प्रयागराज: प्रयागराज की शहर उत्तरी विधानसभा सीट पर इस बार चुनाव से पहले ही घमासान मचा हुआ है. शहर उत्तरी सीट से टिकट के लिए तीन राजनीतिक घरानों के बीच अब खींचतान मची हुई है. एक तरफ जहां वर्तमान विधायक टिकट के सबसे बड़े दावेदार हैं. वहीं दूसरी तरफ यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे व पश्चिम बंगाल के पुर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी अपनी बहू के लिए इस सीट से टिकट के लिए पुरजोर पैरवी कर रहे हैं. साथ ही प्रयागराज के इलाहाबाद लोकसभा सीट से सांसद रीता बहुगुणा जोशी भी अपने बेटे को शहर उत्तरी सीट से टिकट दिलाने का प्रयास कर रही हैं. तीनों राजनीतिक घरानों में से भाजपा किसे टिकट दे इसको लेकर प्रयागराज से लेकर दिल्ली तक मंथन चल रहा है. हालांकि इससे पहले तक इस सीट से चुनाव लड़ने वालों में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का भी नाम शामिल था, लेकिन उनके सिराथू जाने के बाद इस सीट के दावेदारों के बीच टिकट को लेकर चुनावी जंग और भी तेज हो गई है.
3 ब्राह्मण दावेदारों के टिकट को लेकर है खींचतान
प्रयागराज की शहर उत्तरी विधानसभा सीट के टिकट को लेकर भाजपा के अंदर ही घमासान मचा हुआ है. सूबे की सबसे ज्यादा पढ़े लिखे मतदाताओं वाली इस सीट से चुनावी मैदान में ताल ठोंकने के लिए जहां भाजपा के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी अपनी बहू कविता को टिकट दिए जाने की पैरवी कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी तो यहां तक है कि बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने पीएम मोदी के दरबार तक में अपनी बहू को टिकट देने के लिए गुहार लगाई है. इसके साथ ही गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी बहू को टिकट देने की मांग की है. बताया जाता है कि पहले उन्होंने शहर दक्षिणी सीट से टिकट देने की मांग की थी. क्योंकि उसी सीट से वो लगातार 5 बार विधायक चुने गए थे. हालांकि अब उस सीट से वर्तमान में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी विधायक है. जिनका दक्षिणी से चुनाव लड़ना तय हो चुका है और वो अपना चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं. इसी वजह से केशरी नाथ त्रिपाठी ने बहू को शहर उत्तरी विधानसभा सीट से टिकट दिए जाने पुरजोर मांग पार्टी में उच्च स्तर तक पहुंची दी है. बहू के लिए टिकट की दावेदारी करने के साथ ही वो हमेशा से भाजपाई होने की दुहाई भी देकर भी टिकट मांग रहे हैं.
रीता बहुगुणा जोशी भी दिलाना चाहती हैं बेटे को टिकट
प्रयागराज की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली शहर उत्तरी विधानसभा से इलाहाबाद की सांसद रीता बहुगुणा जोशी भी अपने बेटे को टिकट दिलवाना चाहती हैं. बताया जा रहा है कि लखनऊ कैंट के अलावा रीता बहुगुणा जोशी की दूसरी सबसे पसंदीदा सीट प्रयागराज की शहर उत्तरी सीट ही है. क्योंकि शहर उत्तरी पर पढ़े लिखे चेहरे के अलावा भाजपा की पकड़ भी मजबूत है. इसके साथ ही ब्राह्मण होने का भी उन्हें लाभ मिलने की भी उम्मीद है. रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे को टिकट दिलवाने के लिए अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा तक देने की बात कर चुकी हैं. लखनऊ कैंट सीट से बेटे को टिकट मिलता न देख रीता बहगुणा जोशी ने बेटे के लिए शहर उत्तरी सीट तक पर विचार करने की मांग पार्टी से कर दी है. हालांकि उनके बेटे मयंक की प्रयागराज की राजनीति में कोई सक्रिय भूमिका नहीं रही है, लेकिन उसके बावजूद सांसद मां बेटे को टिकट दिलवाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास में जुटी हुई हैं. उनके बेटे को टिकट देने का अंदरखाने से कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं जो उनके व बेटे को बाहरी होने की भी दुहाई दे रहे हैं.
हर्ष वर्धन बाजपेयी हैं सबसे प्रबल दावेदार
प्रयागराज की इस सीट से हर्ष वर्धन बाजपेयी विधायक हैं. 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर हर्ष वर्धन बाजपेयी को जीत मिली थी. इससे पहले भी हर्ष वर्धन बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर हार का सामना कर चुके हैं, लेकिन 2017 के चुनाव से पहले हर्ष ने भाजपा का दामन थाम लिया और चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे हैं. हालांकि इस बार चुनाव से पहले टिकट पाने को लेकर ही हर्ष वर्धन को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि इस बार उनकी पार्टी में उन्हीं की जाति के 2 और प्रबल दावेदारों ने टिकट के लिए दावेदारी पेश कर दी है. हर्ष वर्धन के अलावा इस सीट से कई और नेताओं ने दावेदारों की है. वहीं अपनी ही पार्टी के नेताओं से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए हर्ष वर्धन बाजपेयी कई दिनों तक दिल्ली दरबार में डेरा डाले हुए थे, लेकिन अभी तक पार्टी की तरफ से किसी को भी टिकट दिए जाने का संकेत नहीं दिया गया है.
उत्तरी के टिकट को लेकर ज्यादा है सस्पेंस
प्रयागराज की इस सीट पर टिकट को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी हो गई है. क्योंकि इस सीट पर नए नेताओं के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की प्रतिष्ठा भी फंस गई है. अब ऐसे हालात में बीजेपी के लिए इस सीट से किसी को उम्मीदवार को घोषित करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि पार्टी जिसे भी टिकट देगी. उसके अलावा टिकट न पाने वाले दिग्गज नेता और उनके परिवार वालों की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी. अब ऐसे में देखना ये होगा कि भाजपा के तीन नेताओं के बीच प्रतिष्ठा बन चुकी इस सीट पर किसे उम्मीदवार मिलती है. शहर उत्तरी सीट पर जिले में सबसे ज्यादा 4,17,788 मतदाता हैं, लेकिन जिले में सबसे कम मतदान भी इसी सीट के मतदाता करते हैं. इससे ज्यादातर उम्मीदवारों की मुश्किल बढ़ जाती है. पिछले 9 चुनावों की बात करें तो यहां पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहा है. पिछले 9 चुनावों में 5 बार भाजपा और 4 बार अनुग्रह नारायण सिंह को जीत मिली है. अनुग्रह नारायण सिंह 2 बार कांग्रेस में शहर उत्तरी के विधायक चुने गए हैं जबकि उससे पहले एक बार जनता दल व एक बार जेकेडी के टिकट पर भी विधायक चुने गए थे. साथ ही 5 बार चुनाव हारकर वो दूसरे स्थान पर रहे हैं. इस चुनाव में भाजपा से कोई भी नेता मैदान में उतरे, लेकिन उसका मुकाबला कांग्रेस नेता अनुग्रह नारायण सिंह से ही होना तय है.
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