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लोगों ने प्रभु ईसा मसीह को किया याद, मनाया गुड फ्राइडे

प्रयागराज में शुक्रवार को गुड फ्राइडे मनाया गया. इस मौके पर लोग सेंट डॉन बॉस्को चर्च पहुंचे. जहां लोगों ने प्रभु ईसा मसीह को याद किया.

मनाया गया गुड फ्राइडे
मनाया गया गुड फ्राइडे
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Published : Apr 2, 2021, 10:16 PM IST

प्रयागराज: ईसाई समुदाय के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक गुड फ्राइडे शुक्रवार को मनाया गया. ईसाई धर्म को मनाने वाले लोगों के लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व होता है. इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. इस शोक और बलिदान के पर्व को पूरे देश में गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व के मौके पर ईसाई धर्म के लोगों ने गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु के सामने प्रार्थना कर उन्हें याद किया. माना जाता है कि प्रभु यीशु ने मानवता की भलाई और उनकी रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया.

यीशु को कीलों पर लटकाया

प्रयागराज के नैनी जेल रोड स्थित सेंट डॉन बॉस्को चर्च में ईसा मसीह को याद किया गया. गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईस्टर मनाया जाता है. जिसमें ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था. इस वजह से इसको गुड फ्राइडे कहा जाता है. ईसा मसीह पर धर्म अवमानना और राजद्रोह का आरोप लगा. रोम के शासक पितालुस से उनकी शिकायत की गई और कहा कि वो खुद को ईश्वर का पुत्र बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. जिसके बाद पितालुस ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. यीशु के सिर पर कांटों का ताज पहनाकर उन्हें चाबुक से मारा गया. उन्हें कीलों के सहारे लटका दिया गया. इसी दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये एक पवित्र समय माना जाता है.


यह भी पढ़ें: होली पर गीतों की फुहार, मोदी-ममता पर व्यंग्य के वार

फादर एस मेसकराहेनस ने बताया कि इस दिन लोग चर्च में सेवा करते हैं और उपवास भी रखते हैं. चर्च में यीशु के जीवन के आखिरी पलों को फिर से दोहराया भी जाता है. वहीं लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं और उन्हें बेहद सम्मान देते हैं. हर साल गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग ऐसा ही करते हैं.

अलीगढ़ में मना गुड फ्राइडे

अलीगढ़ में गुड फ्राइडे पर ईसा मसीह के बलिदान को याद किया गया. उनके दिखाए गए प्रेम और शांति के मार्ग पर चलने का लोगों ने प्रण लिया. गुड फ्राइडे पर भारी संख्या में लोगों ने चर्च में पहुंचकर प्रार्थना की. आज के दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता. लोग चर्च में जाकर क्रॉस को चूम कर प्रभु ईसा मसीह को याद करते हैं. साथ ही दिनभर लोग उपवास रखते हैं. चर्च में प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं. इस दौरान झांकी भी निकाली गई. गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे को इस्टर संडे मनाया जाता है.

प्रयागराज: ईसाई समुदाय के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक गुड फ्राइडे शुक्रवार को मनाया गया. ईसाई धर्म को मनाने वाले लोगों के लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व होता है. इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. इस शोक और बलिदान के पर्व को पूरे देश में गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व के मौके पर ईसाई धर्म के लोगों ने गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु के सामने प्रार्थना कर उन्हें याद किया. माना जाता है कि प्रभु यीशु ने मानवता की भलाई और उनकी रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया.

यीशु को कीलों पर लटकाया

प्रयागराज के नैनी जेल रोड स्थित सेंट डॉन बॉस्को चर्च में ईसा मसीह को याद किया गया. गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईस्टर मनाया जाता है. जिसमें ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था. इस वजह से इसको गुड फ्राइडे कहा जाता है. ईसा मसीह पर धर्म अवमानना और राजद्रोह का आरोप लगा. रोम के शासक पितालुस से उनकी शिकायत की गई और कहा कि वो खुद को ईश्वर का पुत्र बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. जिसके बाद पितालुस ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. यीशु के सिर पर कांटों का ताज पहनाकर उन्हें चाबुक से मारा गया. उन्हें कीलों के सहारे लटका दिया गया. इसी दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये एक पवित्र समय माना जाता है.


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फादर एस मेसकराहेनस ने बताया कि इस दिन लोग चर्च में सेवा करते हैं और उपवास भी रखते हैं. चर्च में यीशु के जीवन के आखिरी पलों को फिर से दोहराया भी जाता है. वहीं लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं और उन्हें बेहद सम्मान देते हैं. हर साल गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग ऐसा ही करते हैं.

अलीगढ़ में मना गुड फ्राइडे

अलीगढ़ में गुड फ्राइडे पर ईसा मसीह के बलिदान को याद किया गया. उनके दिखाए गए प्रेम और शांति के मार्ग पर चलने का लोगों ने प्रण लिया. गुड फ्राइडे पर भारी संख्या में लोगों ने चर्च में पहुंचकर प्रार्थना की. आज के दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता. लोग चर्च में जाकर क्रॉस को चूम कर प्रभु ईसा मसीह को याद करते हैं. साथ ही दिनभर लोग उपवास रखते हैं. चर्च में प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं. इस दौरान झांकी भी निकाली गई. गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे को इस्टर संडे मनाया जाता है.

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