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डी.लिट की उपाधि पाने वाले AMU में दुनिया के पहले मुस्लिम प्रोफेसर, जानें कब और क्यों मिली? - AMU PROFESSOR MOHAMMAD SHARIF

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

विद्यार्थियों को पढ़ाते प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ
विद्यार्थियों को पढ़ाते प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 8, 2025, 4:53 PM IST

अलीगढ़ : एएमयू में एक ही छत के नीचे नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा दी जाती है. एएमयू में कुल छात्रों की संख्या लगभग 35000, 20 छात्रावास, 13 फैकल्टी हैं और 117 विभाग हैं. विश्वविद्यालय लगभग 1200 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. एक तरफ जहां थियोलॉजी विभाग में कुरान और हदीस की शिक्षा दी जाती है तो वहीं एएमयू के ही संस्कृत विभाग में रामायण और महाभारत भी शिक्षा दी जाती है. वहीं एएमयू के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद शरीफ दुनिया के पहले मुस्लिम प्रोफेसर हैं, जिनके पास संस्कृत की डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी.लिट) उपाधि है. आइये जानते हैं कि क्या होती है डी.लिट की उपाधि और प्रोफेसर शरीफ को किसने कब और क्यों दी?

प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. (Video credit: ETV Bharat)


अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वह दुनिया के पहले मुस्लिम प्रोफेसर हैं जिसको संस्कृत में डी.लिट की उपाधि दी गई है. संस्कृत के संबंध में 50 से अधिक पेपर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने 80 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस संस्कृत के पेपर प्रजेंट किये और 10 से ज्यादा कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की. उन्होंने बताया कि हाल ही में जयपुर यूनिवर्सिटी ने संस्कृत सरस्वती अवार्ड से सम्मानित किया था. उन्होंने बताया कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में वाइस चांसलर सुरेश चंद्र श्रीवास्तव थे. उस समय समारोह में मुख्य अतिथि रहे रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव के हाथों वर्ष 1995 में संस्कृत में डी.लिट की उपाधि दी गई थी.

जयपुर यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित
जयपुर यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित (Photo credit: ETV Bharat)



उन्होंने बताया कि वह दोबारा संस्कृत विभाग के अध्यक्ष बने हैं और जब से वह अध्यक्ष बने हैं विभाग में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति 1994 में हुई थी, वह पिछले 30 साल से यूनिवर्सिटी में संस्कृत पढ़ा रहे हैं. अब तक उनकी सात किताबें पब्लिश हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वह 20 छात्र-छात्राओं को पीएचडी करवा चुके हैं और आठ पीएचडी उनके निर्देशन में चल रहीं हैं.

क्या होती है डी.लिट की उपाधि? : प्रो. शरीफ ने बताया कि ज्यादातर लोगों को आज भी डी.लिट का फुल फॉर्म नहीं मालूम है अक्सर लोग 'डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर' कहते हैं, लेकिन डि.लीट का फुल फॉर्म 'डॉक्टर ऑफ लेटर्स' यानी सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा दुनिया का व्यक्ति होता है. उन्होंने बताया कि मुझे अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा है कि मैं एक न एक दिन किसी न किसी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर जरूर बनूंगा. संस्कृत पूरे देश में अपने आप में अनूठा विषय है. योग संस्कृत में बहुत अच्छा महत्व रखता है. योग सभी करते हैं. उन्होंने कहा कि 21 जून को योग दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है.



विभाग के छात्र-छात्राओं ने कहा : वहीं संस्कृत विभाग के छात्र मोहित चौधरी, छात्रा चंचल यादव, छात्रा रिया शेषथा ने प्रोफेसर शरीफ की काबिलियत की सराहना करते हुए कहा कि हमें गर्व होता है कि हम एक ऐसे प्रोफेसर से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जो हिंदुस्तान का ही नहीं दुनिया का पहला मुस्लिम प्रोफेसर है जिसको संस्कृत की डी.लिट की उपाधि दी गई है. उन्होंने बताया कि प्रोफेसर शरीफ बहुत अच्छा और अच्छे तरीके से पढ़ते हैं. उनका व्यवहार भी काफी अच्छा है. छात्राओं ने यह भी बताया कि संस्कृत पढ़ना उनको अच्छा लगता है और वह इसमें अपना भविष्य बनाना चाहते हैं.



