. इन्हें क्षैतिज आरक्षण मिल चुका है. अब हारिजन्टल आरक्षण का दावा नहीं कर सकती हैं.

याची अधिवक्ता का कहना था कि याचियों ने सामान्य महिला अभ्यर्थी के कट ऑफ अंक से अधिक अंक प्राप्त किये हैं. मेडिकल जांच में विफल अभ्यर्थियों के चलते काफी संख्या में पद भरे नहीं जा सके हैं. चयनित अभ्यर्थियों से छेड़छाड़ किये बगैर याचियों की नियुक्ति की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आरक्षित वर्ग की महिला के अंक चयनित सामान्य महिला के अंक से अधिक अंक हैं, तो उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है. ऐसे में याचियों को नियुक्ति देने से इनकार करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना है.

इसे भी पढ़ें- हाईकोर्ट ने कहा, अंतिम परिणाम घोषित होने के दो साल बाद आपत्ति का अधिकार नहीं...

कोर्ट ने कहा कि अगर अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी से याचियों को अधिक अंक प्राप्त हुए हैं. तो दोबारा आरक्षण के आधार पर नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. याचीगण पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति पाने की हकदार है. जिसपर विचार किया जाए.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 पुलिस पीएसी भर्ती में चयनित अंतिम सामान्य महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक पाने वाली आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के सौरव यादव केस के तय विधि सिद्धांत के आधार पर दिया है. कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड को याचियों की नियुक्ति पर तीन महीने में विचार करने का निर्देश दिया है.

ये आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने शालू सहित 10 ओबीसी महिला अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बहस की. याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी थी. जिस पर अपर सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड ने बताया कि याचियों का अंक 2 मार्च को जारी अंतिम परिणाम में ओबीसी क्षैतिज आरक्षण कट ऑफ अंक से कम है. इन्हें क्षैतिज आरक्षण मिल चुका है. अब हारिजन्टल आरक्षण का दावा नहीं कर सकती हैं.

याची अधिवक्ता का कहना था कि याचियों ने सामान्य महिला अभ्यर्थी के कट ऑफ अंक से अधिक अंक प्राप्त किये हैं. मेडिकल जांच में विफल अभ्यर्थियों के चलते काफी संख्या में पद भरे नहीं जा सके हैं. चयनित अभ्यर्थियों से छेड़छाड़ किये बगैर याचियों की नियुक्ति की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आरक्षित वर्ग की महिला के अंक चयनित सामान्य महिला के अंक से अधिक अंक हैं, तो उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है. ऐसे में याचियों को नियुक्ति देने से इनकार करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना है.

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कोर्ट ने कहा कि अगर अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी से याचियों को अधिक अंक प्राप्त हुए हैं. तो दोबारा आरक्षण के आधार पर नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. याचीगण पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति पाने की हकदार है. जिसपर विचार किया जाए.

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