प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि स्वच्छ गंगा मिशन को पलीता लगा रहे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति क्यों नहीं दे रही है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पत्र के माध्यम से राज्य सरकार से कानपुर नगर के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कर्तव्य निभाने में लापरवाही बरतने के लिए अभियोग चलाने की अनुमति मांगी है. इसके साथ ही कोर्ट ने गंगा को मैली करने वाले अफसरों की जवाबदेही तय करने का निर्देश भी दिया है.
HC ने राज्य सरकार से किया जवाब तलब
मेसर्स तन्नर्स इंडिया की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की खंडपीठ कर रही है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की जवाबदेही तय किया जाना सही कदम है. ऐसे में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति न देना सही वजह नहीं है. इससे पहले कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिलाधिकारी कानपुर नगर के परस्पर विरोधाभाषी हलफनामे दाखिल करने पर नाराजगी जतायी थी. कोर्ट ने प्रबंधक निदेशक जल निगम, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिलाधिकारी को बेहतर हलफनामे के साथ तलब किया था. कोर्ट ने कहा था कि नालो का गंदा पानी बिना शोधित सीधे गंगा में जा रहा है, ऐसी स्थिति रही तो कोर्ट अधिकारियों के वेतन रोकने पर विचार करेगी.
कोर्ट के निर्देश पर अधिकारी पेश हुये. बोर्ड ने हलफनामा दाखिल किया है, जबकि महाधिवक्ता मनीष गोयल ने जल निगम की ओर से हलफनामा दाखिल करने के लिए दो दिन का समय मांगा है. जिसको कोर्ट ने 21 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि कानपुर में कुल 175 चमड़ा उद्योग चालू है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एसटीपी की शोधन क्षमता जबतक न बढ़े तब तक नये उद्योग न खोले जाने के निर्देश दिये हैं. याची के अधिवक्ता उदय नंदन और वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन का दावा है कि कानपुर नगर में 400 चमड़ा उद्योग चलाया जा रहा है. जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि 271 उद्योग ही चल रहे हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि इसके सत्यापन की जरूरत है. इसलिए टेक्नोक्रेट और वकीलों की निगरानी टीम बनाकर मॉनीटरिंग करायी जानी चाहिये.