प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि पर अखाड़ा और मठ की जमीन को बेचने का सनसनीखेज आरोप लगा है. महंत नरेन्द्र गिरि पर यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि उनके सबसे प्रिय शिष्य रहे आनंद गिरि ने लगाया है. आनंद गिरि ने ये आरोप अखाड़ा और बाघंबरी मठ से निकाले जाने के बाद लगाए हैं. आनंद गिरि ने अपनी जान का खतरा बताते हुए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के साथ ही यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने अपनी सुरक्षा की गुहार भी लगाई है. वहीं, महंत नरेन्द्र गिरि ने आनंद गिरि के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि आनंद गिरि यह सब सुरक्षा पाने के लिये कर रहा है.
यूपी और उत्तराखंड के सीएम को भेजा पत्र
आनंद गिरि ने देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ ही यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अखाड़े और मठ से जुड़ी संपत्तियों को बेचे जाने के आरोप लगाए हैं. पत्र के जरिये महंत नरेन्द्र गिरि पर साल 2005 में सबसे पहले जमीन बेचने का आरोप लगाया और उसके बाद 2012 में मठ की जमीन को 40 करोड़ रुपये में बेचने का आरोप लगाया है. साथ ही यह भी बताया कि साल 2018 में महंत नरेन्द्र गिरि ने मठ की 80-120 वर्ग गज जमीन उसके नाम लीज पर कर दी और उस पर पेट्रोल पंप खुलवाने की बात कही थी. लेकिन 2020 में महंत नरेन्द्र गिरि ने लीज कैंसिल कर जमीन वापस देने की बात कही, जिसका उन्होंने विरोध किया. नरेन्द्र गिरि ने कहा कि वो शौक पूरा करने के लिये अपने करीबियों पर पैसे लुटाते हैं. इसी वजह से आश्रम के कुछ खास शिष्यों और अपने गनर के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जमा करवा दी है.
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अखाड़े के दो संतों की मौत पर भी उठाये सवाल
आनंद गिरि ने कुंभ 2019 के बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध हालत में गोली लगने से मौत के पीछे भी साजिश का आरोप लगाया है. आनंद गिरि का आरोप है कि आशीष गिरि की देखरेख वाली जिले के मांडा इलाके की एक जमीन को 35 करोड़ रुपये में बिकवाया गया, इसके बाद अखाड़े को सिर्फ दो करोड़ रुपये मिले. इसके बाद आशीष गिरि की हत्या करवा दी गयी, जिसे महंत नरेन्द्र गिरि ने अपनी रसूख से आत्महत्या का केस बनवा दिया. इसके अलावा महंत दिगंबर गंगापुरी महाराज की भी इसी तरह के संदिग्ध हालात में मौत हुई थी. नरेंद्र गिरि का आरोप है कि सिर्फ संपत्ति के लिये अखाड़े के युवा साधुओं की हत्या हो चुकी है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. इससे दोनों संतों की मौत से राज़ उठे और उनकी मौत के जिम्मेदार लोगों को उचित सजा मिल सके.
महंत नरेन्द्र गिरि ने आनंद गिरि को बताया गद्दार
इस मामले में शिष्य आनंद गिरि द्वारा लगाये गये सभी आरोपों को गुरु नरेन्द्र गिरि ने बेबुनियाद करार दिया है. उनका कहना है कि आनंद गिरी अखाड़ा और मठ से निकाले जाने की वजह से बौखला गये हैं और बगैर किसी आधार के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि आनंद गिरि अब किसी मठ, मंदिर से नहीं जुड़े हैं, जिसकी वजह से यूपी सरकार की सुरक्षा हट चुकी है. सुरक्षा पाने के लिये आनंद गिरी नौटंकी कर रहे हैं. नरेंद्र गिरि ने कहा कि आनंद गिरि इस समय किसी जिम्मेदार पद पर नहीं हैं, जिस वजह से अब उन्हें कोई खतरा नहीं हो सकता है. सिर्फ उत्तराखंड सरकार से सुरक्षा पाने के लिये अपनी जान का खतरा बताकर नौटंकी कर रहे हैं.
जांच में करेंगे सहयोग
महंत नरेन्द्र गिरि ने कहा कि आनंद गिरि ने उनके साथ गद्दारी करते हुए साथ छोड़ा है. आनंद गिरि ने जांच की जो मांग उठायी है, उसमें वह जांच करने वाली टीम का सहयोग करेंगें, जिससे सभी आरोपों की सच्चाई सामने आ सके. वहीं, अखाड़े के सचिव रहे आशीष गिरि की मौत के मामले में महंत नरेन्द्र गिरि का कहना है कि पुलिस ने पूरे मामले की जांच की थी और उसे आत्महत्या बताया था, जिसे अब आनंद गिरि साजिश बता रहे हैं.
स्वामी आनंद गिरि पर ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं ने लगाये थे आरोप
बता दें कि स्वामी आनंद गिरि पर 2019 कुम्भ के पहले दो विदेशी युवतियों ने छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करवाया था. उस वक्त आनंद गिरि ऑस्ट्रेलिया में लोगों को योग की शिक्षा देने गये हुए थे. उसी दौरान वहां की रहने वाली दो युवतियों ने योग सिखाने के बहाने छेड़खानी करने की शिकायत पुलिस में दर्ज करवायी थी. विदेशी धरती पर मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि बाद में कोर्ट में आरोप सिद्ध न होने पर उन्हें बरी कर दिया गया था.