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दीपावली 2020: गाय के गोबर से निर्मित दीये से करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा

इस बार की दीपावली कुछ खास होगी. इसे खास बनाने के लिए वात्सल्य सेवा समिति दिन-रात मेहनत कर रही है. समिति के सदस्य और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पिछले 15 दिनों से गोबर के दीये बनाने का काम कर रही हैं.

स्वयं सहायता समूह की महिलायें बना रही दीये.
स्वयं सहायता समूह की महिलायें बना रही दीये.
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Published : Nov 5, 2020, 10:27 AM IST

प्रयागराज : आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से एक महिला डॉक्टर ने स्वयं सहायता समूह की मदद से दीपावली पर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने का फैसला किया है. शहर में इस बार गाय के गोबर और गंगा की मिट्टी से दीया बनाकर घरों को रोशन किया जायेगा.

स्वयं सहायता समूह की महिलायें बना रही दीये.
स्वयं सहायता समूह की महिलायें बना रही दीये.

प्रयागराज की महिला डॉक्टर डॉ. कृतिका अग्रवाल ने इस बार की दीपावली को इको फ्रेंडली तरीके से मनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए गाय के गोबर और गंगा की मिट्टी के दीये बनाये जा रहे हैं. वात्सल्य सेवा की प्रभारी और पेशे से चिकित्सक डॉ कृतिका अग्रवाल इन दिनों अपनी टीम के साथ दीपावली पर जलने वाले दीयों को प्राकृतिक रूप से निर्मित करने में जुटी हैं. साथ ही गौ और गंगा की साथर्कता से लोगों को अवगत करा रही हैं.

गाय के गोबर से बनाए जा रहे दीये.

गो और गंगा को बचाने का संकल्प

डॉ कृतिका अग्रवाल ने कहा कि इस बार चाइनीज सामानों का बहिष्कार कर स्वदेशी को अपनाना होगा. इस बाबत दीयों को बनाने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दी गई है. इस तरह बड़ी संख्या में महिलायें न केवल इस कार्य से जुड़ी हैं, बल्कि प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के सपने को भी मजबूती से जमीनी स्तर पर उतार रही हैं. साथ ही सीएम योगी के गो रक्षा अभियान को भी बल मिलेगा. गंगा की मिट्टी और गाय के गोबर से बने दीयों की बाजार में भी मांग बढ़ी है.

प्रयागराज : आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से एक महिला डॉक्टर ने स्वयं सहायता समूह की मदद से दीपावली पर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने का फैसला किया है. शहर में इस बार गाय के गोबर और गंगा की मिट्टी से दीया बनाकर घरों को रोशन किया जायेगा.

स्वयं सहायता समूह की महिलायें बना रही दीये.
स्वयं सहायता समूह की महिलायें बना रही दीये.

प्रयागराज की महिला डॉक्टर डॉ. कृतिका अग्रवाल ने इस बार की दीपावली को इको फ्रेंडली तरीके से मनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए गाय के गोबर और गंगा की मिट्टी के दीये बनाये जा रहे हैं. वात्सल्य सेवा की प्रभारी और पेशे से चिकित्सक डॉ कृतिका अग्रवाल इन दिनों अपनी टीम के साथ दीपावली पर जलने वाले दीयों को प्राकृतिक रूप से निर्मित करने में जुटी हैं. साथ ही गौ और गंगा की साथर्कता से लोगों को अवगत करा रही हैं.

गाय के गोबर से बनाए जा रहे दीये.

गो और गंगा को बचाने का संकल्प

डॉ कृतिका अग्रवाल ने कहा कि इस बार चाइनीज सामानों का बहिष्कार कर स्वदेशी को अपनाना होगा. इस बाबत दीयों को बनाने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दी गई है. इस तरह बड़ी संख्या में महिलायें न केवल इस कार्य से जुड़ी हैं, बल्कि प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के सपने को भी मजबूती से जमीनी स्तर पर उतार रही हैं. साथ ही सीएम योगी के गो रक्षा अभियान को भी बल मिलेगा. गंगा की मिट्टी और गाय के गोबर से बने दीयों की बाजार में भी मांग बढ़ी है.

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