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मोबाइल व टीवी के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे हो रहे मायोपिया के शिकार, इन बातों का रखें ध्यान

अगर आपके बच्चे भी मोबाइल, टैबलेट या लैपटाॅप में खोए रहते हैं (Children are suffering from myopia) तो यह खबर आपके लिए है. छोटे बच्चे मायोपिया का शिकार बन रहे हैं और उनकी नजरें कमजोर हो रही हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2023, 6:23 PM IST

प्रयागराज : कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल टीवी का बुरा प्रभाव अब सामने आने लगा है. कोरोना काल के दौरान बड़ों से लेकर बच्चों तक के घर में रहने की वजह से सभी का मोबाइल और टीवी ज्यादा देखने से उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया. जिसकी वजह से बच्चों में दूर दृष्टि दोष की वजह से होने वाली बीमारी मायोपिया के मामले सामने आने लगे हैं. जिसके लक्षण दिखने पर तत्काल बच्चों को आंख के डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज करवाने की जरूरत है.

स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से बच्चे हो रहे मायोपिया के शिकार

कोरोना काल के दौरान देश भर में लगे लॉकडाउन की वजह से कई महीने तक सभी लोग घरों में कैद थे, जबकि उसके बाद से लंबे समय तक स्कूलों की पढ़ाई भी ऑनलाइन मोड में हुई थी. जिसकी वजह बच्चे पढ़ाई के साथ ही गेम खेलने और मनोरंजन के लिए भी मोबाइल का इस्तेमाल करने लगे थे. जिस कारण मोबाइल पर ज्यादा समय देने और नजदीक की वस्तुएं ही पूरे समय देखने की वजह से कई बच्चे मायोपिया की शिकार हो गए. इस बीमारी में बच्चों को नजदीक दृष्टि तो सही रहती है, लेकिन दूर की वस्तुएं देखने में उन्हें दिक्कत होती है. इसी कारण की वजह से बच्चों को स्कूल में बोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों को पढ़ने में भी दिक्कत होती है. जिस कारण से बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत होती है जिस वजह से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है.

लक्षण दिखने पर करें डॉक्टर से संपर्क

प्रयागराज के आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टर अनूप चौहान ने बताया कि 'कोरोना के बाद से मायोपिया बीमारी के लक्षण वाले बच्चे लगातार उनके पास आते रहे हैं. इसमें तमाम बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें यह पता ही नहीं होता है कि उनकी आंखों में किसी प्रकार की दिक्कत है. बच्चे अक्सर दूर की जगह पास से टीवी देखने पहुंच जाते हैं. यही नहीं ऐसे बच्चे क्लास में पीछे की बेंच पर बैठने की वजह से बोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों को पढ़ नहीं पाते हैं. जिस कारण कई स्कूलों में बच्चों को बेंच पर बैठाने में रोटेशन सिस्टम लागू किया जाता है. डॉ अनूप चौहान ने मायोपिया के कुछ लक्षण बताए हैं, जिसके मुताबिक बच्चे टीवी देखने के दौरान आंखों को मींचकर टीवी देखते हैं या आंखों फैलाकर अथवा सिकोड़कर टीवी देखते हैं तो यह मायोपिया के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों में इस प्रकार के लक्षण देखें तो तत्काल किसी आंखों के डॉक्टर से संपर्क करके बच्चे की आंखों की जांच करवाएं, जिससे कि सही समय पर बच्चों की आंखों का इलाज समय से करके उन्हें इस बीमारी से राहत दिलवा सकें.'

प्रयागराज : कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल टीवी का बुरा प्रभाव अब सामने आने लगा है. कोरोना काल के दौरान बड़ों से लेकर बच्चों तक के घर में रहने की वजह से सभी का मोबाइल और टीवी ज्यादा देखने से उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया. जिसकी वजह से बच्चों में दूर दृष्टि दोष की वजह से होने वाली बीमारी मायोपिया के मामले सामने आने लगे हैं. जिसके लक्षण दिखने पर तत्काल बच्चों को आंख के डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज करवाने की जरूरत है.

स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से बच्चे हो रहे मायोपिया के शिकार

कोरोना काल के दौरान देश भर में लगे लॉकडाउन की वजह से कई महीने तक सभी लोग घरों में कैद थे, जबकि उसके बाद से लंबे समय तक स्कूलों की पढ़ाई भी ऑनलाइन मोड में हुई थी. जिसकी वजह बच्चे पढ़ाई के साथ ही गेम खेलने और मनोरंजन के लिए भी मोबाइल का इस्तेमाल करने लगे थे. जिस कारण मोबाइल पर ज्यादा समय देने और नजदीक की वस्तुएं ही पूरे समय देखने की वजह से कई बच्चे मायोपिया की शिकार हो गए. इस बीमारी में बच्चों को नजदीक दृष्टि तो सही रहती है, लेकिन दूर की वस्तुएं देखने में उन्हें दिक्कत होती है. इसी कारण की वजह से बच्चों को स्कूल में बोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों को पढ़ने में भी दिक्कत होती है. जिस कारण से बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत होती है जिस वजह से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है.

लक्षण दिखने पर करें डॉक्टर से संपर्क

प्रयागराज के आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टर अनूप चौहान ने बताया कि 'कोरोना के बाद से मायोपिया बीमारी के लक्षण वाले बच्चे लगातार उनके पास आते रहे हैं. इसमें तमाम बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें यह पता ही नहीं होता है कि उनकी आंखों में किसी प्रकार की दिक्कत है. बच्चे अक्सर दूर की जगह पास से टीवी देखने पहुंच जाते हैं. यही नहीं ऐसे बच्चे क्लास में पीछे की बेंच पर बैठने की वजह से बोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों को पढ़ नहीं पाते हैं. जिस कारण कई स्कूलों में बच्चों को बेंच पर बैठाने में रोटेशन सिस्टम लागू किया जाता है. डॉ अनूप चौहान ने मायोपिया के कुछ लक्षण बताए हैं, जिसके मुताबिक बच्चे टीवी देखने के दौरान आंखों को मींचकर टीवी देखते हैं या आंखों फैलाकर अथवा सिकोड़कर टीवी देखते हैं तो यह मायोपिया के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों में इस प्रकार के लक्षण देखें तो तत्काल किसी आंखों के डॉक्टर से संपर्क करके बच्चे की आंखों की जांच करवाएं, जिससे कि सही समय पर बच्चों की आंखों का इलाज समय से करके उन्हें इस बीमारी से राहत दिलवा सकें.'

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