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प्रयागराज: गोपालकों को 13 महीने से नहीं मिला वेतन, प्रधान के खर्चे से चल रहा गोशाला

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के मांडा विकास खंड में संचालित एक गोशाला में काम करने वाले गोपालकों को 13 महीने से वेतन नहीं मिला है. ग्राम प्रधान अपने खर्चे से गोशाला चला रहे हैं. प्रधान प्रतिनिधि ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि गोशाला के चारों तरफ पक्की बाउंड्री न होने से जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना हुआ है.

cowshed in manda of prayagraj
मांडा के देवरी गांव में बना गोशाला.
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Published : Aug 27, 2020, 7:40 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 11:31 AM IST

प्रयागराज: एक तरफ पूरा देश कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर योगी सरकार में बने गोशाला बदहाल स्थिति में पहुंच गए हैं. 13 महीने से मांडा विकास खंड के भवानीपुर ग्राम सभा के देवरी गांव में बने बृहद गोशाला में काम करने वाले गोपालकों को वेतन नहीं दिया गया है. 10 एकड़ में बने इस गोशाला में न तो बाउंड्री है और न ही बिजली.

cowshed in manda of prayagraj
गोशाला.

गोशाला संचालक और ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि चंदन शुक्ला का कहना है कि जब से गोशाला बना है, इसकी देख रेख प्रधान के द्वारा की जा रही है. पिछले चार महीने से शासन-प्रशासन से आर्थिक मदद न मिलने से गोशाला चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

300 से अधिक हैं जानवर
भवानीपुर ग्रामसभा के प्रधान प्रतिनिधि चंदन शुक्ला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि जब गोशाला बना तो कुछ महीने बराबर सरकार के द्वारा आर्थिक मदद की जा रही थी, लेकिन पिछले चार महीने से न तो चारा की आर्थिक भरपाई की जा रही है और न ही 13 महीने से गोपालकों को वेतन दिया जा रहा है. भवानीपुर देवरी बृहद गोशाला में 385 गाय हैं. प्रति गाय के हिसाब से 30 रुपये शासन द्वारा दिया जा रहा था, लेकिन चार महीने से यह पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

ग्राम प्रधान के खर्च से चल रहा गोशाला.
प्रधान धनराशि से हो रहा गोशाला संचालितप्रधान प्रतिनिधि चंदन शुक्ला ने बताया कि गोशाला संचालन को लेकर सरकार से मदद न मिलने से परेशानी तो हो रही है, लेकिन गायों को समय से चारा मिले, इसके लिए प्रधान धनराशि से इंतजाम किया जा रहा है. इसके अलावा गोशाला में पशु चिकित्सक द्वारा समय-समय पर गायों का चेकअप भी कराया जाता है.

बिजली और पक्की बाउंड्री की है समस्या
प्रधान प्रतिनिधि ने बताया कि शासन को कई बार गोशाला में आने वाली समस्या से अवगत करवाया गया, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि गोशाला के चारों तरफ पक्की बाउंड्री न होने से जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना हुआ है. इसके साथ ही शासन द्वारा बिजली न मिलने से रात को गोशाला में अंधेरा छा जाता है. जहां गोपालक रहते हैं, वहां पर खुद से लाइट लगाया गया है, जिससे रात को जंगली जानवरों को भगाया जा सके.

चारागाह में दबंगों का कब्जा
प्रधान प्रतिनिधि चंदन शुक्ला ने बताया कि 10 एकड़ में बने बृहद गोशाला में जानवरों को हरा चारा मिले, इसके लिए चारागाह बनाया गया है, लेकिन वहां दबंगों का कब्जा होने से अब जानवरों को हरा चारा देने में असमर्थ हो गया. इसके साथ ही भूसा और पानी की व्यवस्था भी स्वयं से कर रहा हूं.

आठ गोपालकों को 13 महीने से नहीं मिला वेतन
बृहद गोपालक अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि जब से गोशाला बना है, तब से लेकर अब तक 13 महीने से सरकार द्वारा वेतन नहीं दिया गया है. वेतन न मिलने से अब घर चलाना मुश्किल हो गया है. प्रधान द्वारा थोड़ा बहुत आर्थिक सहयोग मिलता है, जिसकी वजह से काम कर रहा हूं. अगर वेतन नहीं मिलेगा तो काम करने में अब असमर्थ होना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: प्रयागराज: कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह हुए कोरोना पॉजिटिव

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cowshed in manda of prayagraj
गोशाला.

गोशाला संचालक और ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि चंदन शुक्ला का कहना है कि जब से गोशाला बना है, इसकी देख रेख प्रधान के द्वारा की जा रही है. पिछले चार महीने से शासन-प्रशासन से आर्थिक मदद न मिलने से गोशाला चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

300 से अधिक हैं जानवर
भवानीपुर ग्रामसभा के प्रधान प्रतिनिधि चंदन शुक्ला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि जब गोशाला बना तो कुछ महीने बराबर सरकार के द्वारा आर्थिक मदद की जा रही थी, लेकिन पिछले चार महीने से न तो चारा की आर्थिक भरपाई की जा रही है और न ही 13 महीने से गोपालकों को वेतन दिया जा रहा है. भवानीपुर देवरी बृहद गोशाला में 385 गाय हैं. प्रति गाय के हिसाब से 30 रुपये शासन द्वारा दिया जा रहा था, लेकिन चार महीने से यह पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

ग्राम प्रधान के खर्च से चल रहा गोशाला.
प्रधान धनराशि से हो रहा गोशाला संचालितप्रधान प्रतिनिधि चंदन शुक्ला ने बताया कि गोशाला संचालन को लेकर सरकार से मदद न मिलने से परेशानी तो हो रही है, लेकिन गायों को समय से चारा मिले, इसके लिए प्रधान धनराशि से इंतजाम किया जा रहा है. इसके अलावा गोशाला में पशु चिकित्सक द्वारा समय-समय पर गायों का चेकअप भी कराया जाता है.

बिजली और पक्की बाउंड्री की है समस्या
प्रधान प्रतिनिधि ने बताया कि शासन को कई बार गोशाला में आने वाली समस्या से अवगत करवाया गया, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि गोशाला के चारों तरफ पक्की बाउंड्री न होने से जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना हुआ है. इसके साथ ही शासन द्वारा बिजली न मिलने से रात को गोशाला में अंधेरा छा जाता है. जहां गोपालक रहते हैं, वहां पर खुद से लाइट लगाया गया है, जिससे रात को जंगली जानवरों को भगाया जा सके.

चारागाह में दबंगों का कब्जा
प्रधान प्रतिनिधि चंदन शुक्ला ने बताया कि 10 एकड़ में बने बृहद गोशाला में जानवरों को हरा चारा मिले, इसके लिए चारागाह बनाया गया है, लेकिन वहां दबंगों का कब्जा होने से अब जानवरों को हरा चारा देने में असमर्थ हो गया. इसके साथ ही भूसा और पानी की व्यवस्था भी स्वयं से कर रहा हूं.

आठ गोपालकों को 13 महीने से नहीं मिला वेतन
बृहद गोपालक अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि जब से गोशाला बना है, तब से लेकर अब तक 13 महीने से सरकार द्वारा वेतन नहीं दिया गया है. वेतन न मिलने से अब घर चलाना मुश्किल हो गया है. प्रधान द्वारा थोड़ा बहुत आर्थिक सहयोग मिलता है, जिसकी वजह से काम कर रहा हूं. अगर वेतन नहीं मिलेगा तो काम करने में अब असमर्थ होना पड़ेगा.

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Last Updated : Aug 28, 2020, 11:31 AM IST
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