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HC ने एयू को दिया निर्देश, अर्थशास्त्र विषय में सर्वाधिक अंक पाने वाले को दें मेडल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (Allahabad Central University) के अर्थशास्त्र विषय के एम ए प्रीवियस सेमेस्टर के पूरे अंक के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नति देकर सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले मेधावी छात्र को प्रोफेसर पी डी हजेला गोल्ड मेडल पुरस्कार देने का निर्देश दिया है.

HC ने एयू को दिया निर्देश
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Published : Nov 1, 2021, 10:47 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (Allahabad Central University) के अर्थशास्त्र विषय के एमए प्रीवियस सेमेस्टर के पूरे अंक के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नति देकर सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले मेधावी छात्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रोफेसर पी डी हलेजा गोल्ड मेडल पुरस्कार देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने परीक्षा समिति को वैधानिक संस्था न मानते हुए कहा है कि उसने बिना गाइडलाइंस के संस्कृत और दर्शन शास्त्र विषय में अंक गणना प्रणाली से भिन्न प्रक्रिया अपनाई.

अर्थशास्त्र में प्रीवियस सेमेस्टर के 10 फीसदी अंक जोड़ने में खामियों को देखते हुए ये नहीं कहा जा सकता है कि अनियमितता नहीं हुई है. कोर्ट ने कहा कि 8 नवंबर को मेडल अवार्ड कार्यक्रम है. ऐसे में पूरी सूची रद्द करने के बजाय विपक्षी मानस मुकुल मौर्य की दावेदारी रद की जाती है. कोर्ट ने मुख्य परीक्षा नियंत्रक और कुलसचिव को नये सिरे से आकलन कर उच्चतम अंक हासिल करने वाले छात्र को अर्थशास्त्र विषय का मेडल देने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अभिषेक कुमार सिंह की याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह, अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की. याचिका में विपक्षी जिसे याची से कम अंक मिले हैं, को मेडल देने से रोकने की मांग की गई थी.

याची का कहना है कि कोर्ट ने मेडल देने की गाइडलाइंस मांगी थी, लेकिन विश्वविद्यालय नहीं दे सका. एयू ने कहा कि परीक्षा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है. संस्कृत और दर्शन शास्त्र में पिछले सेमेस्टर के पूरे अंक शामिल कर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नति दी गई है. जबकि अर्थशास्त्र विषय में पिछले सेमेस्टर के 10फीसदी अंक ही जोड़े गए हैं, जो गलत है.

इसे भी पढ़ें- विकलांग व्यापारी मौत मामले में आरोपियों की नहीं हुई गिरफ्तारी, लोगों ने किया प्रदर्शन

कोर्ट ने विश्वविद्यालय से कई सवालों के जवाब मांगे थे. जिसका संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा सका. कोर्ट ने कहा कि प्रोन्नति के लिए ओवर ऑल परफार्मेंस देखा जाना चाहिए. बिना गाइडलाइंस के कोरोना संक्रमण के चलते बिना परीक्षा कराये अंक देकर प्रोन्नति दी गई है. जिसमें खामियां हैं. संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया जा रहा. जिसपर कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (Allahabad Central University) के अर्थशास्त्र विषय के एमए प्रीवियस सेमेस्टर के पूरे अंक के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नति देकर सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले मेधावी छात्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रोफेसर पी डी हलेजा गोल्ड मेडल पुरस्कार देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने परीक्षा समिति को वैधानिक संस्था न मानते हुए कहा है कि उसने बिना गाइडलाइंस के संस्कृत और दर्शन शास्त्र विषय में अंक गणना प्रणाली से भिन्न प्रक्रिया अपनाई.

अर्थशास्त्र में प्रीवियस सेमेस्टर के 10 फीसदी अंक जोड़ने में खामियों को देखते हुए ये नहीं कहा जा सकता है कि अनियमितता नहीं हुई है. कोर्ट ने कहा कि 8 नवंबर को मेडल अवार्ड कार्यक्रम है. ऐसे में पूरी सूची रद्द करने के बजाय विपक्षी मानस मुकुल मौर्य की दावेदारी रद की जाती है. कोर्ट ने मुख्य परीक्षा नियंत्रक और कुलसचिव को नये सिरे से आकलन कर उच्चतम अंक हासिल करने वाले छात्र को अर्थशास्त्र विषय का मेडल देने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अभिषेक कुमार सिंह की याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह, अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की. याचिका में विपक्षी जिसे याची से कम अंक मिले हैं, को मेडल देने से रोकने की मांग की गई थी.

याची का कहना है कि कोर्ट ने मेडल देने की गाइडलाइंस मांगी थी, लेकिन विश्वविद्यालय नहीं दे सका. एयू ने कहा कि परीक्षा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है. संस्कृत और दर्शन शास्त्र में पिछले सेमेस्टर के पूरे अंक शामिल कर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नति दी गई है. जबकि अर्थशास्त्र विषय में पिछले सेमेस्टर के 10फीसदी अंक ही जोड़े गए हैं, जो गलत है.

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कोर्ट ने विश्वविद्यालय से कई सवालों के जवाब मांगे थे. जिसका संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा सका. कोर्ट ने कहा कि प्रोन्नति के लिए ओवर ऑल परफार्मेंस देखा जाना चाहिए. बिना गाइडलाइंस के कोरोना संक्रमण के चलते बिना परीक्षा कराये अंक देकर प्रोन्नति दी गई है. जिसमें खामियां हैं. संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया जा रहा. जिसपर कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

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