प्रयागराज: हौसला हिम्मत और मजबूत इरादे आपके अंदर है तो आपको मंजिल पाने से कोई बाधा नहीं रोक सकती है. इस बात को साबित कर दिखाया है प्रयागराज के रहने वाले दिव्यांग दीपक त्रिपाठी ने. दीपक बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गए. जिससे वह चलने फिरने से लाचार हो गए थे. लेकिन, उन्होंने अपने हौसलों के बल पर हिम्मत नहीं हारी और कामयाबी के शिखर की तरफ निरंतर बढ़ते जा रहे हैं. दिव्यांग दीपक कुमार त्रिपाठी ने अपनी दिव्यांगता को मात देते हुए विशेष शिक्षा में एमएड और पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है. विश्व दिव्यांगता दिवस (world disabled day) पर जानिए दीपक कुमार की संघर्ष की कहानी.
प्रयागराज के दिव्यांग शिक्षक डॉ. दीपक त्रिपाठी दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही वो दिव्यांगों को इस तरह से आत्म निर्भर बनाना चाहते हैं जिससे वो दूसरों का भी सहारा बन सके. प्रयागराज के इस दिव्यांग शिक्षक को सीएम योगी और राज्यपाल के साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री भी सम्मानित कर चुके हैं. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने उन्हें दिव्यांग मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ब्रांड एम्बेसडर(Brand ambassador of Divyang voters) भी बनाया था.
सीएम और राज्यपाल ने किया सम्मानित: शिक्षक के रूप में दिव्यांग बच्चों और दूसरे विद्यालय में आम छात्रों को शिक्षा देने के लिए दीपक कुमार को सीएम योगी और राज्यपाल आनंदीबने पटेल की तरफ से राज्य स्तरीय सम्मान मिल चुका है. इसके साथ ही दिव्यांगों को शिक्षा देने और मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए बिहार के सीएम रहे जीतन राम मांझी द्वारा दीपक कुमार को सम्मनित किया जा चुका है. विधानसभा चुनाव 2017 में दिव्यांगों का 90 प्रतिशत मतदान कराने पर मंडलायुक्त से भी पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. वह अब नेहरू ग्राम भारती डीम्ड युनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं. जहां पर वो स्पेशल एजुकेशन के स्नातक और परास्नातक के साथ ही बीएड और एमएड के छात्रों को पढ़ा रहे हैं. इसके साथ ही विश्वविद्यालय में ही कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के दिव्यांग छात्रों को भी शिक्षा दे रहे हैं.
दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कर रहे हैं काम:डॉ. दीपक त्रिपाठी का कहना है कि दिव्यांग होने की वजह से उन्हें जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा है. उस तरह की दिक्कतों का सामना दूसरे दिव्यांगों को न करना पड़े. जिसके लिए वो निरन्तर प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि दिव्यांगो को शिक्षा के जरिये आत्म निर्भर बनाया जा सकता है. एक दिव्यांग बेहतर शिक्षा हासिल करके न सिर्फ अपने आप को आत्म निर्भर बना सकता है. बल्कि घर परिवार के दूसरे लोगों का भी सहारा बन सकता है.
दूसरे दिव्यांग के लिए बन गए हैं प्रेरणा स्त्रोत: नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय में स्पेशल एजुकेशन में एमएड के छात्र का कहना है कि जिस तरह से डॉ. दीपक त्रिपाठी दिव्यांग छात्रो को शिक्षा के जरिये आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं. उसको देखकर दूसरे दिव्यांग को भी प्रेरणा मिलती है. इस छात्र ने बताया कि डॉ. दीपक त्रिपाठी सिर्फ दिव्यांग के साथ ही आम छात्रों को भी बेहतर अंदाज में शिक्षा दे रहे हैं. जिससे कि उनको देखकर दूसरे दिव्यांगों को उनसे जीवन जीने की प्रेरणा लेनी चाहिए और शिक्षा के जरिये अपने दिव्यांगता को मात देनी चाहिए. वहीं, युनिवर्सिटी की दूसरी दिव्यांग शिक्षिका रश्मि मौर्या का भी कहना है कि दिव्यांगों के जीवन को बदलने के लिए शिक्षा ही सबसे बेजतर साधन है जिसके जरिये उनका जीवन उज्जवल किया जा सकता है.
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