यह भी पढ़ें : 84 की उम्र में BHU से डी.लिट की उपाधि हासिल कर तोड़ा रिकॉर्ड, जानिए कौन हैं अमलधारी सिंह? - Amaldhari Singh got Dlitt degree

अलीगढ़ : एएमयू में एक ही छत के नीचे नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा दी जाती है. एएमयू में कुल छात्रों की संख्या लगभग 35000, 20 छात्रावास, 13 फैकल्टी हैं और 117 विभाग हैं. विश्वविद्यालय लगभग 1200 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. एक तरफ जहां थियोलॉजी विभाग में कुरान और हदीस की शिक्षा दी जाती है तो वहीं एएमयू के ही संस्कृत विभाग में रामायण और महाभारत भी शिक्षा दी जाती है. वहीं एएमयू के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद शरीफ दुनिया के पहले मुस्लिम प्रोफेसर हैं, जिनके पास संस्कृत की डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी.लिट) उपाधि है. आइये जानते हैं कि क्या होती है डी.लिट की उपाधि और प्रोफेसर शरीफ को किसने कब और क्यों दी?

प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. (Video credit: ETV Bharat)


अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद शरीफ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वह दुनिया के पहले मुस्लिम प्रोफेसर हैं जिसको संस्कृत में डी.लिट की उपाधि दी गई है. संस्कृत के संबंध में 50 से अधिक पेपर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने 80 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस संस्कृत के पेपर प्रजेंट किये और 10 से ज्यादा कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की. उन्होंने बताया कि हाल ही में जयपुर यूनिवर्सिटी ने संस्कृत सरस्वती अवार्ड से सम्मानित किया था. उन्होंने बताया कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में वाइस चांसलर सुरेश चंद्र श्रीवास्तव थे. उस समय समारोह में मुख्य अतिथि रहे रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव के हाथों वर्ष 1995 में संस्कृत में डी.लिट की उपाधि दी गई थी.

जयपुर यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित
जयपुर यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित (Photo credit: ETV Bharat)



उन्होंने बताया कि वह दोबारा संस्कृत विभाग के अध्यक्ष बने हैं और जब से वह अध्यक्ष बने हैं विभाग में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति 1994 में हुई थी, वह पिछले 30 साल से यूनिवर्सिटी में संस्कृत पढ़ा रहे हैं. अब तक उनकी सात किताबें पब्लिश हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वह 20 छात्र-छात्राओं को पीएचडी करवा चुके हैं और आठ पीएचडी उनके निर्देशन में चल रहीं हैं.

क्या होती है डी.लिट की उपाधि? : प्रो. शरीफ ने बताया कि ज्यादातर लोगों को आज भी डी.लिट का फुल फॉर्म नहीं मालूम है अक्सर लोग 'डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर' कहते हैं, लेकिन डि.लीट का फुल फॉर्म 'डॉक्टर ऑफ लेटर्स' यानी सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा दुनिया का व्यक्ति होता है. उन्होंने बताया कि मुझे अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा है कि मैं एक न एक दिन किसी न किसी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर जरूर बनूंगा. संस्कृत पूरे देश में अपने आप में अनूठा विषय है. योग संस्कृत में बहुत अच्छा महत्व रखता है. योग सभी करते हैं. उन्होंने कहा कि 21 जून को योग दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है.



विभाग के छात्र-छात्राओं ने कहा : वहीं संस्कृत विभाग के छात्र मोहित चौधरी, छात्रा चंचल यादव, छात्रा रिया शेषथा ने प्रोफेसर शरीफ की काबिलियत की सराहना करते हुए कहा कि हमें गर्व होता है कि हम एक ऐसे प्रोफेसर से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जो हिंदुस्तान का ही नहीं दुनिया का पहला मुस्लिम प्रोफेसर है जिसको संस्कृत की डी.लिट की उपाधि दी गई है. उन्होंने बताया कि प्रोफेसर शरीफ बहुत अच्छा और अच्छे तरीके से पढ़ते हैं. उनका व्यवहार भी काफी अच्छा है. छात्राओं ने यह भी बताया कि संस्कृत पढ़ना उनको अच्छा लगता है और वह इसमें अपना भविष्य बनाना चाहते हैं.



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