प्रयागराज: जिले में गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ने की वजह से जनपद में बाढ़ की स्थिति बन गई है. दोनों नदियों से सटे कई गांवों में पानी घुस गया है. मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से छोड़े गए पानी से दोनों नदियां उफान पर हैं और खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं. दोनों नदियां प्रति घंटे पांच सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रही हैं.
86 सेंटीमीटर तक पहुंचेगा गंगा-यमुना का जलस्तर
एमपी, राजस्थान और उत्तरखंड में बने डैम से पानी छोड़े जाने की वजह से गंगा-यमुना का जलस्तर 86 सेंटीमीटर तक पहुंचने की संभावना है. बाढ़ से लोगों को सुरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से तैयारी में जुट गया है. जगह-जगह एनडीआरएफ की टीमों को तैनात कर दिया गया है, जिससे बाढ़ में फसे लोगों को सुरक्षित रहने की जगह मिल सके.
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जानिए कितने सेंटीमीटर तक गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ा
मंगलवार की शाम से गंगा-यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बाढ़ नियंत्रण के इंजीनियर सतेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले दो दिनों से गंगा-यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है. दूसरे प्रदेशों से पानी छोड़े जाने की वजह से दोनों नदियां खतरे के निशान तक पहुंच गई हैं. मंगलवार की शाम तक 84.73 सेंटीमीटर तक पानी पहुंच गया, जो खतरे के निशान को पार कर चुका है. फाफामऊ में जलस्तर 84.74 सेंटीमीटर दर्ज किया गया है. इसी तरह यमुना नदी का जलस्तर नैनी की तरफ 84.57 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है. वहीं छतनाग की तरफ जलस्तर 84.01 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है. आने वाले तीन दिनों तक जलस्तर में और बढ़ोतरी होगी.
कई घर पानी में हुए जलमग्न
मंगलवार की शाम तक दोनों नदियों में पानी की बढ़ोतरी होने से निचले इलाकों में बने घर पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. शहर में पांच हजार से अधिक घरों में पानी घुस गया है जिसके चलते वहां बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप कर दी गई है. खतरे निशान के ऊपर पानी पहुंचने से झूसी, नैनी, छतनाग, दारागंज, बघाड़ा, सलोरी, राजापुर, करेली, गंगा नगर, बेली आदि कई इलाकों में गंगा-यमुना का पानी पहुंच गया है. दोनों नदियों से सटे कई गांव और कई मोहल्ले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.