प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद को एक और झटका लगा है. हाईकोर्ट ने अतीक अहमद के छोटे बेटे अली उर्फ अली अहमद की 5 करोड़ की रंगदारी मांगने व जानलेवा हमले के मामले में अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. यह आदेश जस्टिस मोहम्मद असलम की सिंगल बेंच ने सुनाया है. कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र व अनिल तिवारी, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, अपर शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड व राज्य विधि अधिकारी अभिजीत मुखर्जी को सुनकर यह आदेश दिया.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अली फरार चल रहा है. उस पर पहले 25 हजार रुपये का इनामी घोषित किया गया था. बाद में आईजी जोन ने इनामी राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी है. अली पर 5 करोड़ की रंगदारी मांगने, जानलेवा हमला करने आदि अपराध के गंभीर आरोप हैं. वह लगातार फरार चल रहा है और विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है. इसलिए उसकी अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त की जाए. अर्जी के अनुसार मो. जीशान की ओर से करेली थाने में 31 दिसंबर 2021 में दर्ज कराए गए मामले में अली आरोपी है.
आरोप के मुताबिक अली 31 दिसंबर 2021 को अपने साथियों के साथ आया और कनपटी पर पिस्टल सटाकर अतीक अहमद से मोबाइल पर बात करने को कहा. जीशान के मना करने पर अतीक ने फोन पर 5 करोड़ की रंगदारी मांगी व ऐनुद्दीनपुर स्थित प्रॉपर्टी अपनी बीवी के नाम करने को कहा. साथ ही न देने पर जान से मारने की धमकी दी. जीशान के मना करने पर अली व उसके साथ आए लोगों ने जीशान व उसके रिश्तेदारों को पिस्टल, रायफल व बंदूक की बट से बुरी तरह मारा पीटा. साथ ही अली व असाद ने पिस्टल से फायर भी किया, लेकिन दीवार की आड़ में छिप जाने के कारण जीशान बाल-बाल बच गया.
बचाव पक्ष की दलील
अग्रिम जमानत के समर्थन में कहा गया था कि जीशान रिश्ते में याची का मौसा लगता है. वे लोग याची के पिता के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का बिजनेस करते थे. गिरफ्तार होने से पहले उसके पिता अतीक अहमद ने काफी बड़ी रकम बिजनेस में लगाने के लिए जीशान को दी थी. याची के पिता की गिरफ्तारी और निकट भविष्य में उनके जेल से बाहर न आने की स्थिति को देखते हुए जीशान ने रकम हड़पने के लिए याची के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई है. बचाव पक्ष की ओर से यह भी दलील दी गई कि याची प्रतिष्ठित परिवार से है. उसके पिता अतीक अहमद 5 बार विधायक और 1 बार सांसद रह चुके हैं. उसके चाचा भी एक बार एमएलए रह चुके हैं. यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता जीशान की भाजपा के एक मंत्री से काफी नजदीकी है. साथ ही मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए उसे फर्जी मुकदमे में फंसाने की कोशिश की जा रही है.
बचाव पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के कई न्यायिक निर्णयों की नजीरें भी पेश की गई. कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि याची पर 50 हजार रुपये का इनाम है. उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है जो तामील नहीं कराया जा सका है. इससे स्पष्ट है कि याची विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है. इस स्थिति में वह अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है.
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