प्रयागराज: बृहस्पतिवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह भव्य रुप से संपन्न हुआ. बरसों बाद विश्वविद्यालय में हुए इस आयोजन के दौरान मेडल प्राप्त कर छात्र खुश हो गए. विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी जी रहे. कैलाश सत्यार्थी ने मेधावी छात्रों को मेडल पहनाया और उन्हें सम्मानित किया. दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह की अनुपस्थिति में विश्वविद्यालय के कुलसचिव एके शुक्ला के द्वारा मानद उपाधि की डिग्री प्राप्त की गई.
मेडल देकर छात्रों को किया गया सम्मानित-
समारोह में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में प्रगति गुप्ता को गोल्ड मेडल और धनंजय मिश्रा को सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया. परास्नातक सौम्या सिंह को गोल्ड मेडल, शुभी तिवारी को सिल्वर मेडल और सारिवा अख्तर को ब्रांज मेडल से सम्मानित किया गया. विज्ञान संकाय की शिखा अरोरा को भी ब्रांज से सम्मानित किया गया. दीक्षांत समारोह में 42 छात्रों को 93 मेडल दिए गए. समारोह में 80 छात्रों को पीएचडी की डिग्री दी गई.
कैलाश सत्यार्थी ने छात्रों को आगे बढ़ने की दी प्रेरणा-
कैलाश सत्यार्थी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दो दशक के बाद आयोजित समारोह के आयोजन कि बधाई देते हुए कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर वर्षों से टूट चुकी परंपरा की आज शुरुआत हुई है. निश्चित रूप से यह शिक्षा जगत में एक नई किरण लाएगा. उन्होंने अपने भाषण में छात्रों को लक्ष्य के प्रति संकल्प के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए आगे बढ़ने की सीख दी.
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय हमेशा शक्ति का केंद्र रहा है. यह ऐसा विश्वविद्यालय है जहां पर छात्रों ने इस की गरिमा के लिए बलिदान तक दिया है. उन्होंने अपने भाषण में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन और गुरु शिष्य परंपरा के बीच बढ़ रही खाई को कम करने के लिए जोर दिया. उन्होंने अपनी निजी जिंदगी के अनुभव को छात्रों को बताते हुए कहा कि आपको हमेशा अपने जीवन में दृष्टिकोण को विस्तार करे रखना है. उन्होंने अपने भाषण में छात्रों को करुणा और कर्म के विस्तार की बात कही.
समारोह में अपना अध्यक्षीय भाषण देते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतनलाल हंगलू ने विश्वविद्यालय के द्वारा किए जा रहे कार्यों और इसकी उपलब्धियों के बारे में बताया. रतनलाल हंगलू ने कहा कि आज शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले इस समारोह से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों में और अधिक परिवर्तन आएगा. इससे छात्रों के शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ेगा.
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी का संबोधन-
कार्यक्रम में पहुंचे विशिष्ट अतिथि पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने अपना संबोधन देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह की परंपरा आज फिर से शुरू हुई है. इस परंपरा को आगे भी इसको बराबर बनाए रखना जरूरी है. इससे छात्रों के अंदर लिखने और पढ़ने की क्षमता का विकास होगा. दीक्षांत समारोह किसी भी छात्र के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
विश्वविद्यालय के प्रोक्टर राम सेवक दुबे ने कहा कि बहुत भव्य आयोजन हुआ. केशरी नाथ त्रिपाठी ने छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणादाई बातें उन्हेोंने कहीं.