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प्रयागराज: प्रतिबंध बेअसर, गांवों में बिक रहे पटाखे - एजनीटी के आदेश

इस दीवाली पटाखे बेचने और चलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. लेकिन ग्रामीण इलाके में प्रतिबंध का कोई असर नजर नहीं आ रहा है. प्रयागराज के पटाखा व्यापारी बड़ी संख्या में पटाखों को गांव और कस्बों में खपा रहे हैं.

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पाबन्दी के बाद भी बिक रहे पटाखे.
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Published : Nov 13, 2020, 1:41 PM IST

प्रयागराज: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एजनीटी) के आदेश के बाद प्रशासन ने पटाखों के गोदाम बंद करवा दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद गांवों में पटाखों की खूब सप्लाई हो रही है. गांवों में अधिकतर दुकानों पर पटाखे बिक रहे हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस दिवाली पटाखों पर लगाई गई रोक ज्यादा असरदार नहीं होगी.

वैसे भी इस बार धान के अवशेष जलाने से हवा ज्यादा दूषित हो गई है. वहीं अगर दिवाली पर पटाखे जलाए जाते हैं, तो प्रदूषण का स्तर और भयानक स्थिति में पहुंच जाएगा. ऐसे में जरूरी है कि हम दीप के पर्व दिवाली को प्राचीन परंपरा के अनुसार घी और सरसो के तेल के दीप जलाकर मनाएं. इससे वातावरण भी शुद्ध होगा और भगवान भी प्रसन्न होंगे.

पटाखों से निकलती है जहरीली गैस

पराली के धुएं से 10 माइक्रोमीटर (पीएम) कण अधिक निकलते हैं, जो अन्य धुएं के मुकाबले कम खतरनाक होता है. वहीं, गाड़ियों और फैक्ट्रियों के धुएं से पीएम 2.5 कण अधिक निकलते हैं, जो बहुत खतरनाक हैं. इसी तरह पटाखों से तो और अधिक खतरनाक प्रदूषण निकलता है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि पटाखे से निकलने वाली गैस सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रेट ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्टऔर मरकरी मैग्नीशियम प्रमुख हैं. जो सभी के लिए खतरनाक हैं. यह स्वस्थ व्यक्ति को तुरंत बीमार कर सकती हैं. ऐसे में बीमार लोगों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

प्रदूषण के कारण बढ़ती हैं यह बीमारियां

प्रदूषण बढ़ना आंख, ब्लड प्रेशर, दमा (अस्थमा), डायबिटीज, हदय रोग और गर्भवती महिलाओं के लिए भी बहुत अधिक खतरनाक है. ऐसे में परिवार के लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए युवाओं को पटाखों से परहेज करना चाहिए. जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. ऐसी महिलाएं दिवाली में सतर्क रहें. गर्भवती महिलाओं के लिए पटाखों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक पदार्थ अत्यंत हानिकारक है. ये सभी भ्रूण को नुकसान पहुंचाते हैं और मां को भी नुकसान हो सकता है.

वहीं शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णानंद शुक्ला ने कहा कि इस दिवाली पर्यावरण को क्षति न पहुंचाएं. दिवाली दीप जलाने के साथ-साथ एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने का पर्व है. इस पर्व के मूल उद्देश्य से दूर न भाग कर प्रत्येक व्यक्ति को गिले-शिकवे दूर करके आपस में खुशियां बांटनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पर्व पर एक-दूसरे को पौधों को उपहार स्वरूप देना चाहिए. जिन्हें रोपने से पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जा सके.

प्रयागराज: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एजनीटी) के आदेश के बाद प्रशासन ने पटाखों के गोदाम बंद करवा दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद गांवों में पटाखों की खूब सप्लाई हो रही है. गांवों में अधिकतर दुकानों पर पटाखे बिक रहे हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस दिवाली पटाखों पर लगाई गई रोक ज्यादा असरदार नहीं होगी.

वैसे भी इस बार धान के अवशेष जलाने से हवा ज्यादा दूषित हो गई है. वहीं अगर दिवाली पर पटाखे जलाए जाते हैं, तो प्रदूषण का स्तर और भयानक स्थिति में पहुंच जाएगा. ऐसे में जरूरी है कि हम दीप के पर्व दिवाली को प्राचीन परंपरा के अनुसार घी और सरसो के तेल के दीप जलाकर मनाएं. इससे वातावरण भी शुद्ध होगा और भगवान भी प्रसन्न होंगे.

पटाखों से निकलती है जहरीली गैस

पराली के धुएं से 10 माइक्रोमीटर (पीएम) कण अधिक निकलते हैं, जो अन्य धुएं के मुकाबले कम खतरनाक होता है. वहीं, गाड़ियों और फैक्ट्रियों के धुएं से पीएम 2.5 कण अधिक निकलते हैं, जो बहुत खतरनाक हैं. इसी तरह पटाखों से तो और अधिक खतरनाक प्रदूषण निकलता है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि पटाखे से निकलने वाली गैस सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रेट ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्टऔर मरकरी मैग्नीशियम प्रमुख हैं. जो सभी के लिए खतरनाक हैं. यह स्वस्थ व्यक्ति को तुरंत बीमार कर सकती हैं. ऐसे में बीमार लोगों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

प्रदूषण के कारण बढ़ती हैं यह बीमारियां

प्रदूषण बढ़ना आंख, ब्लड प्रेशर, दमा (अस्थमा), डायबिटीज, हदय रोग और गर्भवती महिलाओं के लिए भी बहुत अधिक खतरनाक है. ऐसे में परिवार के लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए युवाओं को पटाखों से परहेज करना चाहिए. जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. ऐसी महिलाएं दिवाली में सतर्क रहें. गर्भवती महिलाओं के लिए पटाखों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक पदार्थ अत्यंत हानिकारक है. ये सभी भ्रूण को नुकसान पहुंचाते हैं और मां को भी नुकसान हो सकता है.

वहीं शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णानंद शुक्ला ने कहा कि इस दिवाली पर्यावरण को क्षति न पहुंचाएं. दिवाली दीप जलाने के साथ-साथ एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने का पर्व है. इस पर्व के मूल उद्देश्य से दूर न भाग कर प्रत्येक व्यक्ति को गिले-शिकवे दूर करके आपस में खुशियां बांटनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पर्व पर एक-दूसरे को पौधों को उपहार स्वरूप देना चाहिए. जिन्हें रोपने से पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जा सके.

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