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आजादी के पहले से प्रयागराज में चल रहा दाधिकांदो मेला, जानें इतिहास

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में धूमधाम से दाधिकांदो मेला चल रहा है. शहरवासी मेले का खूब आनंद ले रहे हैं. अंग्रेजों से बचकर मीटिंग करने के लिए क्रांतिकारियों ने दाधिकांदो मेले की शुरुआत की थी.

आजादी के पहले से प्रयागराज में चल रहा दाधिकांदो मेला, जानें इतिहास.
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Published : Sep 9, 2019, 8:32 PM IST

प्रयागराजः हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शहर में दाधिकांदो मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले के आयोजन के पीछे दाधिकांदो मेले का इतिहास है. बताया जाता है कि क्रांतिकारियों ने गुप्त मीटिंग के लिए इस मेले की शुरुआत की थी, जो कि आगे चलकर पूरे शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा.

आजादी के पहले से प्रयागराज में चल रहा दाधिकांदो मेला, जानें इतिहास.


रंग बिरंगी लाइटों की चकाचौंध और चारों तरफ भीड़, लोगों के चेहरे पर खुशी इस बात को दर्शाती है कि यह मेला कितना ऐतिहासिक होगा. इस मेले में बड़ों से लेकर बच्चे आकर काफी आनंदित होते हैं. यहां बच्चे झूला झूलते हैं तो बड़े निशानेबाजी करने में नहीं चूकते. आगे-आगे गजानंद की सवारी इस मेले की शोभा बढ़ाती है.

इसे भी पढ़ेंः- प्रयागराज: जिला अस्पताल में खुलेगा ओपन जिम, मरीज होंगे फिट
कहते हैं कि इस मेले का आयोजन जब अंग्रेज हमारे क्रांतिकारियों पर अत्याचार कर रहे थे और उन्हें देखते ही या तो हवालात में बंद कर देते थे या फिर गोलियों का शिकार बनाते थे. तब क्रांतिकारियों ने योजना बनाकर इस मेले की शुरुआत की थी, लेकिन अंग्रेजों को जब इस बात का पता चला तो इस मेले पर रोक लगा दी गई थी.

प्रयागराजः हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शहर में दाधिकांदो मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले के आयोजन के पीछे दाधिकांदो मेले का इतिहास है. बताया जाता है कि क्रांतिकारियों ने गुप्त मीटिंग के लिए इस मेले की शुरुआत की थी, जो कि आगे चलकर पूरे शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा.

आजादी के पहले से प्रयागराज में चल रहा दाधिकांदो मेला, जानें इतिहास.


रंग बिरंगी लाइटों की चकाचौंध और चारों तरफ भीड़, लोगों के चेहरे पर खुशी इस बात को दर्शाती है कि यह मेला कितना ऐतिहासिक होगा. इस मेले में बड़ों से लेकर बच्चे आकर काफी आनंदित होते हैं. यहां बच्चे झूला झूलते हैं तो बड़े निशानेबाजी करने में नहीं चूकते. आगे-आगे गजानंद की सवारी इस मेले की शोभा बढ़ाती है.

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कहते हैं कि इस मेले का आयोजन जब अंग्रेज हमारे क्रांतिकारियों पर अत्याचार कर रहे थे और उन्हें देखते ही या तो हवालात में बंद कर देते थे या फिर गोलियों का शिकार बनाते थे. तब क्रांतिकारियों ने योजना बनाकर इस मेले की शुरुआत की थी, लेकिन अंग्रेजों को जब इस बात का पता चला तो इस मेले पर रोक लगा दी गई थी.

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70 वर्ष पहले अंग्रेजों से बचकर मीटिंग करने के लिए क्रांतिकारियों ने की थी इस दाधिकांदो मेले की शुरुआत

प्रयागराज में दाधिकांदो मेले का एक इतिहास है पूरे देश में प्रयागराज में ही दाधिकांडो मेला मनाया जाता है इसके पीछे कहानी यह है कि जब अंग्रेज क्रांतिकारियों का दमन कर रहे थे तब क्रांतिकारी एक जगह कहीं इकट्ठा नहीं हो पाते थे इसी उद्देश्य क्रांतिकारियों ने इस मेले की शुरुआत की जो कि आगे चलकर पूरे शहर में बड़ी धूमधाम से मनाए जाने लगा


Body:यह रंग बिरंगी लाइटों की चकाचौंध और चारों तरफ लोगी भी और लोगों के चेहरे पर खुशी इस बात को दर्शाती है कि यह मेला कितना ऐतिहासिक होगा इस मेले में बड़ों से लेकर बच्चे घूम कर काफी आनंदित होते हैं जहां बच्चों के लिए झूले तो बड़े निशानेबाजी करने में नहीं चूकते आगे आगे गजानंद की सवारी इस मेले की शोभा बढ़ाती है कहते हैं कि इस मेले कि आयोजन का शुरुआत एक खास मौके के लिए किया गया था जब अंग्रेज हमारे क्रांतिकारियों पर अत्याचार कर रहे थे और उन्हें देखते ही यह तो हवालात में या फिर गोलियों का शिकार बनाते थे तो क्रांतिकारी जाते तो जाते कहां ऐसे में क्रांतिकारियों ने एक योजना बनाई कि क्यों ना एक ऐसे मेले की शुरुआत की जाए जहां सब लोग एक साथ इकट्ठा हो सके इस मेले की शुरुआत प्रयागराज के रसूलाबाद इलाके से की गई जहां पर क्रांतिकारी इकट्ठा होकर अपनी योजना बनाते थे देखते देखते समय बीतता गया और इस मेले ने एक बड़ा रूप ले लिया जो आज पूरे शहर में इला को इलाकों में मनाया जाता है जिसको दाधिकांदो मेला कहते हैं

बाइट --- पंकज ( आयोजक)
बाइट -- शान्तनु (प्रबंधक)
बाइट---- प्रियम (दर्शक)


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