प्रयागराजः हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शहर में दाधिकांदो मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले के आयोजन के पीछे दाधिकांदो मेले का इतिहास है. बताया जाता है कि क्रांतिकारियों ने गुप्त मीटिंग के लिए इस मेले की शुरुआत की थी, जो कि आगे चलकर पूरे शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा.
रंग बिरंगी लाइटों की चकाचौंध और चारों तरफ भीड़, लोगों के चेहरे पर खुशी इस बात को दर्शाती है कि यह मेला कितना ऐतिहासिक होगा. इस मेले में बड़ों से लेकर बच्चे आकर काफी आनंदित होते हैं. यहां बच्चे झूला झूलते हैं तो बड़े निशानेबाजी करने में नहीं चूकते. आगे-आगे गजानंद की सवारी इस मेले की शोभा बढ़ाती है.
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कहते हैं कि इस मेले का आयोजन जब अंग्रेज हमारे क्रांतिकारियों पर अत्याचार कर रहे थे और उन्हें देखते ही या तो हवालात में बंद कर देते थे या फिर गोलियों का शिकार बनाते थे. तब क्रांतिकारियों ने योजना बनाकर इस मेले की शुरुआत की थी, लेकिन अंग्रेजों को जब इस बात का पता चला तो इस मेले पर रोक लगा दी गई थी.