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लोक कलाकारों की गुहार, हमें भी ऑनलाइन दिखाओ सरकार - folk online show

यूपी में पूर्वांचल के लोगों को अपनी मिट्टी से जोड़ने वाले प्रयागराज के लोक कलाकारों की कोरोना संकट में हालत दयनीय है. कोरोना काल में डेढ़ साल से आयोजनों पर रोक के कारण इनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

Art and cultural activities
प्रयागराज के लोक कलाकार
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Published : Jun 15, 2021, 7:30 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 10:03 PM IST

प्रयागराज : देश की संस्कृति और पहचान को सहेजे रखने में पारंपरिक लोकगीत, नृत्य और वेशभूषा अहम भूमिका निभाती है. ऐसे में ढेडीया लोक नृत्य, पारंपरिक शादी विवाह में गीत गाने वाले ये कलाकार अपनी विरासत और संस्कृति को सहेजे हुए हैं, लेकिन कोरोना काल में डेढ़ साल से आयोजनों पर रोक के कारण अब इन कलाकारों के सामने भी कमाने-खाने का संकट खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि दो जून की रोटी के लिए भी इन्हें जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

लोक कलाकरों का कहना है सरकार उन्हें एक सुरक्षित मंच प्रदान करें

उत्तर प्रदेश में हजारों लोक कलाकार हैं, जिनकी रोजी-रोटी का जरिया अपनी लोक कलाओं की प्रस्तुति से होने वाले आयोजन से है. धर्मनगरी कहे जाने वाले प्रयागराज ढेडीया लोक नृत्य और पारंपरिक शादी-विवाह में गाने वाले ये कलाकार प्रयागराज की एक पहचान है. इन कलाकारों ने देश के हर कोने में अपने नृत्य और संगीत के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई है. देश-दुनिया में लोक संस्कृति की पहचान को जीवंत रखने वाले ये कलाकार मुफलिसी की दौर से गुजर रहे हैं. आलम यह है कि कोरोना काल में सभी कार्यक्रमों और आयोजनों पर रोक के कारण कलाकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वहीं कोरना संक्रमण कम होने के बाद एक बार फिर से इन कलाकारों की उम्मीद फिर से जागी है. अनलॉक होने के बाद यह कलाकार अपना साज-सज्जा का सामान सही करने के साथ-साथ प्रैक्टिस करने में भी जुट गए हैं.


बुजुर्ग लोक कलाकारों के लिए पेंशन योजना

यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश के कुछ बुजुर्ग लोक कलाकारों के लिए एक पेंशन योजना शुरू की है, लेकिन इसका लाभ कम कलाकारों को ही मिल पा रहा है. इसलिए जरूरी है की बचें हुए दूसरे लोक कलाकारों की आजीविका के लिए भी सरकार लोक संस्कृतियों के कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन और कार्यशाला को लेकर कोई नई व्यवस्था विकल्प के रूप में सामने लाए, ताकि लोक संस्कृति और हमारे लोक कलाकार दोनों बचे रहें.

Art and cultural activities
प्रयागराज के लोक कलाकार

इसे भी पढ़ें- पिछली सरकारों में "लोक कलाओं" का हुआ नुकसान: सीताराम कश्यप



ऑनलाइन के जरिए प्रस्तुतीकरण

इन लोक कलाकरों का कहना है सरकार उन्हें एक सुरक्षित मंच प्रदान करें. जहां से वें अपने कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण कर सके. इन कार्यक्रमों को ऑनलाइन सेवा के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाए. इससे एक तरफ हमारी नई पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति को समझ सकेगी तो वही इन कलाकारों के जीविका का एक वैकल्पिक जरिया बन सकेगा. इन कलाकारों की जागी हुई उम्मीद पूरी हो पाएगी या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

प्रयागराज : देश की संस्कृति और पहचान को सहेजे रखने में पारंपरिक लोकगीत, नृत्य और वेशभूषा अहम भूमिका निभाती है. ऐसे में ढेडीया लोक नृत्य, पारंपरिक शादी विवाह में गीत गाने वाले ये कलाकार अपनी विरासत और संस्कृति को सहेजे हुए हैं, लेकिन कोरोना काल में डेढ़ साल से आयोजनों पर रोक के कारण अब इन कलाकारों के सामने भी कमाने-खाने का संकट खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि दो जून की रोटी के लिए भी इन्हें जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

लोक कलाकरों का कहना है सरकार उन्हें एक सुरक्षित मंच प्रदान करें

उत्तर प्रदेश में हजारों लोक कलाकार हैं, जिनकी रोजी-रोटी का जरिया अपनी लोक कलाओं की प्रस्तुति से होने वाले आयोजन से है. धर्मनगरी कहे जाने वाले प्रयागराज ढेडीया लोक नृत्य और पारंपरिक शादी-विवाह में गाने वाले ये कलाकार प्रयागराज की एक पहचान है. इन कलाकारों ने देश के हर कोने में अपने नृत्य और संगीत के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई है. देश-दुनिया में लोक संस्कृति की पहचान को जीवंत रखने वाले ये कलाकार मुफलिसी की दौर से गुजर रहे हैं. आलम यह है कि कोरोना काल में सभी कार्यक्रमों और आयोजनों पर रोक के कारण कलाकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वहीं कोरना संक्रमण कम होने के बाद एक बार फिर से इन कलाकारों की उम्मीद फिर से जागी है. अनलॉक होने के बाद यह कलाकार अपना साज-सज्जा का सामान सही करने के साथ-साथ प्रैक्टिस करने में भी जुट गए हैं.


बुजुर्ग लोक कलाकारों के लिए पेंशन योजना

यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश के कुछ बुजुर्ग लोक कलाकारों के लिए एक पेंशन योजना शुरू की है, लेकिन इसका लाभ कम कलाकारों को ही मिल पा रहा है. इसलिए जरूरी है की बचें हुए दूसरे लोक कलाकारों की आजीविका के लिए भी सरकार लोक संस्कृतियों के कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन और कार्यशाला को लेकर कोई नई व्यवस्था विकल्प के रूप में सामने लाए, ताकि लोक संस्कृति और हमारे लोक कलाकार दोनों बचे रहें.

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प्रयागराज के लोक कलाकार

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ऑनलाइन के जरिए प्रस्तुतीकरण

इन लोक कलाकरों का कहना है सरकार उन्हें एक सुरक्षित मंच प्रदान करें. जहां से वें अपने कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण कर सके. इन कार्यक्रमों को ऑनलाइन सेवा के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाए. इससे एक तरफ हमारी नई पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति को समझ सकेगी तो वही इन कलाकारों के जीविका का एक वैकल्पिक जरिया बन सकेगा. इन कलाकारों की जागी हुई उम्मीद पूरी हो पाएगी या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

Last Updated : Jun 15, 2021, 10:03 PM IST
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