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प्रयागराज: दारागंज काली स्वांग पर पड़ी कोविड-19 की काली छाया

उत्तर प्रदेश में करोनावायरस के चलते त्योहारों और आयोजनों को लेकर सख्ती है. योगी सरकार ने सड़क पर किसी भी धार्मिक आयोजन पर रोक लगा दी है. इसी के चलते दारागंज की सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरागत रूप से निकलने वाला काली स्वांग पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है.

दारागंज काली स्वांग.
दारागंज काली स्वांग.
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Published : Oct 13, 2020, 3:53 PM IST

प्रयागराज: जिले में स्थित दारागंज में मां काली का अद्भुत स्वरूप प्रकट होता है, जिनका दर्शन करने के लिए हजारों की तादाद में लोग जुटते हैं. पांच दिवसीय मां काली के इस अद्भुत स्वरूप के पहले दिन मां काली अपने अद्भुत सिंगार के साथ काली स्वांग करते हुए मां भक्तों को दर्शन देती हैं. हालांकि इस बार कोरोना महामारी के कारण सैकड़ों वर्ष पुरानी काली स्वांग का दर्शन लोगों को देखने को नहीं मिलेगा.

जानकारी देते लीला संयोजक रमेश कुमार मिश्र.

नवरात्र में जहां घर-घर मां की स्थापना होती है. उनके अलग-अलग नौ स्वरूप की पूजा होती है. वहीं सैकड़ों वर्षो से चली आ रही मान्यता के अनुसार मां काली लोगों के घरों तक जाकर उन्हें दर्शन देती हैं. नवरात्र में धर्म नगरी प्रयागराज स्थित दारागंज में मां काली का अद्भुत स्वरूप प्रकट होता है, जिनका दर्शन करने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं.

पांच दिवसीय मां काली के इस अद्भुत स्वरूप के पहले दिन मां काली अपने अद्भुत सिंगार के साथ काली स्वांग करते हुए मां भक्तों को दर्शन देती हैं. कहा जाता है कि रामायण में एक विशेष काली स्वांग प्रसंग है, जिसमें मां काली का स्वरूप बनाकर हाथ में भुजाली लिए हुए हजारों की संख्या में भीड़ निकलती है. प्रयागराज में मां काली स्वांग की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है. मां काली स्वांग को देखने के लिए यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. आधी रात के बाद काली स्वांग का दृश्य देखने को मिलता है, लेकिन विश्वभर में कोविड की ऐसी काली छाया पड़ी है, जिससे लोगों को घरों में ही कैद होकर रहना पड़ रहा है.

इसी कारण से इस बार हिंदुओं के खास पर्व दशहरा और नवरात्र पर मां काली स्वांग लीला का आयोजन नहीं होगा. सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन के कारण दारागंज के हजारों भक्त भुजाली और खप्पर ली हुई रौद्र रूप मां काली स्वांग के दर्शन करने से वंचित हो जाएंगे.

लीला संयोजक आचार्य रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि जिस समय श्रीराम 14 वर्ष के लिए वनवास में गए और उनसे युद्ध करने के लिए खरदूषण आता है. तब श्रीराम चंद्र जी ने लक्ष्मण से कहा कि तुम माता सीता को ले जाओ, मैं राक्षसों का संघार कर दूं. रमेश कुमार मिश्र ने बताया कि तब माता सीता ने कहा कि श्रीराम ने नारी को क्या पूरी तरह अबला ही समझ लिया है. तब माता सीता ने मां काली का रूप धारण किया. तभी से यह परंपरा हमारे यहां सैकड़ों वर्षो से चली आ रही है.

प्रयागराज: जिले में स्थित दारागंज में मां काली का अद्भुत स्वरूप प्रकट होता है, जिनका दर्शन करने के लिए हजारों की तादाद में लोग जुटते हैं. पांच दिवसीय मां काली के इस अद्भुत स्वरूप के पहले दिन मां काली अपने अद्भुत सिंगार के साथ काली स्वांग करते हुए मां भक्तों को दर्शन देती हैं. हालांकि इस बार कोरोना महामारी के कारण सैकड़ों वर्ष पुरानी काली स्वांग का दर्शन लोगों को देखने को नहीं मिलेगा.

जानकारी देते लीला संयोजक रमेश कुमार मिश्र.

नवरात्र में जहां घर-घर मां की स्थापना होती है. उनके अलग-अलग नौ स्वरूप की पूजा होती है. वहीं सैकड़ों वर्षो से चली आ रही मान्यता के अनुसार मां काली लोगों के घरों तक जाकर उन्हें दर्शन देती हैं. नवरात्र में धर्म नगरी प्रयागराज स्थित दारागंज में मां काली का अद्भुत स्वरूप प्रकट होता है, जिनका दर्शन करने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं.

पांच दिवसीय मां काली के इस अद्भुत स्वरूप के पहले दिन मां काली अपने अद्भुत सिंगार के साथ काली स्वांग करते हुए मां भक्तों को दर्शन देती हैं. कहा जाता है कि रामायण में एक विशेष काली स्वांग प्रसंग है, जिसमें मां काली का स्वरूप बनाकर हाथ में भुजाली लिए हुए हजारों की संख्या में भीड़ निकलती है. प्रयागराज में मां काली स्वांग की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है. मां काली स्वांग को देखने के लिए यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. आधी रात के बाद काली स्वांग का दृश्य देखने को मिलता है, लेकिन विश्वभर में कोविड की ऐसी काली छाया पड़ी है, जिससे लोगों को घरों में ही कैद होकर रहना पड़ रहा है.

इसी कारण से इस बार हिंदुओं के खास पर्व दशहरा और नवरात्र पर मां काली स्वांग लीला का आयोजन नहीं होगा. सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन के कारण दारागंज के हजारों भक्त भुजाली और खप्पर ली हुई रौद्र रूप मां काली स्वांग के दर्शन करने से वंचित हो जाएंगे.

लीला संयोजक आचार्य रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि जिस समय श्रीराम 14 वर्ष के लिए वनवास में गए और उनसे युद्ध करने के लिए खरदूषण आता है. तब श्रीराम चंद्र जी ने लक्ष्मण से कहा कि तुम माता सीता को ले जाओ, मैं राक्षसों का संघार कर दूं. रमेश कुमार मिश्र ने बताया कि तब माता सीता ने कहा कि श्रीराम ने नारी को क्या पूरी तरह अबला ही समझ लिया है. तब माता सीता ने मां काली का रूप धारण किया. तभी से यह परंपरा हमारे यहां सैकड़ों वर्षो से चली आ रही है.

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